World Environment Day: एक बार फिर से जुड़ रही है प्रकृति से रिश्ते की डोर
नई दिल्ली. हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस की स्थापना पहली बार 1974 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में हुई थी, जिसकी थीम थी ‘ओनली वन अर्थ’. संयुक्त राष्ट्र (UN) के इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना और उन्हें यह बताना है कि जैव विविधता के नुकसान को रोकने और प्रकृति को संरक्षित करने में उनकी भी भूमिका है.
जैव-विविधता
विश्व पर्यावरण दिवस 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है और हर साल इसकी एक नई थीम होती है. जिसके आधार पर सरकार, निगम, समुदाय, गैर-सरकारी संगठन और मशहूर हस्तियां लोगों को पर्यावरणीय मूल्यों के प्रति जागरूक करती हैं. इस साल यानी 2020 की थीम है ‘सेलिब्रेट बायोडायवर्सिटी’, पिछले साल की थीम वायु प्रदूषण थी.
जैव-विविधता या बायोडायवर्सिटी का अर्थ पृथ्वी पर पाए जाने वाले अलग-अलग प्रकार के जीव-जंतुओं से जोड़कर भी देखा जाता है. अब चूंकि कोरोना संकट के चलते लगाये गए लॉकडाउन ने जैव-विविधता को एक नया जीवन दिया है, इसलिए पर्यावरण दिवस की थीम भी इसी पर आधारित है. हर साल एक अलग देश विश्व पर्यावरण दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों की मेजबानी करता है. इससे मेजबान देश की पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में भी पता चलता है और उन्हें दूर करने के लिए सामूहिक प्रयासों किये जाते हैं. 2020 की मेजबानी जर्मनी के साथ मिलकर कोलंबिया कर रहा है.
उपराष्ट्रपति ने शुभकामनाओं के साथ दिया संदेश
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, ‘इस विश्व पर्यावरण दिवस पर एक नई शुरुआत करें. एक साथ मिलकर हम पृथ्वी और उसके निवासियों के लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं’.
उपराष्ट्रपति नायडू ने यह भी कहा कि ‘आज हम जिस तरह के संकट का सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए हमें न केवल जलवायु संकट से लड़ने के लिए, बल्कि खाद्य सुरक्षा, जल आपूर्ति और हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता के संरक्षण और खंडित ईको-सिस्टम को बहाल करने के अपने प्रयासों को बढ़ाना होगा’. साथ ही उन्होंने सरकारों के साथ-साथ लोगों से भी प्रकृति की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया.
लॉकडाउन से यह हुआ फायदा
2020 भले ही कोरोना संकट के चलते लोगों के लिए बुरे सपने में तब्दील हो गया हो, लेकिन पर्यावरण के लिए यह काफी अच्छा साबित हो रहा है. कोरोना को रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन लगाया गया. सड़कों पर वाहनों की आवाजाही, कारखानों का शोर सबकुछ बंद हो गया. जिसकी बदौलत न केवल वायु प्रदूषण में कमी आई, बल्कि दुर्लभ जीव-जंतु भी देखने को मिले. लिहाजा यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रकृति के साथ रिश्ते की जिस डोर को मनुष्य ने अपनी कारगुजारी के चलते तोड़ दिया था, वह 2020 में फिर जुड़ती नजर आ रही है.