November 25, 2024

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस – शुभ चिंतन, नियमित योग अभ्यास, अच्छी नींद, एवं प्राकृतिक चिकित्सा से व्यक्ति आजीवन स्वस्थ रहता है : महेश अग्रवाल

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र  स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल कई वर्षो से निःशुल्क योग प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की कला सीखा रहें है वर्तमान में भी ऑनलाइन एवं प्रत्यक्ष माध्यम से यह क्रम अनवरत चल रहा है।योग गुरु अग्रवाल ने बताया कि  दुनिया भर में आम लोगों में उच्च रक्तचाप यानी ‘साइलेंट किलर’ के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस अथवा विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जा रहा है। हाइपरटेंशन किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता हैं।
योग गुरु अग्रवाल ने बताया उच्च रक्तचाप क्या है, इसे कैसे नियंत्रित किया जाता है?* उच्च रक्तचाप और निम्न रक्तचाप, दो ऐसी दशायें हैं जो मन के विपरीत स्तरों के परिणाम हैं। इनका प्रभाव मस्तिष्क और नाड़ी मण्डल पर दिखाई पड़ता है। वातावरण और मानसिक तनाव जब सहनशक्ति की सीमा से बाहर हो जाते हैं, तब वे अति दाब या उच्च रक्तचाप पैदा करते हैं। दूसरे स्तर पर जब तनाव स्वीकृति की सीमा से कम होता है या दबा दिया जाता है, तब निम्न दाब या निम्न रक्तचाप होता है। अति तनाव की स्थिति का प्रभाव शरीर के कई हिस्सों में होता है। चिकित्सा शास्त्रीय पर्यवेक्षण के अनुसार इससे रक्तचाप बढ़ जाता है और पेप्टिक अल्सर भी हो सकता है अथवा कई दूसरे प्रकार के संकेत और लक्षण प्रकट हो सकते हैं। यह अति तनाव की स्थिति कुछ समय तक बनी रहे, तो अंततोगत्वा नाड़ी मण्डल तनाव को बर्दाश्त नहीं कर पाता और उसमें गिरावट  आ जाती है। ऐसा विशेषकर तब होता है जब मन के तनावों को शरीर पर प्रकट न होने दिया जाये। इसे ‘नर्वस ब्रेक डाउन’ या ‘डिप्रेशन’ कहते हैं। आदमी इस मानसिक तनाव को सहन नहीं कर पाता और पागल हो जाता है। कुछ लोगों में यह गिरावट शरीर में प्रकट होती है, मन में नहीं। उनका रक्तचाप गिर जाता है और शरीर में कई समस्यायें उत्पन्न हो जाती हैं। निम्न तनाव और अति तनाव दोनों को परस्पर सम्बन्धित करके समझना चाहिये। खैर, यह किसी भी हालत में हो, प्रत्येक स्थिति के लिये योग अभ्यास उपलब्ध हैं। इनमें मुख्य रूप से प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है। क्रियायोग में भी कुछ अभ्यास हैं जो इसमें सहायक होते हैं, परन्तु उन्हें सुयोग्य शिक्षक से ही सीखना चाहिये।
उच्च रक्तचाप के लिये एक सरल अभ्यास है। सहज ढंग से सीधे लेट जाओ या आराम कुर्सी पर बैठ जाओ और अपनी श्वास की सजगता का अभ्यास करो। बस, सहज श्वास का, जो अपने आप आती-जाती है, ख्याल करते जाओ। मन और शरीर में कोई तो सम्पर्क सूत्र होना चाहिये न। उच्च रक्तचाप कम करने का यही सिद्धांत है। हम सबको मालूम है कि हमारी श्वास अंदर बाहर प्रवाहित होती है लेकिन कभी भी हम उसका ख्याल नहीं करते। जब इसके प्रति हम सचेत होते हैं तब क्या होता है? जब हम मन और शरीर के बीच एक तारतम्यता, एक सम्पर्क सूत्र कायम करते हैं तो तनाव कम होता है। यह कमी यथार्थ में होती है। इसे प्रत्यक्ष देखने के लिये अभ्यास के आरम्भ और अंत में रक्तचाप नापकर रखना चाहिये। दोनों ही बार विशिष्ट अंतर देखने को मिलेगा।
रक्तचाप को बढ़ाने के लिये मैं कौन-कौन से आसन करूँ?
रक्तचाप उच्च हो अथवा निम्न रहे, तुम केवल एक सिद्धासन का अभ्यास करोगे तो बराबर सफलता मिलेगी। रक्तचाप को बढ़ाने के लिये तुम्हें शशांकासन और शीर्षासन के साथ भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास भी करना चाहिये। अंत में देर तक शिथिलीकरण का अभ्यास करो।
हाइपरटेंशन- हाई ब्लडप्रेशर या हाईपरटेंशन का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होता है। इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं जैसे- फैमिली हिस्ट्री, तनाव, गलत खानपान और लाइफ स्टाइल आदि। लेकिन इससे बचने के लिए न केवल डाइट और लाइफ स्टाइल पर ध्यान देने की जरूरत है बल्कि तनाव को कम करना और शरीर को सक्रिय बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज भी बेहद जरूरी है। आजकल 18 साल से 50 वर्ष के लोग हाइपरटेंशन के अधिक शिकार हैं। हालांकि साठ साल की उम्र से पहले पुरुषों में उच्च रक्तचाप का खतरा ज्यादा रहता है, पर बाद में स्त्री-पुरुष दोनों में ही खतरे की आशंका बराबर होती है। रोजमर्रा की जिंदगी में हमें तमाम तरह की मीठी-कड़वी बातों से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में गुस्‍सा आना स्‍वाभाविक है। लेकिन गुस्‍सा अगर लत का रूप ले लें तो इस पर विचार करना जरूरी है। बात-बात पर गुस्‍सा करने से हमारी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। देखा गया है कि जो व्‍यक्‍ति गुस्‍सा नहीं करते, वो कम बीमार होते हैं। गुस्‍सा भी भावना का एक प्रकार है। लेकिन जब यह भावना व्‍यवहार और आदत में बदल जाती है, तो आप के साथ-साथ दूसरों पर इसका गंभीर असर पड़ने लगता है। इसके लिए जरूरी यह है कि अपने गुस्‍से की सही वजह को पहचाना जाए और उन पर नियंत्रण रखा जाए। अमूमन हमारे मन में सवाल होते हैं कि हम इससे किस तरह छुटकारा पाएं। लेकिन इससे पहले यह बात जानना जरूरी है कि गुस्‍से से छुटकारा क्‍यों पाएं। जिस व्‍यक्‍ति को गुस्‍सा ज्‍यादा आता है, उनमें ब्‍लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, गंभीर रूप से पीठ में दर्द की शिकायत देखी गई है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को पेट की शिकायत भी हो सकती है।
व्‍यक्‍ति की भावनाएं (सोच), विचार और आदत में अंतर्संबंध होता है। विचार, सोच को प्रभावित करते हैं और सोच से आदत बदलती है। दूसरे पहलू पर विचार करें तो आपकी आदतें भी विचार में और फिर विचार भावनाओं में परिवर्तन लाते हैं। इन तीनों में से किसी एक में भी बदलाव आने पर बड़ा बदलाव दिखाई देता है। इसके लिए आपको नियमित व्यायाम करना चाहिए। इससे बीमारियों के होने से बच सकते हैं। इसके अलावा जो भी लोग शराब या धूम्रपान करते हैं। उन सभी लोगों को इस तरह के नशीले पदार्थों से बचना चाहिए।*

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