सिम्स में संपन्न हुई चिकित्सा शिक्षकों की तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला

बिलासपुर. चिकित्सा महाविद्यालय में दिनांक 28, 29 एवं 30 अक्टूबर 2021 को चिकित्सा शिक्षकों हेतु एनएमसी द्वारा अनिवार्य की गई रिवाइज्ड बेसिक कोर्स वर्कशॉप इन मेडिकल एजुकेशन ट्रेनिंग का आयोजन एमडीयू द्वारा किया गया उक्त ट्रेनिंग समस्त चिकित्सा शिक्षकों हेतु एनएमसी के चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने हेतु समस्त चिकित्सा शिक्षकों हेतु अनिवार्य की गई है उक्त ट्रेनिंग में आब्जर्वर के रूप में एससीबी चिकित्सा महाविद्यालय कटक से एनएमसी द्वारा नीत नियुक्त ऑब्जर्वर डॉक्टर अमरेंद्र नायक के देखरेख में संपन्न हुई। सूक्त कार्यशाला में कुल 30 चिकित्सा शिक्षक को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य एनएमसी द्वारा लागू नए पाठ्यक्रम के पूर्णता इंप्लीमेंटेशन करने हेतु जो भी आवश्यक परिवर्तन है उन्हें वर्तमान चिकित्सा शिक्षकों को बताना एवं उन्हें मैं करिकुलम के अनुसार सेंसटाइजर करना था उक्त प्रशिक्षण का शुभारंभ दिनांक 28 अक्टूबर 2021को सिम शिक्षा महाविद्यालय में संपन्न हुआ। प्रथम दिवस में चिकित्सा शिक्षकों को नए करिकुलम की आवश्यकता क्यों है एवं इंडियन मेडिकल ग्रैजुएट का नया रूप क्या है इसके बारे में डा आरती पांडे द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। डा प्रसेनजीत रावत द्वारा चिकित्सा शिक्षकों को यह भी बताया गया कि नए बनने वाले चिकित्सकों में चिकित्सा कार्य के साथ साथ उनमें नेतृत्व की क्षमता का विकास करना, उन्हें एक अच्छा वक्ता बनाना उनके अंदर सहानुभूति विकसित करना उन्हें उनके पूरे जीवन काल में स्वयं को नवीन चिकित्सा खोजो एवं प्रणालियों के बारे में अद्यतन रखने की आवश्यकता भी बतलाई गई। डा केशव कश्यप द्वारा एमबीबीएस पाठ्यक्रम के चारों व्यवसायिक वर्षों के पाठ्यक्रम में क्या-क्या परिवर्तन किए गए हैं उनकी भी जानकारी दी गई। चिकित्सा शिक्षा को डोमेन एवं विभिन्न नैदानिक क्षमताओं के स्तरों में किस तरह से बांटा गया है इस बात की जानकारी दी गई। कार्यशाला के दूसरे दिन उन्हें डा अमित ठाकुर द्वारा नवीन शैक्षणिक प्राणियों नवीन टीचिंग तकनीकी एवं प्रश्न उत्तरों के स्तरों को किस तरह से निर्धारण करना है इस बात की जानकारी दी गई। छात्रों के असेसमेंट हेतु नई प्राणियों के बारे में चिकित्सा शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। डा शिक्षा जांगड़े द्वारा चिकित्सा शिक्षा में छोटे समूहों में अध्ययन अध्यापन कार्य कराए जाने हेतु उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला के तीसरे दिवस में चिकित्सा के क्षेत्र में नैतिकता का क्या महत्व है इसके ऊपर प्रकाश डाला गया। नवीन चिकित्सकों का रोगियों के प्रति रोगियों के परिजनों के प्रति एवं चिकित्सा टीम के प्रति आचरण व्यवहार कार्यकुशलता के बारे में जानकारी दी गई। कार्यशाला में इस बात पर भी चर्चा की गई की रोगियों एवं चिकित्सकों के बीच वर्तमान में जो लड़ाई ओ की घटनाएं हो रही है उन्हें रोकने हेतु क्या किया जाना चाहिए। प्रशिक्षण में यह बात भी सामने आई कि समाज को बदलना इतना आसान नहीं है इसलिए उन लड़कों को रोकने हेतु चिकित्सकों द्वारा क्या कदम उठाए जा सकते हैं इस बात पर चर्चा हुई। रोगियों के उपचार हेतु रोगियों से संवाद किए जाने का कितना महत्व है एवं किस तरह से एक चिकित्सक को रोगी या उसके परिजन से बात की जानी है इस बात पर भी डॉ प्रशांत निगम द्वारा जानकारी दी गई। नए करिकुलम में इस नए मॉड्यूल को किस तरह से पढ़ाया जाना है एवं छात्रों के असेसमेंट हेतु क्या-क्या गतिविधियां अपनाई जानी है इस बात की जानकारी भी डॉक्टर निगम के द्वारा सभी शिक्षकों को दी गई। प्रतीक कुमार एवं डॉक्टर साहू द्वारा असेसमेंट हेतु अपनाई जाने वाली विभिन्न विधियों का प्रदर्शन किया गया। डॉक्टर ज्योति प्रकाश स्वामी द्वारा चिकित्सा शिक्षकों को नैदानिक विषयों की पढ़ाई एवं उनका एसेसमेंट संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर किस तरह से किया जाना है इस बात की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के अंत में एससीबी चिकित्सा महाविद्यालय कटक से एनएमसी द्वारा नियुक्त ऑब्जर्वर डॉ अमरेंद्र नायक ने अपना फीडबैक प्रस्तुत किया एवं चिकित्सा शिक्षकों द्वारा संपन्न कराए गए इस प्रशिक्षण की उसमें उपयोग किए गए शैक्षणिक सामग्रियों की भूरी भूरी प्रशंसा की। सभी कार्यशाला में भाग लेने वाले चिकित्सा शिक्षकों को एनएमसी के ऑब्जर्वर द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

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