July 1, 2024

WHO का दावा- वैक्सीन की डोज लेने वाले भी हो सकते हैं Delta का शिकार, दूसरों तक फैला सकते हैं COVID का प्रसार

WHO के अनुसार, जो लोग वैक्सीन की दोनों डोज भी लगवा चुके हैं, वे भी डेल्टा के संपर्क में आ सकते हैं और दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं।

कोरोनावायरस की दूसरी लहर के कारण हुई तबाही और लगातार हो रहे म्यूटेशन से पैदा हो रहे नए-नए वेरिएंट्स ने सरकार सहित हेल्थ केयर सिस्टम की भी चिंता बढ़ी दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से पहले ही डेल्टा वेरिएंट को वायरस ऑफ कंसर्न घोषित किया जा चुका है। इसके बाद से भारत सहित कई देश तीसरी लहर से निपटने की कोशिश में जुट चुके हैं। मौजूदा दौर में डेल्टा से बचाव एक मात्रा तरीका है- टीकाकरण। हालांकि, ताजा शोध की रिपोर्ट्स में ये बात साबित हो चुकी है कि वैक्सीन लगवा चुके लोग भी डेल्टा वेरिएंट की चपेट में आ सकते हैं और एसिम्टोमैटिक बनकर दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं।

​डेल्टा वेरिएंट पर कितने प्रभावी हैं COVID के टीके?

कोरोनावायरस के टीके मुख्य तौर पर पिछले साल संक्रमण फैलाने वाले COVID स्ट्रेन को लेकर बनाए गए थे जिसकी बदौलत दुनिया भर में तबाही मची हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, नए म्यूटेशन की मदद से डेल्टा वेरिएंट सहित नए उभरते वेरिएंट में वैक्सीन द्वारा बनने वाली एंटीबॉडी को पार करने की क्षमता है।

वैज्ञानिकों ने यह भी चिंता जताई है कि नए वेरिएंट में ऐसे गुण होते हैं जो अपना इम्यून सिस्टम के अटैक से भी बचाव कर सकते हैं। वैक्सीन पिछले वायरस से आपकी पूरी तरह से सुरक्षा करती है। हालांकि, रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) ने हाल ही में दावा किया है कि रूस की स्पूतनिक V (Sputnik-V) भारत में मिले डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant Coronavirus) के खिलाफ ज्यादा असरदार है।

​क्या वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी है डेल्टा का खतरा?

कोविड के नए वेरिएंट्स से बढ़ रहे जोखिमों से खुद का बचाव करने के लिए वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है। लेकिन ऐसी खबरें आई हैं कि आप अभी भी डेल्टा वेरिएंट के संपर्क में आ सकते हैं। भले ही आपने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली हों, लेकिन अब भी आप वायरस से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं।WHO की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, ‘ऐसी खबरें आ रही हैं कि टीकाकरण करा चुकी आबादी में भी संक्रमण फैल रहा है, ये लोग खासकर डेल्टा वेरिएंट के संपर्क में आए हैं। इनमें से अधिकांश माइल्ड या एसिम्टोमैटिक सिम्टम्स हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया के कुछ हिस्सों में अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बढ़ रहा है। ज्यादातर उन जगहों पर डेल्टा फैल रहा है जहां पर वैक्सीनेशन रेट कम है।

​क्या वे Silent carriers हैं?डॉ. स्वामीनाथन के अनुसार, वैक्सीन लगवा चुके लोग अभी भी बीमारी के संपर्क में आ सकते हैं और वायरस को दूसरों तक भी पहुंचा सकते हैं। यही वजह है कि वह लोगों से मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील की जा रही है।

इसके अतिरिक्त, हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक डॉ एंथोनी फौसी ने भी कहा, ‘ये संभव है कि एक फुली वैक्सीनेटेड व्यक्ति COVID का एसिम्टोमैटिक कैरियर हो सकता है और दूसरों को संक्रमित कर सकता है।’

​किन्हें है सबसे ज्यादा खतरा?

जानकारों का मानना है कि सभी वेरिएंट्स में डेल्टा वेरिएंट सबसे घातक है। अभी तक, जो युवा हैं, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है या जिन्हें सिर्फ एक डोज ही लगा है उन्हें डेल्टा का अधिक जोखिम है। जबकि पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों को लेकर अभी ये नहीं कहा जा सकता है कि वे डेल्टा के संपर्क में आएंगे। दोनों डोज यह निश्चित रूप से व्यक्ति में अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम कर सकता है।
​अपनी और दूसरों की सुरक्षा कैसे करें?दोनों डोज लगवा चुके लोगों को कोविड के गंभीर सिम्टम्स होने का खतरा कम होता है, लेकिन वे एसिम्टोमैटिक बनकर अभी दूसरों तक कोविड का प्रसार कर सकते हैं। इसलिए आपको अभी भी कोविड के सभी प्रोटोकॉल का पालन करना जरूरी है। अभी भी सभी लोगों को मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बेहद जरूरी है। साथ ही अपने बच्चों को ऐसे लोगों के संपर्क से बचाएं जो पहले से हेल्थ समस्याओं से पीड़ित हैं और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से भी रोकें।

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