November 21, 2024

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस-बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए योगाधारित शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता : योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक योग केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल कई वर्षो से निःशुल्क योग प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सीखा रहें है वर्तमान में भी ऑनलाइन माध्यम से यह क्रम अनवरत चल रहा है |योग प्रशिक्षण के दौरान केंद्र पर आने वाले बच्चों का योग से जुड़े रहें इसका विशेष ध्यान रखा जाता है बच्चों में सीखने की जिज्ञासा बढ़े ऐसा अभ्यास करवाया जाता है,

योग गुरु अग्रवाल ने कहा कि बाल मजदूरी मानवता पर कलंक है। इसे रोकना हर सभ्य समाज का कर्तव्य है। ‘विश्व बालश्रम निषेध दिवस’ हमें बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए सचेत करता है।  आज विश्व बालश्रम निषेध दिवस’ के अवसर पर हम सभी इस कलंक को समाप्त करने का प्रण धारण करें। बच्चे देश का सुनहरा भविष्य हैं, जिनसे श्रम करवाना कानूनी अपराध है।  हम बचपन को शिक्षित व सशक्त बनाकर देश को बाल श्रम से मुक्ति दिलाने का संकल्प लें व उनके जीवन को संवारने में भूमिका निभाएं|

 बच्चे के विकास के अपने नियम होतें हैं, यदि हम उसके विकास में उसकी सहायता करना चाहते हैं, तो हमें स्वयं को उस पर थोपने के बदले उसके विकास में उसका साथ देना चाहिए | हमारे आस-पास कई बार बहुत कुछ हमारे सामने होता है, लेकिन फिर भी हम उससे अनजान होते हैं, दिखने में छोटी लगने वाली कोई बात या परेशानी असल में अंदर से बहुत बड़ी हो सकती है |  बच्चों के साथ भी कई बार ऐसा होता है |  उनके साथ कभी अनजाने में तो कभी जानबूझ कर ऐसी घटनाएं होती हैं, जो उनको शारीरिक मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करती हैं, शोषण का शिकार हैं |

कोविड -19 के बीच बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ती जा रही है |विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2021 पर ‘वीक ऑफ़ एक्शन ‘ की शुरुआत की गई है | हाल के वर्षों में कई संघर्ष क्षेत्रों में बच्चों के खिलाफ उल्लंघन की संख्या में वृद्धि हुई है.  बच्चों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है. हिंसक अतिवादियों द्वारा बच्चों को निशाना बनने से बचाने के लिए और अंतरराष्ट्रीय मानवीय व मानव अधिकार कानून को बढ़ावा देने के लिए समेत बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए और अधिक किया जाना चाहिए |  हर वर्ग, आयु और राष्ट्रीयता के व्यक्ति के जीवन में योग की अपनी भूमिका है, चाहे वह विकलांग हो या नहीं। जो विकलांग हैं उनके लिए यह विशेष रूप से लाभदायक है क्योंकि यह शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक, तीन स्तरों पर कार्य करता है और इससे व्यक्ति का समन्वित विकास होता है। शारीरिक समस्याओं का सुधार योग के तकनीक व्यक्ति की शारीरिक पंगुता पर निर्भर करते हैं। यदि कोई अंग नहीं है या अत्यंत विकृत है तो सबसे पहले कृत्रिम अंग का प्रत्यारोपण करना चाहिए या उसका इलाज कराया जाना चाहिए। आसन तथा प्राणायाम का उपयोग विकृत अंग में रक्त मंद परिसंचरण में सुधार लाने, स्नायुओं की क्रियाशीलता को प्रेरित करने और कमजोर मांसपेशियों को विकसित करने तथा उन्हें सजग नियंत्रण के अधीन करने के लिए किया जाता है।पोलियो एक ऐसा सामान्य रोग है जिसका उपचार योग के माध्यम से संभव है |
मानसिक स्वास्थ्य योग केवल शरीर के लिए ही नहीं, मन के लिए भी है। कोई बच्चा या वयस्क शारीरिक रूप से अपंग हो सकता है, लेकिन उसके मन के पूर्णतः स्वस्थ रहने की पूरी संभावना रहती है। योग व्यक्ति को अपनी छिपी हुई मानसिक और बौद्धिक क्षमताओं को पूरी तरह विकसित करने में सहायता करता है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य आत्मा कभी अपंग नहीं होती। अनेक ऐसे लोग जो शारीरिक रूप से विकलांग होते हैं, वे अपने अंतर की गहराई में जाने के लिए योग का अभ्यास करते हैं। योग के माध्यम से उन्हें स्वयं को मुक्त करने का मार्ग मिल जाता है और उन्हें यह ज्ञान हो जाता है कि शारीरिक विकृति से उनमें जो कमी आ गयी है उससे कहीं अधिक उनके अंदर छिपा है। चिकित्सा विज्ञान ने टेक्नोलॉजी के इस युग में अनेक चमत्कार किये हैं, और यह अत्यधिक विकसित और उपयोगी हो गया है। इसे योग के साथ संबद्ध कर दिया जाये तो अपंगों को बहुत लाभ हो सकता है।
कीर्तन – ध्वनि द्वारा ध्यान एकाग्र करने और श्रवणगत बोध का विकास करने के लिए कीर्तन एक उपयुक्त विधि है। ये ध्वनियाँ सामान्य रूप से एक व्यक्ति द्वारा गाकर या मंत्रोच्चार करके या अपने हाथों या पैरों से थाप देकर उत्पन्न की जाती हैं। कीर्तन में ताल वाद्यों का उपयोग भी किया जाता है।कीर्तन का महत्त्व हृदय के भावों पर और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति पर निर्भर करता है, भले ही उसमें गीत का आदर्श रूप प्रकट न होता हो। इसलिए विकलांग बच्चों में उपचार के लिए कीर्तन करवाना निश्चित रूप से उपयोगी सिद्ध होगा।

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