VIDEO – बीजेपी का जेल भरो आंदोलन : हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं ने दी गिरफ्तारी

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. भारतीय जनता पार्टी द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला गया। सभा, समारोह व धरना प्रदर्शन पर सरकार द्वारा नया नियम लागू किया गया है जिसका भाजपा द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है। बिलासपुर में आज हजारों की संख्या में भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी। स्थाई जेल की व्यवस्था नहीं होने के कारण जिला प्रशासन द्वारा औपचारिक गिरफ्तारी दर्ज की गई है। विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और भाजपा कार्यकर्ताओं में झूकाझटकी की स्थिति निर्मित भी हुई लेकिन हल्का लाठीचार्ज कर पुलिस ने  माहौल को शांत करा लिया है।

नेहरू चौक में भाजपा द्वारा विरोध प्रदर्शन और गिरफ्तारी को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया उसके बाद हजारों की संख्या में कार्यकर्ता अपनी गिरफ्तारी देने कलेक्टर कार्यालय की ओर आगे बढ़े। इस दौरान पुलिस ने बीच रास्ते में ही भाजपाइयों को रोक लिया गया। जेल भरो आंदोलन का नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, विधायक कृष्णमूर्ति बांधी, विधायक रजनीश सिंह, हर्षिता पांडे, रामदेव कुमावत ने किया। नेहरू चौक में सुबह साढ़े 10 बजे से ही जिले भर के भाजपा कार्यकर्ता व पदाधिकारी हजारों की संख्या में एकत्र हुये। पूर्व नियोजित आंदोलन के तहत पुलिस द्वारा चाक चौबंद व्यवस्था की गई थी। नेहरू चौक के आगे कलेक्टोरेट मार्ग को घेर दिया गया था।

भाजपा के पदाधिकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लोकतंत्र को कुचला जा रहा है। मिनी आपातकाल के माध्यम से राज्य सरकार अभिव्यक्ति का हनन कर रही है। साढ़े तीन साल के कार्यकाल में सरकार पूरी तरह से असफल हो चुकी है, इसलिये जन आवाज को दबाने के लिये तुगलकी फरमान जारी कर मनमानी करने पर उतारू हो चुकी है। 22 अप्रैल को सरकार द्वारा एक नया सर्कुलर जारी किया गया है जिसमें संविधान के नियमों का खुला उल्लंघन किया गया है। इस काला कानून को जब तक भूपेश सरकार द्वारा वापस नहीं लिया गया तो भाजपा के कार्यकर्ता लोकतंत्र की रक्षा के लिये आंदोलन जारी रखेंगे। पूरे राज्य में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी और काला कानून को वापस लेने धरना प्रदर्शन कर जेल भरो आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं।

मालूम हो कि भूपेश सरकार द्वारा प्रदेश भर के सभी निजी, सार्वजनिक, धार्मिक, राजनीतिक, अन्य संगठनों द्वारा प्रस्तावित आयोजनों पर जिसमें भीड़ आती हो उसे रोकने के लिये 19 बिंदुओं की शर्ते लगाई गयी है और उसका कठोरता से पालन सुनिश्चित करने को कहा है। इस पर भाजपा ने कहा कि  इन शर्तों का पूरी तरह पालन कर कोई भी बड़ा धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक आयोजन संभव ही नहीं है। अत: सीधे तौर पर सरकार यह चाहती है कि जन संगठनों के विरोध प्रदर्शनों को असहमति की आवाज को, विपक्ष को, धार्मिक भावनाओं को, अभिव्यक्ति की आजादी को कुचल दे। कांग्रेस का ऐसा करने का इतिहास भी रहा है, आपातकाल लगा कर उसने हमे जीने तक के अधिकार से वंचित कर दिया था। जारी आदेश में सबसे आपत्तिजनक और असंवैधानिक बिंदु आयोजकों से हलफनामा लिया जाना है।

उसके बाद आयोजन के दौरान किसी भी तरह का कथित उल्लंघन होने पर सीधे उन पर कानूनी कार्यवाही होगी। मतलब अब प्रदेश में हर कार्यक्रम अंतत: शासन के रहमोकरम पर निर्भर है। आखिर कोई शासन अपने ही खिलाफ किसी प्रदर्शन के लिये अनुमति क्यों देगा? पूर्व मंत्री अमर अग्र्रवाल ने सीधे तौर पर कहा कि कांग्रेस सरकार अपनी मर्जी से चलाएगी जिस पर इच्छा होगी पर कार्यवाही की जायेगी और अपने लोगों को छूट देगी। राज्य सरकार अपने घोषणा के अनुसार काम नहीं कर पा रही है तो विपक्ष आवाज उठाती है।

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