महामारी के मामलों में क्या होती है R वैल्यू?, Omicron के बढ़ते खतरे के बीच जिसका कम होना है जरूरी
नई दिल्ली. पिछले कुछ दिनों में देश में कोरोना संक्रमण के नए मामले अचानक तेजी से बढ़े हैं. इसके नए वेरिएंट ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों ने भी टेंशन बढ़ा दी है. इसी के बीच भारत की R-naught या R0 वैल्यू भी बढ़नी शुरू हो गई है. यह वैल्यू 1 से ऊपर निकल गई है. इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं.
तो आखिर R-naught या R0 वैल्यू क्या है? इसके घटने या बढ़ने का क्या मतलब होता है? कोरोना से आखिरकार इसका क्या कनेक्शन है? इन सभी सवालों के जवाब आइए यहां जानते हैं.
क्या है R-naught वैल्यू?
सबसे पहले जानते हैं कि आर-नॉट यानी R0 वैल्यू है क्या? दरअसल, ये एक मैथमेटिकल टर्म है जो बताता है कि कोई वायरस कितना ज्यादा संक्रामक है. इसमें मामूली से मामूली बदलाव भी काफी मायने रखता है. आर नंबर या वैल्यू का 1 पर होना इसमें काफी अहम है. वैल्यू के 1 के ऊपर या नीचे जाने पर पूरा खेल बनता और बिगड़ता है.
R वैल्यू यानी रीप्रोडक्शन वैल्यू. यह बताती है कि कोरोना से इन्फेक्टेड एक व्यक्ति से कितने लोग इन्फेक्ट हो रहे हैं या हो सकते हैं. अगर R वैल्यू 1 से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि केस बढ़ रहे हैं और अगर 1 से कम हो रही है तो ये केसेज घट रहे हैं.
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर 100 व्यक्ति इन्फेक्टेड हैं और वे 100 लोगों को इन्फेक्ट करते हैं तो R वैल्यू 1 होगी. पर अगर वे 80 लोगों को इन्फेक्ट कर पा रहे हैं तो यह R वैल्यू 0.80 होगी.
R वैल्यू बढ़ना कितना चिंताजनक?
R वैल्यू का सीधा-सीधा संबंध केसेज बढ़ने या कम होने की रफ्तार से है. केसेज कम होने के लिए जरूरी है कि R वैल्यू 1 से कम हो. देश की R वैल्यू भले ही अभी 1 से कम हो, लेकिन कई राज्यों में ये 1 से ज्यादा है जो हमारे लिए चिंता की बात है.
भारत की लेटेस्ट R-naught वैल्यू
नीति आयोग के एक्सपर्ट वीके पॉल के अनुसार, भारत की R-naught या R0 वैल्यू अभी 1.22 है. 30 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में NITI Aayog के सदस्य (हेल्थ) डॉ वी के पॉल ने कहा था कि पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के प्रसार में बढ़ोतरी हुई है. यानी संक्रमण की दर कुछ राज्यों में तेजी से बढ़ रही है.
इसी दौरान भारत की आर वैल्यू 1.22 (India R Value) बताई गई थी. भारतीय एजेंसियों को पिछले कुछ हफ्तों में इस R वैल्यू में बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसका सीधा मतलब ये है कि अब केस घटने के बजाय तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं भारत के कुछ शहरों में R-naught वैल्यू 2 से ज्यादा पहुंच गई है.
राज्यवार R-naught वैल्यू
R वैल्यू को लेकर इंडियन इंस्टीयूट ऑफ मैथमेटिकल साइंसेज (IIMS) के 2 दिसंबर तक के आंकड़े बताते हैं कि तेलंगाना, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और मिजोरम में R वैल्यू 1 से ऊपर थी. कर्नाटक में एक हफ्ते के दौरान R वैल्यू 0.94 से बढ़कर 1.09 हो गई है. तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु की R वैल्यू भी बढ़ी है. हालांकि, ज्यादा केस आने के बावजूद केरल की R वैल्यू 0.88 है.
वहीं महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर गिरिधर बाबू ने कुछ समय पहले कहा था कि बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, त्रिपुरा, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मणिपुर और नगालैंड में R0 वैल्यू राष्ट्रीय औसत 0.89 से ऊपर पहुंच गई है.
देश में कुछ इस तरह बढ़ी R0 वैल्यू
2 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में महाराष्ट्र में R0 वैल्यू 0.7 थी जो धीरे-धीरे बढ़कर 0.82 (14 नवंबर) और 0.96 (22 नवंबर) पहुंच गई. 29 नवंबर और 6 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में इसमें थोड़ी सी गिरावट दिखी और ये क्रमशः 0.92 और 0.85 पहुंच गई. हालांकि, पिछले दो हफ्तों में महाराष्ट्र में RO फिर से बढ़ने लगी है. 19 दिसंबर को यह वैल्यू 1.08 पहुंच गई. दिल्ली की आर-वैल्यू 23-29 दिसंबर के बीच 2.54 थी, जबकि मुंबई के लिए यह 23-28 दिसंबर के बीच 2.01 थी.
किस आधार पर होता है महामारी का आंकलन?
कोई महामारी कितनी गंभीर है, इसे मापने के लिए 3 पैमानों का इस्तेमाल किया जाता है – R वैल्यू, केसेज की संख्या (Number of cases) और सिविरिटी यानी गंभीरता. इसके साथ ही कितने मरीज मिल रहे हैं और कुल मरीजों में से कितने मरीजों में गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं, इस आधार पर किसी महामारी के खतरे को मापा जाता है.