November 26, 2024

VIDEO : मंझगांव में दशहरा के दो दिन बाद भी नहीं हुआ रावण दहन, ग्रामीणों में आक्रोश


बिलासपुर/अनिश गंधर्व. बुराई पर अच्चाई की जीत का पर्व विजयादशमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया। रामायण के अनुसार लंकापति रावण के अंत होने के साथ ही इस दिन का विशेष महत्व है। इस दिन आदमी अपने अंदर की सारी बुराईयों को नष्ट का अच्छाई के रास्ते को अपना लेता है। यहां बिलासपुर जिले के अंतर्गत आने वाले कोटा ब्लाक के एक गांव मझगांव में अजीबो- गरीब मामला सामने आया है। सरपंच की मनमानी के चलते रावण दहन का कार्यक्रम नहीं मनाया जा सका। रावण का पुतला बनवाकर गांव के स्कूल प्रागंण में खड़ा किया गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सरपंच पति व पंचों ने जानबुझकर गांव की पुरानी परंपरा को हमेशा के लिये बंद करने की योजना बनाई है। इसका जवाब सरपंच पति पंचायत सचिव और पंचों को देना होगा, नहीं तो इस्तीफा देना होगा। ग्रामीणों में इसे लेकर आक्रोश व्याप्त है। अभी भी रावण का पुतला स्कूल प्रागंण में रखा हुआ है। इस मार्ग से गुजरने वाले लोग रावण के पुतले को जिंदा देखकर सोचने को मजबूर हो गये है कि आखिर क्या कारण है कि विजयादशमी के दो दिवस बाद भी रावण का दहन क्यों नहीं किया गया है?

कोटा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले मंझगांव के ग्रामीणों का कहना है कि आखिर क्यों हमारे गांव में दशहरा का पर्व सरपंच के द्वारा मनाने नहीं दिया गया। क्यों हमारी धार्मिक आस्था पर ठेस पहुंचाया गया, इस बात का जवाब सरपंच क्यों नहीं दे रहा है। हमारे गांव की वर्षों पुरानी परंपरा रही है हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाया जाता रहा है। अब दो दिन बीत जाने के बाद भी रावण का पुतला खड़ा हुआ है। सरपंच को इसका जवाब हर हाल में देना होगा, नहीं तो उसे इस्तीफा देना होगा। हम चाहते हैं हमारे गांव का मामला है इसलिये मामले की शिकायत हमारे द्वारा कहीं और नहीं की गई है। गांव का मामला गांव में ही सुलझ जाये तो अच्छा होगा नहीं तो इसका परिणाम सरपंच को भुगतना होगा।

इधर इस मामले में सरपंच पति अर्जून भगत से चंदन केसरी संवाददाता ने पूछा कि आपके गांव में विजयदशमी का पर्व दो दिन बीत जाने के बाद भी क्यों नहीं मनाया जा सका तो उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा पूरी तैयारी कर ली गई थी लेकिन ऐन वक्त में गांव के 30-40 युवकों द्वारा विरोध किया गया जिनके भय के कारण रावण दहन का कार्यक्रम रद्द हुआ है। उनके द्वारा मांग किया जा रहा था कि माता चबुतरा निर्माण के लिये ढाई लाख रूपये और भूमी पूजन तत्काल किया जाये। ग्रामीणों की मांग जायज है लेकिन किसी धार्मिक कार्यक्रम और विकास कार्य के लिये राशि उपलब्ध कराना दोनों अलग-अलग मामले हैं। बहरहाल बैठक कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है।

रामलीला का होता था आयोजन
ग्रामीणों ने बताया कि कोटा और बेलगहना के बीच में हमारा गांव है। इसलिये यहां रावण दहन कार्यक्रम के दिन मेला जैसा माहौल रहता है। आस पास के गांवों से ग्रामीण रामलीला देखते थे इसके बाद रावण दहन किया जाता था। इस बीच पुलिस की भी मौजूदगी रहती है। सरपंच पति ने गांव की वर्षों पुरानी परंपरा को रद्द कर धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाया है। मंझगांव में रावण दहन कार्यक्रम रद्द होने से आस-पास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों में भी आक्रोश है।

अनजान नहीं है सरपंच
ग्राम मंझगंवा में महिला सरपंच के पति अर्जून भगत ने बताया कि सरपंची का हमारा दूसरा कार्यकाल है। इससे पहले कभी भी इस तरह की स्थिति निर्मित नहीं होती थी। इधर ग्रामीणों का कहना है जब सरपंच को अच्छी तरह से मालूम है कि दशहरा का पर्व गांव में धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन रामलीला का आयोजन भी किया जाता है इसके बाद भी इस पर्व को मनाने के लिये वे तैयार नहीं है। अपने ही पंच के माध्यम से रावण का पुतला बनवाकर आनन फानन में जलाने का प्रयास किया गया। गांव की वर्षों पुरानी परंपरा से सरपंच अंजान नहीं है बल्कि वे जानबूझकर धार्मिक आस्था को कुचलने का प्रयास कर रहे हैं।

गांव में हुई बैठक
गांव वालों ने आपस में बैठक की। इस बैठक में ग्रामीणों का कहना था कि दशहरा पर्व मनाने के लिये पंचायत के पास पैसे नहीं थे तो हमको बता देते। हम आपस में चंदा कर दशहरा पर्व मना लेते। गांव वालों को अंधेरे में रखा गया जिसके चलते वर्षों पुरानी परंपरा टूटी है। इसके लिये सरपंच और पंच जिम्मेदार हैं।

रावण दहन कार्यक्रम को लेकर गांव में थोड़ा विवाद हुआ है। बैठक कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है।
-रामकुमार मिश्रा, पंचायत सचिव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous post पत्थलगाँव की घटना के विरोध में भाजपा युवा मोर्चा उत्तर मंडल ने जलाया मुख्यमंत्री का पुतला
Next post सरकंडा पुलिस ने क़ी DJ पर कार्रवाई
error: Content is protected !!