August 14, 2021
विश्व अंगदान दिवस : अपना अंग दान देना किसी मानव के प्रति बहुत बड़ा उपकार है, यह सभी दानों में सर्वोपरि है : महेश अग्रवाल
भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि अंग दान को महापुण्य का काम कहा जाता है। क्योंकि अपने अंगों को दान करके कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। या फिर किसी की वजह से उन्हें जिंदगी जीने का एक और मौका मिल जाता है। अंग दान कभी भी किया जा सकता है। अक्सर लोग जीवित रहते हुए भी अंग दान करते हैं। लेकिन अभी भी इसे लेकर जागरूकता की कमी है। हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है लोगों को अंगदान करने के प्रति जागरूक करना।
किसी के अंग दान करना किसी को एक नया जीवन देना है, कोई भी स्वेच्छा से अंग दाता बनने के लिए अपनी उम्र, जाति और धर्म की परवाह किए बिना कर सकता है. हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि स्वेच्छा से अपने अंग दान करने वाले लोग एचआईवी, कैंसर, या किसी हृदय और फेफड़ों की बीमारी जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित नहीं हैं. एक स्वस्थ दाता सर्वोपरि है. 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने के बाद कोई भी दाता बनने के लिए साइन अप कर सकता है.
अंग दान के दो रूप हैं, जीवित दान उन दाताओं के साथ किया जाता है जो जीवित हैं और किडनी और लीवर का एक हिस्सा जैसे अंग दान कर सकते हैं. मनुष्य एक किडनी से जीवित रह सकता है और शरीर में लीवर ही एकमात्र ऐसा अंग है जो खुद को पुन: उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है, जिससे इन अंगों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है जबकि दाता अभी भी जीवित रहता है. अंगदान के दूसरे रूप को शवदान के रूप में जाना जाता है. इस प्रक्रिया में, दाता की मृत्यु के बाद, उसके स्वस्थ अंगों को एक जीवित व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है.
योग गुरु अग्रवाल ने बताया दान शब्द का शाब्दिक अर्थ है – देने की क्रिया. ‘देना’ शब्द परम संतुष्टि प्रदान करता है. दान के बदले किसी प्रकार का विनिमय नहीं हो सकता.किसीको अगर हम कुछ देतें हैं जिसे उसकी अत्यन्त आवश्यकता थी तो उसे परम संतोष होता है और उससे दाता को परमानन्द, दान के विविध रूप हैं, धन दान , धर्म दान ,क्षमा दान, अभय दान ,विद्या दान, अंगदान एवं देह दान. विद्या दान सबसे सुखकर दान है. क्षमा दान तो आत्म दान ही है. किसी भी जरूरतमंद को सहायता देना , उसको उसके कष्ट से निकलने हेतु कुछ भी देना दान है. सभी दान की अपनी अपनी विशेषताएं हैं लेकिन अपना अंग दान देना किसी मानव के प्रति बहुत बड़ा उपकार है, अंग दान से जीवन दान मिलता है. अतः यह सभी दानों में सर्वोपरि है.