विचारों को काव्य के माध्यम से व्यक्त करने की मची होड़: यादव

बिलासपुर. आजकल लोगों में अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर जागरूकता तो है,अपने विचारों को काव्य के माध्यम से व्यक्त करने की होड़ मची है।लोग अपने सुविधा- नुसार प्रयोगवादी भी बन रहे हैं, किन्तु सच्चाई यह है कि ऐसा लेखन हिन्दी साहित्य को क्षरित कर रहा है, ह्रास कर रहा है।विघटन का दौर है, हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसमें शब्दों के साथ भाव को सराबोर किया जा सकता है।
वरिष्ठ साहित्यकार ईश्वरी यादव ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कविता लिखने की कला शिल्प,कथ्य, दीर्घ, हस्व वर्णों की उपयोगिता और वर्जनीयता को भी रेखांकित किया।
नगर के सांई आनंदम् सभागार में यादव जी ने आगे कहा भारतवर्ष में सज़ल विधा पर कार्य हो रहा है।उल्लेखनीय है इसमें श्री यादव का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है और बनारस में होने वाले वार्षिकोत्सव में “सज़ल ऋषि” सम्मान से उन्हें सम्मानित भी किया गया है।
कार्यक्रम वरिष्ठ गीतकार, संयोजक और सांई आनंदम् के संथापक विजय तिवारी के संयोजकत्व में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध गीतकार विजय राठौर, जांजगीर,अध्यक्षता ईश्वरी यादव जी ने की।
अभ्यागतों का पुष्पहार से स्वागत पश्चात संयोजक वरिष्ठ गीतकार विजय तिवारी ने स्वागत भाषण के साथ परिचयात्मक उद्बोधन दिया एवं इस सरस काव्य गोष्ठी का संचालन हरबंश शुक्ल ने किया।नगर एवं अंचल के गणमान्य कवियों ने अपनी सरस प्रस्तुति दी। इसमें हूप सिंह ठाकुर, नरेंद्र कुमार शुक्ल, राकेश खरे, रेखराम साहू, ओमप्रकाश भट्ट, विनय पाठक, अशरफी लाल सोनी, राजेन्द्र रुंगटा (हैदराबाद), मयंकमणि दुबे,वसंत पांडेय ऋतुराज, बुधराम यादव, अमृत लाल पाठक, केवल कृष्ण पाठक, संतोष कश्यप, विजय तिवारी, प्रेम लाल यादव,डॉ.रमेश सोनी, विजय गुप्ता,राजेश सोनार आदि ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की अंत में आभार प्रदर्शन वरिष्ठ गीतकार बुधराम यादव ने किया।

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