विश्व साइकिल दिवस : साइकिल चलाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है – योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक योग केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल कई वर्षो से निःशुल्क योग प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सीखा रहें है वर्तमान में भी ऑनलाइन माध्यम से यह क्रम अनवरत चल रहा है |योग प्रशिक्षण के दौरान साधकों को साइकिल चलाने के अभ्यास करवाते हुए उसके अनेक प्रकार के फायदों के बारे में बताया जाता है एवं साइकिल चलाने के लिए प्रेरित किया जाता है |

योग गुरु अग्रवाल ने विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर कहा कि आज हम सब संकल्प लें की ज्यादा से ज्यादा साइकिल चलाने का प्रयास करेंगे, दुनियाभर में  03 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। डेली लाइफ में साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और इसको लोकप्रिय बनाने के लिए विश्वभर में बाइसिकल डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को ये समझाना है कि साइकिल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कितना बेहतर है। इसके साथ-साथ ये इको फ्रेंडली है। साइकिल से पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है। ये आपके देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी सही है। साल 2021 में चौथा विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है।  साइकिल चलाने के कई फायदे हैं, ये बाकी साधनों के मुकाबले सस्ती है, विश्वसनीय है, ये स्वच्छ और पर्यावरण के लिए अनुकूल परिवहन है।असल में साइकिल चलाना एक व्यक्ति की शारीरिक फिटनेस सुनिश्चित करता है। यह अधिक टिकाऊ है।

इसके अलावा दो शताब्दियों से अधिक समय से लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। यह वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए उपयोगी है। साइकिल समावेशिता को भी बढ़ावा देती है क्योंकि यह बहुत महंगा नहीं है और समाज के अमीर और गरीब दोनों लोगों द्वारा वहन किया जा सकता है।साइकिलिंग कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में योगदान देता है क्योंकि इसमें आंतरिक शून्य-उत्सर्जन मूल्य होता है।साइकिल चलाना स्वास्थय के लिए अच्छा होता है,साइकिल चलाने से हृदय की फिटनेस, मांसपेशियों की ताकत और लचीलेपन में वृद्धि होती है। यह जोड़ों की गतिशीलता में सुधार करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है।साइकिल चलाने से पैसे की बचत होती है,  ये बहुत ही सस्ता होता है और इसको चलाने के लिए किसी लाइसेंस की कोई जरूरत नहीं होती है। स्थानीय पर्यावरण साइकिल चलाने से पर्यावरण स्वच्छ रहता है।

साइकिल को हम जिंदगी का सबसे पहला एडवेंचर कह सकते हैं। गिरते-पड़ते हम साइकिल चलाना सीखते हैं। उम्र के अनुसार साइकिल का भी अलग – अलग महत्व है। बचपन में साइकिल शौकिया तौर पर चलाते हैं,  फिर धीरे – धीरे साइकिल का उपयोग स्कूल जाने के लिए करते हैं, तो कई लोग साइकिल से अपने काम पर जाते हैं। लेकिन वक्त के साथ साइकिल की उपयोगिता भी बदल गई और महत्व भी बदल गया है। एक वक्त था जब साइकिल को परिवार में साधन का हिस्सा माना जाता था लेकिन अब यह सिर्फ एक्सरसाइज के तौर पर प्रयोग की जाती है। साइकिल का दौर 1960 से लेकर 1990 तक काफी अच्छा चला है। इसके बाद समय परिवर्तित होता गया। आज एक्सरसाइज के साथ ही साइकिल का उपयोग एक एथलेटिक्स द्वारा भी किया जाता है।  साइकिल सबसे सस्ता वाहन हैै। इसके एक नहीं अनेक फायदे हैं। पेट्रोल की खपत नहीं होती, पर्यावरण दृष्टि से सुरक्षित है, एक्सरसाइज करने के लिए बेस्ट है, इम्युनिटी भी बढ़ती है।रोज साइकिल चलाने से फैट जल्दी कम होता है, बॉडी फिट रहती है। करीब 30 मिनट रोज साइकिल चलाना चाहिए। साइकिल चलाने से इम्यून सिस्टम अच्छा तो होता है साथ ही इम्यून सेल्स भी एक्टिव हो जाते हैं। इससे बीमारी का खतरा भी कम होता है। एक उम्र के बाद घुटने की समस्या नहीं हो इसलिए साइकिल रोज चलाना चाहिए।
इससे किसी प्रकार के जोड़ों में दर्द नहीं होगा।साइकिल चलाने से दिमाग ज्यादा एक्टिव रहता है। ब्रेन पावर बढ़ता है, 15 से 20 फीसदी अधिक दिमाग सक्रिय होता है। बचत की नजर से यह काफी अच्छा और सस्ता साधन है। देखा जाएं तो आज वक्त में युथ फीट और एक्सरसाइज के लिए साइकिल खरीद रहे हैं। इसके प्रयोग से पृथ्वी के लिए गम्भीर होते जा रहे वायु प्रदूषण की  समस्या पर लगाम लगाई जा सकती है। बुजुर्ग, जवान और बच्चें हर आयु वर्ग के के लोग साइकिल की सवारी कर खुद को  चुस्त और दुरस्त रख सकते हैं। साइकिल की सवारी मनुष्य को मानसिक और शारीरिक रूप से मज़बूत बनाने का कार्य करती है । इसमें अन्य व्यायामों की तरह ना चोटिल होने का डर है और ना ही इसे चलाने न में किसी विशेष तकनीकी ज्ञान की जानकारी की आवश्यकता । रोज़ाना साइकिल चलाने से शरीर की मांसपेशियां मज़बूत होती हैं और शरीर में वसा भी नहीं बनती। उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों को साइकिल की सवारी पीछे छोड़ देती है। शोध में सामने आया है कि निरंतर साइकिल चलाने वालों को मधुमेह और हृदयाघात का खतरा अन्य लोगों से कम रहता है। यह सच है कि साइकिल को वक्त ने चुनौती दी है। सड़क पर दौड़ती बसें, ट्रक, कार, महंगी मोटरसाइकिल साइकिल चलाने वाले को रफ़्तार में कहीं पीछे छोड़ देती हैं। इस तेज़ रफ़्तार के साथ चल रही जिंदगी में हर किसी को वक्त की कमी है। मनुष्य ने विकास के पीछे अंधी दौड़ लगायी हुई है। उसमें साइकिल के सफ़र में लगता ज्यादा समय मनुष्य को चुभने लगता है।
कोरोना ने दिखा दिया है कि कैसे प्रकृति मनुष्य की रफ़्तार को कभी भी रोक सकती है और वैसे भी मेट्रो स्टेशनों की भीड़, बसों की दमघोंटू भीड़ और असुरक्षित तेज दौड़ती साइकिल दूर एक साइकिल के सफ़र का आनन्द ही कुछ और है। साइकिल चलाते ना ऑटो का कानफोडू संगीत है ना एक दूसरे को घूरते सफ़र करते लोगों के बनावटी चेहरे । वहां है तो सिर्फ आपका सुधरता स्वास्थ्य और आपकी खुद से होती बात जो आज के सामाजिक परिदृश्य में कहीं खो सी गई है । साइकिल सवारों के लिए मुख्य सड़क से अलग लेन का निर्माण इस सफर को सड़क पर तेज दौड़ते वाहनों से सुरक्षित बना सकता है। साइकिल सवारी के दौरान हेल्मेट का प्रयोग अनिवार्य करना चाहिए और इस विश्व साइकिल दिवस के दिन सरकार को बिना किसी देरी के साइकिल की सवारी को शान की सवारी बनाने पर गम्भीरता से विचार करना शुरू कर देना चाहिए ।

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