दुनियाभर में क्यों बढ़ रहा शाकाहारी मीट और पौधों के दूध का कारोबार? जानिए इनसे मिलने वाले जबरदस्त फायदे
पिछले कुछ सालों में वीगन डाइट (vegan diet) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. भारत ही नहीं विदेशों में भी शाकाहारी आहार की महत्वता को माना गया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो विश्व में पौधों से बने दूध का कारोबार अब 1.48 लाख करोड़ रुपए हो गया है. 2020 में अमेरिका के दूध बाजार में पौधों से बने दूध का हिस्सा 15% हो गया था. इसके अलावा मांस का शाकाहारी विकल्प पेश करने वाली कंपनियों का कारोबार भी तेजी से बढ़ा है.
साल 2009 में शुरुआत करने वाली एथन ब्राउन की कंपनी बियोंड मीट अब 80 से अधिक देशों में अपने प्रोडक्ट बेचती है. 2020 में उसका कारोबार 40.68 करोड़ डालर था, यह पिछले साल के मुकाबले 36% अधिक है. पौधों से तैयार दूध (plant milk) का कारोबार और शाकाहारी मांस की मांग (vegetarian meat demand) बढ़ने के पीछे की वजह सिर्फ लोगों को रुझान ही माना जा रहा है.
इस खबर में हम आपके लिए शाकाहारी मीट क्या है, यह कैसे तैयार होता है और इसके क्या फायदे हैं, वहीं पौधों से तैयार होने वाले दूध के फायदों के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं.
कैसे तैयार होता है शाकाहारी मीट
शाकाहारी मीट को प्लांट मीट भी कहा जाता है. इसे पौधों से तैयार किया जाता है, इसका मतलब ये नहीं है कि इसे सीधे पौधों से तैयार कर दिया जाता है. इसे बनाने के लिए पौधों या नैचुरल सोर्स से कुछ तत्व लिए जाते हैं और उन तत्वों के मिश्रण से इसे तैयार किया जाता है. इसे बनाने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
इन चीजों से मिलकर बनता है शाकाहारी मीट
शाकाहारी मांस को कई सामग्री जैसे पौधे आधारित प्रोटीन, सोया, आलू का प्रोटीन, मटर प्रोटीन, मूंग बीन प्रोटीन और यहां तक कि इस तैयार करने में चावल का प्रोटीन इस्तेमाल किया जाता है. ये सामग्री दूसरी सामग्रियों के साथ शाकाहारी मांस को चबाने और रसीलापन देने के लिए मिलाई जाती हैं.
कितना लाभकारी है शाकाहारी मीट
शाकाहारी मीट यह सामान्य मीट से ज्यादा लाभदायक मान जाता है, क्योंकि इनमें उन सभी तत्वों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जो शरीर के लिए नुकसान दायक होते हैं. इसे विशेषज्ञों की खास देखरेख में तैयार जाता है, जिस वजह से इसमें हेल्थ का खास ध्यान रखा जाता है.
इन पौधों से मिलता है दूध
पौधों से प्राप्त दूध सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है. सोया मिल्क, राइस मिल्क, कोकोनट मिल्क, .बादाम दूध, ओट्स मिल्क ये सभी हमें पौधों से प्राप्त होते हैं.
पौधों से प्राप्त दूध के फायदे
1. आसानी से पच जाता है
पौधों से प्राप्त दूध, गाय-भैंस के दूध की तुलना में बेहतर होता है, क्योंकि यह लैक्टोज, कोलेस्ट्रॉल, कृत्रिम हार्मोन, फैटी एसिड्स व एंटीजन से मुक्त होता है और आसानी से पचता है.
2. वजन कंट्रोल में रहता है
पौधों से प्राप्त दूध में गाय व भैंस के दूध की तुलना में बहुत कम फैट व कैलोरी होती है. यही नहीं, इसके सेवन से वजन कंट्रोल में रहता है.
3. हृदय रोगियों के लिए लाभकारी
पौधों से प्राप्त द्रूध प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स, फायबर, एंटीऑक्सीडेंट्स व कुछ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी एक्टिव तत्वों से भी भरपूर होता है, इसलिए ज्यादातर पौधों से प्राप्त द्रूध को हृदय रोग या लैक्टोज इनटेलरेंस से पीड़ित लोगों को दिया जा सकता है.
4. एसिड से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाता है
गाय भैंस से प्राप्त द्रध एसिडिक होता है, जबकि नट्स व अन्य पौधों से प्राप्त ट्रूध ऐल्कलाइन होता है, जो शरीर को एसिड से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाता है.
सालों पहले से बनता आ रहा शाकाहारी मीट
पौधों की चीजों से मीट और दूध बनाना कोई नया मामला नहीं है. यह मुख्य रूप से पौधों और जानवरों के बुनियादी तत्वों जैसे प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट्स को नए सिरे से मिलाने की प्रक्रिया है. दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार, एशिया में बौद्ध 1500 साल से अधिक समय से विभिन्न घटकों को मिलाकर नकली मीट बनाते हैं. चीन में कई दशकों से सोयाबीन का दूध बनता है.