विश्व नारियल दिवस – दुनिया में सम्मान पाना है तो नारियल के समान बहुउपयोगी ऊपर से कठोर अंदर से नरम मीठा हो जाये : महेश अग्रवाल
भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि हर साल दो सितंबर को विश्व नारियल दिवस मनाया जाता है, भारतीय धर्म और संस्कृति में नारियल का बहुत महत्व है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। मंदिर में नारियल फोड़ना या चढ़ाने का रिवाज है। दक्षिण भारत में नारियल के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं।
योग गुरु अग्रवाल ने कहा कि अपने अंदर से अहंकार को निकाल कर स्वयं को हल्का करें, क्योंकि ऊंचा वही उठता है जो हल्का होता है, नारियल के वृक्ष के समान ही अपना जीवन लोगो की सेवा में बहु उपयोगी बनाये, तात्पर्य यही कि समय और परिस्थिति के हिसाब से हर मनुष्य में कठोरता का समावेश होना भी जरूरी है। वह कठोरता मनुष्य के वास्तविक रूप की रक्षा करती है। वह इंसान की ऊपरी परत होती है, जो अंदर से उसको मुलायम और सद्गुणों से युक्त बनाए रखता है । बाहर की कठोरता से मनुष्य अपना और दूसरों का भला करता है और अंदर के मुलायम अर्थात अच्छे गुणों से वह अपना , अपने परिवार का , अपने समाज का और अपने देश का भला करता है । इसलिए हर मनुष्य को नारियल के समान कठोर और नारियल के अंदर के गूदे के समान अपना व्यवहार सभी के लिए मधुर और सहयोगी बनाए रखना चाहिए ।
नारियल को कल्पवृक्ष कहा जाता है। देवी-देवताओं की पूजा अर्चना हो या कोई अन्य मांगलिक कार्य, नारियल के बिना अधूरा है। अत: नारियल भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। वाल्मीकि रामायण में नारियल का वर्णन किया गया है। आराध्य फल होने के साथ-साथ दैनिक जीवन में भी नारियल का एक अहम स्थान है। इस तरह नारियल के संस्कृतिक महत्व के साथ-साथ इसका आर्थिक महत्व भी है। नारियल से भारत के छोटे किसानों का जीवन जुड़ा हुआ है। इस वृक्ष का कोई ऐसा अंग नहीं है जो उपयोगी न हो। नारियल का फल पेय, खाद्य एवं तेल के लिए उपयोगी है। फल का छिलका विभिन्न औद्योगिक कार्यो में उपयोगी है तथा पत्ते एवं लकड़ी भी सदुपयोगी हैं।
हिन्दू धर्म में वृक्षों के गुणों और धर्म की अच्छे से पहचान करके ही उसके महत्व को समझते हुए उसे धर्म से जोड़ा गया है। उनमें ही नारियल का पेड़ भी शामिल है। नारियल ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्रोत है इसलिए आप खाने की जगह चाहें तो नारियल का इस्तेमाल कर सकते हैं। नारियल में प्रोटीन और मिनरल्स के अलावा सभी पौष्टिक तत्व अच्छी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। नारियल को ‘श्रीफल’ भी कहा जाता है। ऐसा इसकी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ औषधीय गुणों के कारण कहा जाता है। नारियल में विटामिन, पोटेशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। नारियल में वसा और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है इसलिए नारियल मोटापे से भी निजात दिलाने में मदद करता है। हिन्दू धर्म में नारियल को बहुत शुभ माना जाता है. इसलिए अधिकतर मंदिरों में नारियल फोड़ने या चढ़ाने रिवाज है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हिन्दू धर्म के लगभग सभी देवी-देवताओं को नारियल चढ़ाया जाता है. कहते हैं, किसी भी कार्य को शुरु करने से पूर्व नारियल फोड़कर भगवान को चढ़ाना शुभ होता है. पूजन की सामग्री में भी नारियल अहम् होता है,कोई भी पूजा बिना नारियल के अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि भगवान को नारियल चढ़ाने से जातक के दुःख-दर्द समाप्त होते हैं और धन की प्राप्ति होती है । प्रसाद के रूप में मिले नारियल को खाने से शरीर की दुर्बलता दूर होती है। शादी-विवाह हो, त्यौहार हो, पूजा हो, कोई नया कार्य आरंभ करना हो, वाहन खरीदा हो इन सभी कार्यों में नारियल बहुत महत्वपूर्ण होता है।
भगवान शिव को भी नारियल बहुत प्रिय है. नारियल पर बनी तीन आँखों की तुलना शिवजी के त्रिनेत्र से की जाती है. इसलिए नारियल को बहुत शुभ माना जाता है और पूजा-पाठ में प्रयोग किया जाता है। पूजा में नारियल फोड़ने का अर्थ ये होता है की व्यक्ति ने स्वयं को अपने इष्ट देव के चरणों में समर्पित कर दिया और प्रभु के समक्ष उसका कोई अस्तित्व नहीं है. इसलिए पूजा में भगवान के समक्ष नारियल फोड़ा जाता है ।
विश्व नारियल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य नारियल की खेती को बढ़ावा देना और नारियल के महत्व को विश्व में पहुँचाना है, जिससे नारियल के कच्चे माल के निर्यात में वृद्धि के साथ-साथ नारियल उत्पाद करने वाले किसानों को भी फायदा मिल सके। विश्व नारियल दिवस मनाने की शुरुआत 1969 में एशियाई व प्रशांत नारियल समुदाय ने की थी। इसी दिन इंडोनेशिया के जकार्ता में एपीसीसी की स्थापना हुई थी। तभी से विश्व नारियल दिवस मनाने का आरंभ हुआ । भारत वर्ष में नारियल की खेती एवं उद्योग के समेकित विकास के लिए भारत सरकार ने 1981 में नारियल विकास बोर्ड का गठन किया।