जम्मू-कश्मीर को कब तक मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा… सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र बहाल करना जरूरी

जम्मू. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इन याचिकाओं पर कल सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कड़क सवाल पूछा कि कब तक जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा। कोर्ट ने सरकार से समय सीमा और रोडमैप बताने को कहा है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का पैâसला स्थायी नहीं था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब हालात सामान्य हो जाएंगे तो जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को साफ करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की समय सीमा और रोडमैप क्या है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र बहाल करना जरूरी है। बता दें कि पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के पैâसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले १२ दिनों से सुनवाई जारी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने २८ अगस्त को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अनुच्छेद ३५ए को नागरिक अधिकारों का हनन करने वाला बताया था। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद ३५ए के तहत जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार मिले थे, लेकिन इस अनुच्छेद की वजह से देश के अन्य लोगों के तीन बुनियादी अधिकार छीन लिए गए। उनमें अन्य राज्यों के लोगों के कश्मीर में नौकरी करने, जमीन खरीदने और बसने के अधिकार का हनन हुआ। गौरतलब है कि सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि २०१९ में पुलवामा में आतंकी हमला होने के बाद ही केंद्र को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और उसे भारतीय गणराज्य में मिलाने के बारे में सोचना पड़ा।

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