Ekadashi पर क्यों नहीं खाया जाता चावल? जानिए इसके पीछे का असल कारण


नई दिल्ली. हर महीने के दोनों पक्षों में एकादशी (Ekadashi) आती है. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन श्रद्धालु विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं. वजह क्या है.

हर महीने 2 बार आती है एकादशी

एकादशी के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए. इस दिन व्रत, जप- तप और दान पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. एकादशी (Ekadashi) पर सात्विक भोजन करना चाहिए और चावल नहीं खाना (Why not eat rice on Ekadashi) चाहिए. इस दिन चावल न खाने की वजह क्या है. ये आज हम आपको (Ekadashi Fasting Rule) बताते हैं.

महर्षि ने किया था शरीर का त्याग

पौराणिक कथा के अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था. इसके बाद उनके शरीर के अंग धरती में समा गए थे. जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन एकादशी तिथि थी. माना जाता है कि महर्षि मेधा का जन्म जौ और चावल (Rice) के रूप में हुआ था. यही वजह है कि श्रद्धालु चावल और जौ को जीव मानते हैं. इसलिए एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता है.

एकादशी पर चावल खाना ठीक नहीं

मान्यता है कि एकादशी (Ekadashi) के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने के बराबर माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने से रेंगने वाले जीव में जन्म होता है. इसलिए लोग इस दिन चावन खाने से परहेज करते हैं.

मन का कारक होता है चंद्रमा

वैज्ञानिक तथ्यों के मुताबिक चंद्रमा मन का कारक होता है और इसका पानी पर भी प्रभाव होता है. चूंकि चावल में पानी की मात्रा काफी होती है. इसलिए उसके सेवन से शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और मन चंचल होने से व्रत करने में समस्या पैदा हो जाती है. इसलिए  एकादशी (Ekadashi) के दिन चावल का परहेज करने पर जोर दिया जाता है.

 

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