महिलाओं ने खून से लिखा पत्र – वंदना राजपूत

रायपुर। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने साय सरकार को आंखें खोलने और लोगों की समस्याओं को देखने का आग्रह करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी इतने मजबूर और लाचार हो गए हैं कि खून से सरकार को पत्र लिख रही है। मोदी की गारंटी पर पर सत्ता में काबिज हुए, डबल इंजन के सरकार में भी किए गए वादे पूरा नहीं कर पा रहे हैं जिनके कारण महिला कर्मचारियों को खून से पत्र लिखना पड़ रहा है। विष्णु देव साय के कुशासन में हर वर्ग के कर्मचारी परेशान और प्रताड़ित हो रहे हैं। पटवारी और राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षक, रसोईया, सफाई कर्मचारी, हड़ताल पर थे। जिस विभाग में देखो उस विभाग के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार में कर्मचारियों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे तो कर लेते हैं और सरकार बनने के बाद कर्मचारियों के परेशानियों से कोई वास्ता नहीं रखते जिसके कारण कर्मचारियों को अपनी मांगों को लेकर खून से भी पत्र लिखना पड़ता है। आज भाजपा सरकार में कर्मचारियों की कोई खून की कीमत नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों के हड़ताल होने पर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से चरमरा गई है। हेल्थ सेंटर में ताले लगने से लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। मां अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोदी में लेकर टीकाकरण और उपचार के लिए इधर से उधर भटक रही हैं। महंगाई के अत्यधिक बढ़ने के कारण पैसा की बचत नहीं हो पता जिसके कारण प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाना मध्यम एवं गरीब परिवार के बजट में नहीं होता और बरसात के समय मौसमी बीमारी का संक्रमण अधिक बढ़ जाता है जिसके कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या अधिक होती है और ऐसे में इस समय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों की हड़ताल में होने पर बहुत अधिक आम जनता को परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है ।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि महिला कर्मचारी इधर खून से पत्र लिख रहे है लेकिन सरकार को इससे कोई मतलब नहीं है वह अपने विदेश दौरे पर मस्त है। छत्तीसगढ़ में तीज का त्यौहार महिलाओं के लिए बहुत खास होता है जिसके लिए साल भर से इंतजार किया जाता है लेकिन तीज के त्यौहार के समय ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महिला कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़ रहा है। महिलाओं के लिए बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं।

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