US Elections 2020 : चुनाव से पहले वोटर्स के डेटा में ईरानी हैकर्स ने लगाई सेंध, मचा हड़कंप
नई दिल्ली. जैसे-जैसे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Elections) की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे वोटर्स के डेटा पर सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा है. चुनाव में अब महज 4 दिन का समय रह गया है और इससे पहले यहां के वोटर्स की डिटेल्स हैक होने के मामले सुनने में आ रहे हैं. हाल ही में अमेरिका की स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी एफबीआई और होमलैंड सिक्योरिटी की साइबर स्पेस एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (CISA) ने चुनाव से पहले हैकिंग को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है.
इन-मेल वोटिंग से बढ़ा डेटा ब्रीच का खतरा
अमेरिका में 3 नवंबर को होने वाले चुनावों में रिपब्लिकन उम्मीदवार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिग पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन का मुकाबला है. मालूम हो कि चुनाव से पहले ही अमेरिका में अर्ली-वोटिंग हो चुकी है जिसमें 80 मिलियन लोग पहले ही मेल के जरिए अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं. इसी बीच इन-मेल वोटिंग में वृद्धि के साथ डेटा ब्रीच का खतरा बढ़ गया है. जाननकारी के लिए बता दें कि इन-मेल वोटिंग वह प्रक्रिया है जिसमें मेल के जरिए वोट भेजे जाते हैं.
ट्रंप समर्थकों पर हैकर्स की नजर
कुछ हफ्ते पहले FBI और CISA ने खुलासा किया था कि कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठन (private) मतदाताओं की डिटेल्स को हैक करने की कोशिश कर रहे थे. शुक्रवार (30 अक्टूबर) को, दो सुरक्षा संगठनों ने पुष्टि की है कि उन हैक्स की शुरुआत ईरानी हैकर्स (Iranian hackers) द्वारा की गई थी. हैकिंग में अमेरिकी मतदाताओं को भेजे गए कई ईमेल शामिल हैं. ये मेल रैंडम बेसिस पर चुने गए थे. इंवेस्टिगेटिव एजेंसी के अनुसार, इन मेल में ट्रंप समर्थक होने का दावा किया जा रहा है. मेल में एक वीडियो संदेश भी दिखाया गया था, जहां हैकर्स ने दर्शकों से मतदाता पंजीकरण रिकॉर्ड तोड़कर अराजकता पैदा करने का आग्रह किया था.
हैकर्स ने स्कैन किए अमेरिका के राज्य
FBI ने कहा कि हमने पुष्टि की है कि कम से कम एक राज्य में वेबसाइट के दुरुपयोग करके मतदाता पंजीकरण डेटाबेस तक पहुंच प्राप्त की गई है. हालांकि यह नहीं बताया गया है कि हैकर्स ने अमेरिका के किस राज्य के वोटर्स के डेटा में सेंध लगाई गई है. वहीं, अमेरिका के अलास्का राज्य के लोकल नागरिकों ने हैकिंग का दावा किया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुरक्षा संगठनों (Security Organisations) ने यह भी दावा किया कि ईरानी हैकर्स ने अमेरिका के 10 राज्यों के वोटर्स के डेटा को स्कैन किया है, लेकिन अभी तक इस बात की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है.