एसआईआर प्रक्रिया में जुटे बीएलओ और महिला कर्मचारियों को सुरक्षा तक नहीं दे पा रही है यह सरकार

 

रायपुर. एसआईआर अभियान के दौरान बीएलओ और महिला कर्मचारियों से दुर्व्यवहार की बढ़ती घटनाओं पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सरकार की अदूरदर्शिता, हड़बड़ी, बदइंतजामी और अव्यवस्था के कारण हर वर्ग परेशान है। आम मतदाताओं का आक्रोश बीएलओ पर फूटने लगा है, खासतौर पर महिला कर्मचारियों को कई जगह दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। बीएलओ की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है, राजधानी रायपुर में महिला बीएलओ को चप्पल से पीटा गया, सार्वजनिक तौर पर हाथापाई की गई, इस तरह की अनेकों घटनाएं प्रदेश में लगातार घट रही है। हर काम छोड़कर चुनाव आयोग की बाध्यता और शर्तों को पूरा करते-करते अनावश्यक परेशानियों से आम जनता का धैर्य भी टूटने लगा है। सत्ताधारी दल से जुड़े नेता अपने राजनीतिक हित में काम करने के लिए बीएलओ पर अनुचित दबाव बना रहे हैं, विगत दिनों राजधानी रायपुर के ही महंत लक्ष्मीनारायण वार्ड में भाजपा पार्षद द्वारा महिला बीएलओ को धमकाने का वीडियो सर्वविदित है। सत्ता के संरक्षण में ऐसी घटनाएं लगातार घट रही है, दोहरे दबाव में बीएलओ डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि हड़बड़ी में फर्जी दावों को सही साबित करने के लिए बीएलओ पर अनुचित दबाव बनाया जा रहा है। निर्वाचन आयोग खुद ही संशय की स्थिति में है, एसआईआर की प्रक्रिया में लगातार बदलाव किया जा रहा है, रोज-रोज नए अपडेट आ रहे हैं, प्रपत्र और उसके समर्थन में दस्तावेजों की अनिवार्यता पर संशय की स्थिति है। नियमावली और प्रपत्र के कालम को लेकर बीएलओ, मतदाताओं को समझा नहीं पा रहे हैं, जिससे विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है, मतदाता सूची से नाम डिलीट होने के डर से झगड़े, फसाद हो रहे हैं, प्रशासन चुनाव कार्य में संलग्न कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रशासन के अनुचित दबाव और अव्यवस्था से एसआईआर प्रक्रिया में जुटे कर्मचारी और मतदाता दोनों ही परेशान है। आनन-फानन में आंगनबाड़ी सहायिकाओं और कार्यकर्ताओं को बीएलओ बनाकर फील्ड में भेज दिया है, कई परिवारों में कुछ सदस्यों का नाम नहीं मिलने या छूट जाने पर लोग बीएलओ से विवाद करने पर उतारू हो रहे हैं, पारदर्शिता के अभाव और टाइम बाउंड अनुचित दबाव से पूरे प्रदेश में आक्रोश है। भाजपा सरकार ने जिस तरह से नोटबंदी के समय जनता को लाइन में लगाया था, ठीक वैसा ही दृश्य वर्तमान में एसआईआर के नाम पर एक बार फिर दिखाई दे रहा है। प्रशासन फार्म में मांगे जाने वाले जानकारी के संबंध में भ्रम को दूर करें और एसआईआर की प्रक्रिया में शामिल सरकारी कर्मचारी खासतौर पर महिला कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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