लॉकडाउन में त्रस्त हैं ग्रामीण पैदल ही चले अपने घरों को

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बिलासपुर. विकासखंड मस्तूरी के खम्हरिया ग्रामीण क्षेत्रों में हर पैदल चलते ग्रामीण के जुबान पर बस एक बात है क्या ऐसे दिन भी सपने में कभी देखें थे कि हम अपनों के साथ रह नहीं सकते घरों से बाहर निकल नहीं सकते और मार्ग सुना ना गाड़ी है ना बस है अपनों के मौतों में नहीं जा सकते ना कमाने जा सकते हैं ।आखिर कब तक ऐसे वही कमाएगे नहीं तो अपने परिवार को खिलाएंगे क्या यह है सवाल हर चलने वाले राहगीर व ग्रामीणों का जो की रोज़ सुबह-सुबह के समय बिलासपुर सीपत बलौदा मुख्य सड़कों पर ऐसे कई लोग अपने परिवार के साथ चलते मिलेगें । जंहा अपने साथ छोटे बच्चों समान को साथ सैकड़ों किलोमीटर लेकर पैदल चलते हुए अपने घरों के तरफ जातें दिखाई देगें वही पूछने पर बस एक ही जवाब क्या करेगें क्या नही कुछ पता नहीं अब तो जिंदगी से तंग आ गए हैं पिछले साल कमाने गए जंहा कोरोना संक्रमण लांकडाउन के कारण बिन कमाऐ वापस आ गए फिर कुछ दिनों पहले गए जंहा फिर कोरोना महामारी के कारण वापस आ गए अब क्या करें समझ में नहीं आ रहा है सरकार खाली कोरोना महामारी कर रहे हैं लेकिन हम जैसे गरीब परिवारों से कभी पूछते हैं कि लांकडाउन से परेशानी क्या है तो हम बताते वही स्थानीय ग्रामीण नागरिकों में भी कोरोना संक्रमण का भय सता रहा है जंहा हर किसी को राशन सब्जी जैसे रोज मर्रा चीजों  की जरूरत है जंहा लगातार लांकडाउन बढ़ने से काफी परेशानी उत्पन्न हो रहा है।

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