हड्डियों को कमजोर कर देती है विटामिन D की कमी, इन चीजों को खाने से मिलेगा फायदा
शरीर के लिए हर एक विटामिन की अपनी अलग भूमिका है. जिस तरह से शरीर के लिए अन्य विटामिन्स की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार विटामिन डी भी शरीर के लिए कई तरह से महत्वपूर्ण माना जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द के अलावा मांसपेशियों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है. कई गंभीर मामलों में अर्थराइटिस, रिकेट्स और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा हो सकता है. इसलिए शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होने देना चाहिए.
क्यों होती है विटामिन डी की कमी
डाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह कहती हैं कि उल्टा सीधा खानपान और गलत लाइफस्टाइल के चलते विटामिन डी की कमी होती है. इसे सनशाइन विटामिन भी कहते हैं, लेकिन सूर्य विटामिन डी का एकमात्र सोर्स नहीं है. खानपान की कुछ ऐसी चीजें हैं जो विटामिन डी के बेस्ट सोर्स माने जाते हैं.विटामिन डी से भरपूर फूड डायबिटीज के खतरे को दूर रखने में मदद कर सकते हैं.
विटामिन डी की कमी के लक्षण
- बॉडी में हमेशा थकान रहना
- हड्डियों और कमर में दर्द रहना
- घाव या चोट का ठीक नहीं होना
- तनाव में रहना
- हेयर फॉल
विटामिन डी से भरपूर चीजें
अंडा का सेवन
अंडे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. इनमें प्रोटीन, विटामिन डी, कैल्शियम और कई तरह के मिनरल्स होते हैं. विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए इन्हें आप ब्रेकफास्ट में शामिल कर अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं.
दूध का सेवन
हमें बचपन से ही हमें दूध पीने की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि दूध में कैल्शियम और विटामिन डी की भरपूर मात्रा पाई जाती है. दूध विटामिन डी की कमी को पूरा करने में मदद करता है.
पालक का सेवन
पालक, प्रोटीन और विटामिन डी से भरपूर होता है. इसका सेवन करने से शरीर में विटामिन डी के साथ कई अन्य पोषक तत्वों की कमी भी पूरी होती है. आपको नियमित तौर पर इसका सेवन जरूर करना चाहिए.
पनीर का सेवन
पनीर एक ऐसी चीज है, जो विटामिन डी और कैल्शियम का रिच सोर्स है. इसके सेवन से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं. इसके नियमित सेवन से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं.
सोयाबीन का सेवन
सोयाबीन में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी, ओमेगा- 3 फैटी एसिड, आयरन, विटामिन बी, जिंक, फोलेट, सेलेनियम आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है.