VIDEO : सिम्स में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाने के नाम पर की जाती है आनाकानी

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. आवारा कुत्ते के काटने पर सरकारी अस्पताल में लगाये जाने वाला एंटी रैबीज इंजेक्शन के लिए पीडि़तों को भटकना पड़ रहा है। सरकारी अस्पतालों में इसे नि:शुल्क लगाने की व्यवस्था है। सिम्स अस्पताल में इसके लिए अलग से काउंटर रखा गया है। दोपहर दो बजे के बाद काउंटर बंद होने पर आपातकालीन वार्ड में इंजेक्शन की व्यवस्था रखी गई है। बावजूद इसके सिम्स कर्मी इसे लगाने के नाम पर आना कानी करते हैं। अधिकांश लोग तो निजी मेडिकल स्टोर से ही खरीदते हैं। कुत्ता काटने के 72 घंटे के भीतर इस एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है। लापरवाही बरतने वाले कई लोगों की जाने तक जा चुकी है ऐसे में अगर सरकारी अस्पताल के कर्मचारी इसे लगाने के नाम पर नियमों का हवाला देते हैं तो पीडि़तों के साथ साथ उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मगरपारा निवासी जुनेद खान आयु 27 वर्ष को बीते रविवार की रात अवारा कुत्ते ने काट लिया तो वह तत्काल अपने दोस्तों के साथ सिम्स अस्पताल एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंचा। यहां उपचार तो दूर उनके साथ सीधे मुंह बात तक नहीं किया गया। इस दौरान हो-हल्ला की स्थिति भी निर्मित हुई। सरकारी अस्पताल में आम लोगों के साथ जो बर्ताव किया जाता है यह बात किसी से छिपी नहीं है। ले- देकर जुनेद के साथ गए उसके दोस्तों ने निजी मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन खरीदा तब जाकर सिम्स के कर्मचारियों ने उपचार किया। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग तो ऐसे कुत्ता काटने के मामले में अस्पताल तक नहीं आते।
सिम्स अस्पताल का निर्माण लोगों की सहायता करने के लिए किया है लेकिन यहां घोर लापरवाही बरती जाती है। सीधे तौर पर पैसे की मांग अस्पताल में खुलेआम जा रही है। कोरोना काल में भी लाश बदलने के नाम पर यहां जमकर हो हंगामा हुआ था। मेडिकल अस्पताल में उपचार व्यवस्था को लेकर आये दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने के कारण उनके हौसले बुलंद हैं।
मालूम हो कि जून 2018 में सिम्स अस्पताल में मरीज की मौत के बाद भी घंटो तक उसका उपचार किया जाता रहा। ऑक्सीजन और बाटल लगाकर मृतक के परिजनों को गुमराह किया गया। इस दौरान भी भारी हंगामा हुआ था मीडिया में प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गई थी। जिम्मेदार अधिकारियों की शह में दलाल गिरोह सक्रिय है जो सिम्स आये मरीजों को बहलाकर निजी अस्पतालों में दाखिल करा रहे हैं। कमीशन के चक्कर में भोले-भाले मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।