तीन दिवसीय आयुर्वेद पर्व का हुआ शुभारम्भ, औषधि निर्माताओं ने लगाए 40 स्टॉल
नई दिल्ली. आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने आयुर्वेद के विकास के लिए आयुर्वेद पर्व’ नाम से एक योजना निर्धारित की है जिसके अंतर्गत आयुर्वेद की विभिन्न विधाओं यथाः शिक्षा अनुसंधान, औषध निर्माण, दवाओं के घटकों की उपलब्धता आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की जाती है। महासम्मेलन संस्था 10 आयुर्वेद पर्व का आयोजन पूर्व में कर चुकी है, इस श्रृंखला में इस बार आयुर्वेद पर्व 26 से 28 नवम्बर तक किया जाना तय है। भारत सरकार के आयुष राज्य मंत्री डा. मुंजापरा महेन्द्रभाई कार्यक्रम तथा आयुर्वेद प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन 26 तारीख को प्रातः 10 बजे किया गया । इस अवसर पर देश के नागरिकों को आयुर्वेद के माध्यम से स्वस्थ रखने के उपायों, रोग पीडित व्यक्तियों का रोग निदान तथा चिकित्सा की निःशुल्क व्यवस्था का भी प्रावधान है। इस अवसर पर आयुर्वेद प्रदर्शनी में सरकारी तथा औषधि निर्माताओं के लगभग 40 स्टॉल लगाये जायेंगे।
प्रत्येक दिन प्रातः 10 से 3 बजे तक दिल्ली और देश के योग्य आयुर्वेदीय चिकित्सकों द्वारा रोगी परीक्षण और निःशुल्क औषध वितरण का कार्यक्रम है।उद्घाटन सत्र के पश्चात् 26 तारीख को 2 बजे से आयुर्वेदीय शिक्षा और आयुर्वेदीय प्रशिक्षण तथा अस्पतालों को समुन्नत बनाने के तरीकों तथा आयुर्वेदीय स्नातकों एवं स्नातकोत्तर चिकित्सकों के लिए शिक्षा, चिकित्सा एवं अनुसंधान आदि के कार्यक्रमों में किस प्रकार का योगदान हो सकता है, इस विषय पर चर्चा की जायेगी। इस कार्यक्रम में आयुर्वेद के स्नातकों तथा स्नातकोत्तर विद्यार्थियों एवं चिकित्सकों के लिए आयुर्वेद के विभिन्न विषयों पर व्याख्यान माला का आयोजन किया जायेगा। 27 तारीख को औषधि निर्माताओं का सम्मेलन आयोजित करने की योजना है। जिसमें आयुर्वेदीय औषधियों की गुणवत्ता के साथ-साथ नयी दवाओं के आविष्कार तथा औषधि निर्माण के क्षेत्र में हो रही कठिनाइयों पर भी विचार किया जायेगा और इनके निराकरण के उपाय बताये जायेंगे। आयुर्वेदीय औषधियों के निर्माण में उपयुक्त घटकों की कमी और उनको दूर करने के उपायों पर भी विचार होगा। 28 तारीख को प्रातः आयुर्वेद स्नातकों हेतु वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन होगा। उसी दिन 2 बजे से समापन समारोह होगा जिसमें पूरे कार्यक्रम की समीक्षा की जायेगी और इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों को प्रमाण-पत्र दिये जायेंगे। इस समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारने हेतु सुधांशु त्रिवेदी से निवेदन किया गया है।
इस महाधिवेशन का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम प्रणव मुखर्जी ने किया था। 1946 के पूर्व अखण्ड भारत में इसके महाधिवेशन लाहौर में 1918 एवं 1932 में कराची में 1930 में और शिकारपुर (सिन्ध) में 1934 में सम्पन्न हुए थे। भारतवर्ष के अतिरिक्त श्रीलंका एवं नेपाल देश के भी अनेक वैद्य आयुर्वेद महासम्मेलन से सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं। महासम्मेलन का एक महाधिवेशन 1923 में कोलम्बो में भी सम्पन्न हो चुका है। वर्तमान में पद्मभूषण से सम्मानित वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा महासम्मेलनाध्यक्ष हैं। महासम्मेलन का प्रधान कार्यालय पंजाबी बाग के मार्ग नं. 66 पर प्रायः तीन एकड़ भूमि में तीन भवनों के साथ स्थित है। एक भवन में महासम्मेलन का कार्यालय सभागार पुस्तकालय आदि स्थित है और अन्य दो भवनों में आयुर्वेद का केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान तथा राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ का कार्यालय स्थित है। यहाँ प्रतिदिन रोगियों का रोग परीक्षण तथा निःशुल्क औषधीय वितरण एवं आयुर्वेदीय अनुसंधान के विभिन्न कार्य किये जाते हैं । अस्पताल के बहिरंग विभाग में लगभग 500 रोगी प्रतिदिन रोगी अपना उपचार कराते हैं एवं यहाँ 50 बिस्तरों का अंतरंग विभाग भी है जहाँ जीर्ण व्याधियों हेतु रूग्ण भर्ती होकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं। अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन आयुर्वेद के चतुर्मुख विकास की दिशा में निरंतर प्रयत्नशील हैं ।