November 24, 2024

भारतीय वानिकी अनुसंधान के द्वारा कृषि विकास पर बलरामपुर जिले के 8 गाँवों में प्रशिक्षण संपन्न

बलरामपुर/धीरेन्द्र कुमार द्विवेदी. जिले के वाड्रफनगर विकास खण्ड में ” द वर्ल्ड बैंक ” के द्वारा पारिस्थितिक तंत्र सेवा सुधार परियोजना (ई.एस.आई.पी.)  के तहत आजीविका सृजन एवं जैव विविधता संरक्षण हेतु लाख की खेती के अंतर्गत सतत् भूमि एवं पारितंत्र प्रबंधन हेतु छत्तीसगढ़ के ई. एस. आई. पी. क्षेत्रो में सतत् भूमि  उत्पादकता हेतु कृषि विकास पर प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न जिसके आयोजक भारतीय वानिकी अनुसंधान केंद्र देहरादून से आये टीम के द्वारा कराया गया ।

जिसमे  भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र सेवा सुधार परियोजना के अंतर्गत सतत् भूमि एवं पारितंत्र प्रबंध हेतु छत्तीसगढ़  के ई.एस. आई. पी. क्षेत्रो में आजीविका सृजन एवं जैवविविधता संरक्षण हेतु लाख की खेती तथा सतत् भूमि  उत्पादकता हेतु एकीकृत कृषि विकास जिसमे जैविक कीटनाशक एवं जैविक उर्वरक बनाने का प्रशिक्षण दिया गया ।

यह प्रशिक्षण छत्तीसगढ़ प्रदेश 35 गांवो में दिया जाना था जिसमे छत्तीसगढ़ प्रदेश के बलरामपुर जिले वाड्रफनगर विकास खण्ड में  आठ गांव चयनित था , जिसमे बलरामपुर वनमण्डल के  रघुनाथनगर वनपरिक्षेत्र  के रमेशपुर ,शंकरपुर , नौगई , गिरवानी , केसारी , रघुनाथनगर तथा बभनी ग्राम पंचायत में परिस्थीकितंत्र  सेवा सुधार परियोजना संचालित की जा रही है । दिनांक 12 मार्च 2020 को ग्राम पंचायत रामेशपुर और शंकरपुर तथा 13 मार्च को केसारी , गिरवानी , शंकरपुर , नवगई , रामेशपुर , रघुनाथनगर और ग्राम पंचायत बभनी  में ग्रामीणों को लाख की आधुनिक पद्धति से खेती  कर प्रति बृक्ष अधिकतर पैदावर कैसे प्राप्त करे इस संबंध में ग्राम मंगल संस्थान सिवनी से पहुचे प्रशिक्षक धनसिंह राहंगडाले तथा जबलपुर ब्रांच से महेंद्र बिसेन  द्वारा ब्यवहारिक एवं  सैद्धान्तिक प्रशिक्षण दिया गया ।

हितग्राहियों को अपने गांव में स्थानीय वनस्पतियो , गाय – गोबर तथा गौ- मूत्र से जैविक खाद ( मृत पानी)  कीटनाशक दवा ( दशपर्णी)  एवं नीम अस्त्र बनाने का प्रशिक्षण डब्लू ओ टी आर संस्था के प्रशिक्षक महेंद्र राठौर और देवेन्द्र वैरागी के द्वारा की गई । इस अवसर पर भारत सरकार के उपक्रम भारतीय वानिकी अनसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून  से आये राघवेंद्र बिसेन , डॉ, निविदिता मिश्रा थपलियाल , सुबास गोदियाल तथा डॉ गुरवीन अरोड़ा के द्वारा क्षेत्र में किये जा रहे कार्यो के महत्व पर बिस्तृत प्रकाश डाला । प्रशिक्षण के दौरान ग्रामीणों को लवकी , कद्दू पालक,  तुरई , धनिया , भिन्डी और मुल्ली के बिज उनके बाड़ी में लगाने हेतु बाटे गए । इस प्रशिक्षण के दौरान राज्य वन विभाग की टीम ने भी भाग लिया ।

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