शिक्षक की भूमिका है मनुष्य निर्माण : प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
वर्धा. शिक्षकों का दायित्व श्रेष्ठ मनुष्यों का निर्माण करना है। इसका मापन अकादमिक उपलब्धि या शिक्षोपरांत आय से नहीं हो सकता है। हमें अपने विद्यार्थियों को सर्जनात्मक कल्पना की क्षमता से युक्त एवं स्वावलंबी बनाना है, यही मनुष्य के निर्माण की प्रक्रिया है।
उक्त उद्बोधन कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किये। वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। शिक्षक दिवस समारोह के अवसर पर दर्शन एवं संस्कृति अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. जयन्त उपाध्याय और शिक्षा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. शिल्पी कुमारी को शिक्षक सम्मान, 2022 से सम्मानित किया गया।
कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि हमने अपने जीवन में किसी न किसी शिक्षक को देख कर सीखा है। किसी न किसी शिक्षक के पढ़ाए जाने वाले तरीकों, उसके द्वारा दी जाने वाली सामग्री, उसके द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली शिक्षा, उसके द्वारा की गई व्याख्या आज भी अभिप्रेरित करती है। हमें ध्यान रखना है कि हम उसी शिक्षक की परंपरा के उत्तराधिकारी बनें। एक शिक्षक के रूप में जब हम कुछ करने और सीखने का मन बनाएंगे तो एक सक्षम, कौशल सम्पन्न, ज्ञान संपन्न और जिम्मेदार नागरिक बना सकेंगे।
मुख्य अतिथि के रूप में दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, डीम्ड यूनिवर्सिटी, सावंगी के कुलपति डॉ. राजीव एम. बोरले ने कहा कि शिक्षक का अर्थ उपाध्याय, आचार्य, पंडित, दृष्टा, गुरु आदि रूपों में है। गुरु वह है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए। उन्होंने कहा कि गुरु का कर्तव्य है कि वह विद्यार्थी की भांति ‘लाइफटाइम लर्नर’ बने ताकि जिज्ञासु विद्यार्थियों के प्रश्नों का समाधान कर सके। गुरु विद्यार्थी के दिमाग में न केवल तथ्यों को ठूंसे अपितु उसे उस लायक बना दे कि वह हर कठिन परिस्थितियों का मुकाबला कर सके। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षक अपने विद्यार्थियों से यह अपेक्षा करता है कि वह एकलव्य जैसा हो तो शिक्षक को भी द्रोणाचार्य जैसा बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हर सुशिक्षित व्यक्ति को सुसंस्कृत कर योग्य नागरिक बनाना शिक्षक का दायित्व है और इस दायित्व का निर्वहन उन्हें अपने बच्चे की भांति करनी चाहिए।
स्वागत वक्तव्य में प्रतिकुलपति प्रो. चंद्रकांत एस. रागीट ने कहा कि आज का दिन सभी शिक्षकों के लिए आत्मपरीक्षण करने का दिन होता है। अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने प्रास्ताविक वक्तव्य दिया। तुलनात्मक साहित्य विभागके अध्यक्ष डॉ. रामानुज अस्थाना ने संचालन तथा कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप दीपन, कुलगीत एवं डॉ. जगदीश नारायण तिवारी द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से किया गया। अतिथि का स्वागत सूतमाला, अंगवस्त्र, श्रीफल एवं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न प्रदान कर किया गया। समारोह में प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, आवासीय लेखक प्रो. रामजी सिंह, प्रो. मनोज कुमार, प्रो. कृपाशंकर चौबे, प्रो. गोपालकृष्ण ठाकुर सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, कर्मी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे ।