Tamil Nadu के सलेम में अनूठी शादी, 7 जन्मों के बंधन में बंधी ‘Socialism’ और ‘Mamata Banerjee’ की डोर
चेन्नई. आपने अक्सर सुना होगा कि आखिर नाम में क्या रखा है लेकिन जब माता-पिता ही अपने बच्चों का नाम कुछ असामान्य रख दें, तो बच्चे खुद ब खुद मशहूर हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला तमिलनाडु (Tamil Nadu) के सलेम जिले में सामने आया जहां कट्टूर के अमानी कोंडलमपट्टी में कल ‘ममता बनर्जी’ और ‘समाजवाद’ दोनों सात जन्मों के बंधन में बंध गए.
दरअसल दूल्हा ए.एम. ‘समाजवाद’ हैं जो के.ए. मोहन के बेटे हैं. मोहन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के नेता हैं. वहीं दुल्हन ममता के माता-पिता का नाम के. पलानीस्वामी और पी.नीलमबल है जो खांटी कांग्रेसी परिवार से है.
वायरल हुआ था शादी का कार्ड
आपको बताते चलें कि अपने नाम के अनुरूप जिस दिन इनकी शादी का कार्ड छपने के लिए प्रिटिंग प्रेस पहुंचा उसी दिन से उसका ले-आउट मशहूर होने लगा था. वेडिंग कार्ड बंटने के बाद तो वो कार्ड पूरे तमिलनाडु की गलियों में वायरल हो गया. पी ममता बनर्जी ने शादी के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब वो दसवीं क्लास में थी, जब उन्हें अपने नाम का महत्व समझ में आया.
बंगाल की सीएम के बारे में उनकी राय के बारे में पूछे जाने पर दुल्हन ने जवाब देते हुए कहा कि मैंने उन्हें अक्सर खबरों में देखा है. वो एक मजबूत महिला हैं. वहीं 29 साल का दूल्हा, जो दुल्हन का दूर का रिश्तेदार भी है, उसके पास बीकॉम की डिग्री है और वो चांदी की पायल का व्यवसाय चलाता है.
सादगी से संपन्न हुई शादी
शादी की सभी रस्में काफी सामान्य तरीके से संपन्न हुई. दूल्हे ने कहा, ‘उनके नाम से जुड़ी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता उन पर कोई असर नहीं डालेगी. हम एक साथ आने से खुश हैं. चाहे कुछ भी हो जाए, हम जीवन भर साथ रहेंगे.’ इस शादी में तमिलनाडु के सीपीआई (CPI) प्रमुख आर मुथारासन और तिरुपुर (Tirupur) से पार्टी सांसद के सुब्बारायण समेत कई वामपंथी नेता भी शामिल हुए.
रसूखदार हैं दोनों परिवार
पेशे से समाजवाद और लेनिनवाद पायल और चांदी के गहनों के व्यापार में शामिल हैं, वहीं साम्यवाद एक वकील हैं. समाजवाद कहते हैं, ‘मुझे इस बात की खुशी है कि मेरी पत्नी का नाम भी बेहद अनोखा है. उसका नाम पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नाम पर है. उसके माता-पिता कांग्रेस समर्थक हैं और इसलिए उन्होंने अपनी बेटी का नाम ममता बनर्जी रखा, जो एक तेजतर्रार नेता थीं और अब भी हैं. तृणमूल कांग्रेस बनाने से पहले वह कांग्रेस पार्टी के ही साथ थीं.’