‘समकालीन हिंदी साहित्य में विविध विमर्श’ पर द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
बिलासपुर. उड़ीसा राज्य के महिला महाविद्यालय झारसुगुड़ा में ‘समकालीन हिंदी साहित्य में विविध विमर्श’ पर द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि पूर्व अध्यक्ष राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ एवं थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार के कुलपति डॉ.विनय कुमार पाठक जी थे।
पांच और छह दिसम्बर तक चले इस दो दिवस संगोष्ठी के मुख्य आसंदी से बोलते हुए डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि विमर्शों के इस दौर में विविध विमर्श वर्तमान समय में प्रासंगिक और उपादेय होते जा रहे हैंl विविध प्रकार के विमर्श के प्रणेता डॉ.विनय पाठक के विमर्शों ने देश दुनिया में तहलका मचा दिया है । दो दर्जन से अधिक शोधार्थियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया है और न जाने कितने लोग विमर्श पर कार्य कर रहे हैं । अलग-अलग प्रांतों से बहुत सारे विद्वानों ने शिरकत की ।
यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत आयोजित किया गया।इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉ.मीना सोनी के अथक प्रयासों से अलग-अलग राज्य से शोधार्थी पहुंचे।छत्तीसगढ़ से विशिष्ट वक्ता के रूप में रमेशचंद्र श्रीवास्तव पूर्व आईएसएस एवं समीक्षक के वक्तव्य ने लोगों का मन मोह लिया।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी एक ऐसा मंच है जहाँ विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ,विद्वान और शिक्षाविद किसी विशिष्ट विषय पर गहन विचार-विमर्श करते हैं,ज्ञान साझा करते हैं और समकालीन मुद्दों का विश्लेषण करते हैं। इसका उद्देश्य किसी क्षेत्र की प्रगति, चुनौतियों और भविष्य की दिशा पर सामूहिक समझ विकसित करना होता है,जैसे साहित्य,भारतीय ज्ञान परंपरा, या लैंगिक समानता जैसे विषयों पर विचार-मंथन करना।
ये संगोष्ठियाँ अकादमिक शोध को बढ़ावा देती हैं और समाज के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर नई दृष्टि प्रदान करती हैं। इसी कड़ी में शिक्षाविद डॉ.गजेंद्र तिवारी ने कहा कि आदिवासी विमर्श एक महत्व पूर्ण अस्मितामूलक आंदोलन है, जो भारत के मूलनिवासी समुदायों के अधिकारों,संस्कृति,जल,जंगल, जमीन और जीवन की सुरक्षा पर केंद्रित है, जिसमें उनके शोषण, विस्थापन और पहचान के संकट को आवाज दी जाती है और यह साहित्य, राजनीति व समाज में उनके संघर्षों, जीवन-पद्धति और ‘अस्तित्व’ को मुख्यधारा के सामने लाने का प्रयास करता है।डॉ.तिवारी ने जल जंगल जमीन पर विशेष प्रकाश डाला ।
विभिन्न राज्यों से आए हुए शोधार्थी एवं विद्वतजन ने अलग-अलग विमर्श स्त्री विमर्श, विकलांग विमर्श , आदिवासी विमर्श , किन्नर विमर्श, परिवार विमर्श आदि विमर्श पर अपने-अपने विचार रखे जिससे समाज में एक नई जागृति आएगी।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के डॉ.सुरेश माहेश्वरी पूर्व कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय उड़ीसा, डॉक्टर चक्रधर त्रिपाठी पूर्व कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय संबलपुर, डॉ कमल कुमार घोष, डॉ. गायत्री बाग,डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी तथा डॉ. स्नेह लता दास सहित बड़ी संख्या में विद्वत जन एवं अलग-अलग राज्य से आए शोधार्थियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महिला महाविद्यालय झारसुगुड़ा के समस्त महाविद्यालय परिवार एवं स्टाफ तथा छात्र-छात्राओं का भरपूर सहयोग रहा। कार्यक्रम का राष्ट्रगान के साथ समापन किया गया।
डॉ. विनय कुमार पाठक
पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़
राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़


