कुलपति प्रो. शुक्ल ने मनाया छठ महापर्व
वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, श्रभ्मती कुसुम शुक्ला ने आर्वी रोड के येलाकेली के धाम नदी, सुकलीबाई के नदी के किनारे तट पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर भव्य पूजा-अर्चना के साथ छठ पूजा मनाया।
सुकली मंदिर परिसर स्थित नदी में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कर्मियों ने आराध्य देव भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य देकर भी छठ पूजा की। छठ पूजा में डॉ. चतुर्भुज नाथ तिवारी, प्रो. के.के. सिंह, प्रो. मनोज कुमार, आनंद भारती, डॉ. सुप्रिया पाठक, डॉ. मिथिलेश कुमार तिवारी, संजय कुमार तिवारी, डॉ. मुन्नालाल गुप्ता, डॉ. अजय मणि त्रिपाठी, संजय राय, डॉ. जयंत उपाध्याय, संदीप राय, डॉ. बीरपाल सिंह यादव, डॉ रोमसा शुक्ला, अपर्णेश शुक्ल, डॉ. जगदीश नारायण तिवारी, डॉ. राजेश्वर सिंह, डॉ. अशोकनाथ त्रिपाठी, प्रो नृपेन्द्र प्रसाद मोदी, गिरीश चंद्र पांडेय, प्रो. प्रीति सागर, डॉ. अमित कुमार विश्वास, डॉ. गौरी शर्मा, डॉ. शिल्पी कुमारी, डॉ. रवि कुमार, डॉ. अनिर्बाण घोष, डॉ. सूर्य प्रकाश पांडेय, भालचंद्र सिंह, अतुल सोबती, राजीव पाठक, डॉ. रणंजय सिंह, संध्या सिंह, डॉ. कुलदीप पांडेय, डॉ. ममता कुमारी, नीलम सिंह, प्रमीला पाठक, रचना श्रीवास्तव, दिव्या तिवारी, रेणु सोबती, संतोष पांडेय, प्रतिमा पांडेय, वंदना तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
वर्धा शहर के बिहारी व उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के नागरिकों द्वारा छठ पूजा की गई। वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी व कर्मचारी छठ पूजा का पर्व मनाते हैं। छठ पूजा के दो दिन तक अपने अपने घरों में तथा दो दिन आवीं रोड के येलाकेली स्थित धाम नदी के किनारे व पवनार स्थित धाम सुकलीबाई के नदी के किनारे सूर्यास्त तथा सूर्योदय को अर्घ्य देकर छठ पर्व मनाया।
छठी माता प्रसन्न होकर परिवार में सुख, शांति, धन-धान्य से पूरिपूर्ण करती है। सूर्यदेव की पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ठ फल की प्राप्ति होती है। महापर्व कार्तिक छठ का अनुष्ठान नहाए- धोए शुक्रवार से आरंभ हुआ। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी छठव्रती अनुराधा नक्ष सौभाग्य व शोभन योग के युग्म संयोग में नहाय-खाय का व्रत किया। पूरी पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरबा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आवला की चटनी आदि ग्रहण कर अनुष्ठान को आरंभ किया। 30 अक्टूबर को सूर्यास्त तथा 31 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को धृति योग के साथ रवियोग में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व छठ अनुष्ठान संपन्न हुआ। व्रती का 36 घंटे से चले आ रहे निर्जला उपवास भी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। सूर्य को अर्ध्य देने के साथ व्रती ने पारण किया।