पदोन्नति में आरक्षण मामले में अपेक्स कोर्ट के सभी निर्णय की करेंगे समीक्षा- अजाक्स

बता दें पदोन्नति में आरक्षण विषय पर 16 अप्रेल 24 को पारित छ ग उच्च न्यायालय के निर्णय के अलोक में पूर्ववत  मनोज पिंगुआ  की अध्यक्षता में क्वान्टिफिएबल कमिटी गठित की गई है कमिटी कब तक और कैसे काम करके डेटा तैयार करेगी  कोई भी तथ्य अस्पष्ट नहीं है इसी विषय को लेकर छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी संघ अजाक्स द्वारा एक लीगल कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मान उच्च न्यायालय के विद्वान अधिवक्ताओं के साथ विधिक जानकर बुद्धिजीवियों अधिकारी कर्मचारियों को आमंत्रित किया गया है कार्यशाला के पश्चात् क्वान्टिफिएबल समिति के अध्यक्ष  पिंगुवा  और GAD सेक्रेटरी अंबलगन पी से मिलकर चर्चा करेंगे कि समिति द्वारा प्रस्तुत डेटा का आधार क्या होनी चाहिए विदित हो कि पूर्व में क्वान्टिफिएबल डाटा प्रस्तुत किया गया था वह हाईकोर्ट ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि यह डेटा पदोन्नति में आरक्षण मामले में आये सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के आधार पर नहीं है यदि डेटा निर्माण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो वही स्थिति निर्मित होगी और डेटा को हाई कोर्ट या सुप्रिम कोर्ट में चेलेंज कर मामले को लटकाने का प्रयास किया जावेगा अतः उक्त समिति को डेटा निर्माण के लिए   निम्नानुसार ध्यान रखना होगा समिति जो बनाई गई है उस पत्र में महत्वपूर्ण तथ्य अस्पष्ट है जैसे —

  1. समिति को टाइम लिमिट नहीं दिया गया है जो पूर्व की तरह कई महीने या कई साल लगा सकते हैं रिपोर्ट प्रस्तुत्त करने में
  2. ⁠समितिमें लॉ साइड का कोई मेंबर शामिल नहीं किया जाना बड़ी कमी है क्युकी मान. हाई कोर्ट के दिशा निर्देश का बारिकी से अध्ययन करके उनके शर्तो के अनुरूप ही क्वान्टीफायबल डेटा प्रस्तुत किया जाना चाहिये
  3. ⁠डेटातैयार करने से पहले मान सुप्रीम कोर्ट के उन सभी जजमेंट का अध्ययन जरुरी है जिनमे पदोन्नति में आरक्षण पर निर्णय या दिशानिर्देश है अन्यथा डेटा फिर से चैलेंज किया जायगा और मामले को हाई कोर्ट में लटका दिया जायगा
  4. समिति निर्माण के आदेश में जरनैल सिंह टू बीके पवित्रा और अन्य सम्बंधित सभी निर्णयों का उल्लेख नहीं किया जाना भी अधूरा है क्युकी समिति केवल उन्ही जजमेंट को आधार बनाएगी जो आदेश में उल्लेखित है इनके अलावा भी बहुत सारे जजमेंट है जिसमें पदोन्नति में आरक्षण का हवाला देकर निर्णय पारित हुआ है सभी का अध्ययन जरुरी है अन्यथा कोर्ट में चेलेंज होगा
  5. 5.⁠इससमिति का कोई एक पृथक कार्यालय और पृथक स्टाफ नहीं बनाया गया है जो  केवल डाटा कलेक्शन का काम करे श्री पिंगुवा जी जिस विभाग मे है बस अपने स्टाफ से कितना और कब काम ले सकेंगे सर्व विदित है

 इसके अलावा SC ST कर्मचारी संगठनों में से किसी भी सदस्य का शामिल नहीं किया जाना भी अधूरा है क्युकी समिति का प्रोग्रेस वाच कर सके और साथ रह कर उचित सलाह प्रस्तुत कर सके

इसी उद्देश्य को लेकर बिलासपुर में एक कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें हमारे जानकार अधिवक्ताओं को अनिवार्य शामिल किया जायेगा जो इस मामले में अध्ययन करने की क्षमता रखते हों अंग्रेजी के अच्छे जानकार हों जो आवश्यकता पड़ने पर ड्राफ्टिंग आदि कार्य में सहयोग और समय भी दे सके और एक पुख्ता रिपोर्ट तैयार कर  समिति को लिखित सलाह के रूप में दस्तावेज प्रस्तुत किया जा सके

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