विश्व नींद दिवस : नींद जीवन की महत्त्वपूर्ण क्रिया है, नींद का प्रभाव हमारे मन, क्रियाकलाप, स्वभाव, आचरण और बुद्धि पर पड़ता है : योग गुरु महेश अग्रवाल*

भोपाल. आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि 18 मार्च को विश्व नींद दिवस ‘अच्छी नींद, स्वस्थ दिमाग, खुशहाल दुनिया‘ स्लोगन के साथ मनाया गया। इसे मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीवन में नींद के महत्व को समझाना और नींद से समझौता ना करने की सलाह देना है। इस मौके पर वैश्विक स्तर पर स्वस्थ्य जीवन में नींद के महत्व को समझते हुए कई सारे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते है ।
योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि निद्रा प्राकृतिक हो तथा उचित तथा स्वाभाविक रूप से आनी चाहिए। योगियों को निद्रा की जिस कला का ज्ञान है उसका अभ्यास बहुत सरल और उपयोगी है। यदि इस कला को कुछ संशोधन के साथ सर्वसाधारण को समझाया जाय तो यह अनन्त लाभ प्रदान करने वाली सिद्ध होगी। यह सोने की कला है। इसे अतीन्द्रिय निद्रा कह सकते हैं। बहुत कम लोगों को इस बात का ज्ञान है कि किस प्रकार सोना चाहिए। अधिकतर लोग पढ़ते या कुछ विचार करते हुए सोते हैं। सोचने की क्रिया के बीच नींद कब आती है इसका उन्हें ज्ञान नहीं रहता। विचारों से उलझे मन के साथ सोना शरीर एवं मन के लिए लाभदायक नहीं है। परेशान एवं उलझे मन के साथ सोना अच्छा नहीं है। इस प्रकार की नींद शरीर को पूर्ण आराम नहीं पहुँचाती। थकावट इससे दूर नहीं होती। व्यक्ति को बुरे स्वप्न आते हैं, पाचन क्रिया ठीक नहीं रहती एवं प्रातः काल उन्हें प्रफुल्लता और शक्ति का अनुभव नहीं होता। इस प्रकार की नींद अस्वास्थ्यकर एवं अवैज्ञानिक है।
आपको इस बात की शंका हो रही होगी कि नींद की क्रिया में ऐसी कौन सी बात विशेष है जिसे सीखने की आवश्यकता पड़ती है। प्रत्येक व्यक्ति को नींद आती है। सोना सबके लिए स्वाभाविक है। इसे सीखने में कोई विशेष बात नहीं है। परन्तु आप अनुभव करेंगे कि नींद जीवन की महत्त्वपूर्ण क्रिया है। नींद का प्रभाव हमारे मन, क्रियाकलाप, स्वभाव, आचरण और बुद्धि पर पड़ता है।
उसे उदाहरण के लिए यदि आप प्रातः जल्दी उठने की आदत डालेंगे, दृढ़ता से प्रतिदिन के जीवन में व्यावहारिक रूप देंगे तो आप देखेंगे कि आपका पूरा जीवन बदल रहा है। उसका प्रभाव आपके जीवन से सम्बन्धित सभी बातों पर पड़ेगा। सर्वप्रथम आप अपने को ऊर्जावान, ताजा तथा मजबूत पाएँगे। यदि आप समयाभाव की शिकायत करते रहे हों तो अब आपको लगेगा कि दिन बहुत लम्बा है और आपके पास करने को कार्य उतने नहीं हैं। एक या दो दिन के लिए नहीं, परन्तु जीवनपर्यन्त आप ऐसी दिनचर्या बनायेंगे तो ऐसा अनुभव करेंगे। हर समय आप पूर्ण स्वस्थ रहेंगे। कठिन कार्य के बाद आपको थकान का अनुभव नहीं होगा। नींद न आने की शिकायत नहीं रहेगी और मन हमेशा प्रसन्न और शान्त रहेगा। जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप में आप सफलता प्राप्त करेंगे। शर्त यही है कि आपको इस नियम का दृढ़ता से पालन करना होगा, तभी आप इसके परिणाम से परिचित होंगे। एकमात्र यही नियम आपमें निहित सब शक्तियों को जाग्रत करने में समर्थ होगा। आप अपनी असाधारण इच्छाशक्ति के स्वामी होंगे।
नींद को बिना किसी प्रकार का महत्त्व दिए प्रत्येक व्यक्ति इसे स्वाभाविक तथा साधारण क्रिया के रूप में लेता है। यह अतिशयोक्ति न होगी कि कोई भी सांसारिक व्यक्ति सोने की वैज्ञानिक विधि नहीं जानता। कोई गृहस्थ नहीं जानता कि नींद कैसे ली जाए। गृहस्थों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है। यदि वे अतीन्द्रिय निद्रा की विधि सीख लें तो उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होगा। वे लोग कम समय में ही नींद पूरी कर लेंगे और अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
साधारणतः बिस्तर छोड़ने के बाद व्यक्ति शरीर में थकान तथा सिर में भारीपन का अनुभव करता है। कुछ व्यक्ति जागने पर सुस्ती का अनुभव करते हैं। वे बिस्तर से उठना नहीं चाहते और आधी सुप्त और आधी जाग्रतः अवस्था में पड़े रहते हैं। बहुत से व्यक्ति ऐसे हैं जो आठ घंटे या उससे भी अधिक लम्बी नींद लेते हैं, परन्तु ऐसा अनुभव करते हैं कि उनकी नींद पूरी नहीं हुई है। साधारणतः स्वस्थ व्यक्ति के लिए आठ घण्टे की नींद काफी ही नहीं है बल्कि आवश्यकता से अधिक है। कुछ लोगों को बिना ब्रोमाइड या अन्य प्रशान्तक दवाइयों के बिना नींद नहीं आती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि जहाँ कुछ लोगों को अत्यधिक नींद लेने की समस्या है वहीं बहुत से लोग अनिद्रा से पीड़ित हैं। कुछ लोगों को पुस्तक या उपन्यास पढ़े बिना नींद नहीं आती। स्वास्थ्य के लिए यह आदत भी खराब है। लेटे हुए पढ़ते समय आँखों पर विशेष दबाव पड़ता है। परिणामतः अधिक दबाब के कारण वे थक जाती हैं और शरीर में आलस्य आने से नींद आ जाती है। यह नींद का गलत तरीका है। कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें पैरों में मालिश किए बिना नींद नहीं आती है। यह विधि खराब ही नहीं बल्कि खासकर बात से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक भी है। यदि व्यक्ति घर से बाहर है और ऐसी सुविधा नहीं है तो उसे नींद ही नहीं आती। यह सभी खराब आदतें हैं और इन्हें हम निद्रा के रोग ही कहेंगे। एक और समस्या है। वर्तमान युग का व्यक्ति अत्यधिक व्यस्त रहता है। वह आधुनिक, औद्योगिक और भौतिक युग में महत्त्वाकांक्षाओं एवं इच्छाओं के पीछे दौड़ता रहता है। हम बड़े शहरों में लोगों के व्यस्ततम जीवन को जानते हैं। कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जो विभिन्न कार्यों में इस तरह व्यस्त हैं कि उन्हें उचित आराम करने या सोने का समय नहीं मिलता। उनके लिए यह एक समस्या है। व्यापारी, डॉक्टर, सामाजिक कार्यकर्ता, सरकारी या अन्य बड़े कर्मचारी सभी को नींद सम्बन्धी कुछ कठिनाई है।
योगनिद्रा एक ऐसा सुनहरा नियम है जो सभी के लिए निर्धारित किया जा सकता हैं, जिसके द्वारा वे तीन घंटों में नींद की आवश्यकता की पूर्ति कर सकते हैं। केवल तीन घंटा बिस्तर पर लेट कर ही वे 21 घण्टे के कार्य की थकान दूर कर सकते हैं। नेपोलियन ऐसा व्यक्ति माना जाता है जो कम सोता था। कहा जाता है कि कई दिनों तक उसे घोड़े की पीठ पर ही रहना पड़ता था और वहीं अपनी नींद पूरी कर लेता था। गाँधी जी भी कम सोने वाले व्यक्ति थे। वे कार्यक्रम में जाते समय और वहाँ से लौटते समय यात्रा के दौरान आराम से सो जाते थे। उनके कठिन और निरन्तर बौद्धिक कार्यों से सब परिचित हैं। उनकी सफलता का क्या रहस्य है? सच्चे अर्थों में वे योगी थे। उनके पास मन की पूर्ण एकाग्रता थी। वे गहरी एकाग्रता के साथ अपने उद्देश्य की पूर्ति में लगे हुए थे। एकाग्रता में असीम शक्ति है। कहा जाता है कि योगी कभी नहीं सोते। पूरी चेतना के साथ उनका मन अपने उद्देश्य की प्राप्ति की ओर लगा रहता है। योगी अपनी नींद को समाधि में परिवर्तित कर देता है। है
जिस तरह सोते समय शरीर आराम करता है, उसी तरह मस्तिष्क को भी आराम मिलना चाहिए। रात्रि में भी मन का भटकना बन्द नहीं होता। विभिन्न विचारों को लिए हुए जब हम सोते हैं तब वासना, क्रोध, लालच, अभिमान, आसक्ति आदि के विचार अनेक रूप में हमारे सामने आते हैं। जब मन इधर उधर भटकता रहता है तो व्यक्ति को अच्छी नींद नहीं आती है और भयंकर स्वप्न दिखाई देते हैं। मन शान्त नहीं रहता। ताजगी का अनुभव नहीं होता। निरर्थक घटनाओं पर आधारित कामनापूर्ण विचार मध्यरात्रि में आते हैं और आत्मा को इधर-उधर भटकाते हैं तथा उसकी थकावट के कारण बनते हैं। इन अवांच्छित विचारों से ध्यान हटाने की आवश्यकता है। यदि मन को इन विचारों से अलग कर एक विशेष दिशा में निर्देशित किया जाय तो व्यक्ति को मानसिक शान्ति और आनन्द की प्राप्ति होगी।
निद्रा समाधि की ही निम्नतर अवस्था है। सोते समय व्यक्ति सांसारिक चिन्ता, परेशानी, थकावट आदि भूल जाता है और एक दूसरे लोक की यात्रा करता है। किसी प्रकार के दुर्व्यवहारों का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। समाधि में भी व्यक्ति को सांसारिक भावनाओं एवं संवेदनाओं का ध्यान और अनुभव नहीं होता। अंगों से भी किसी प्रकार का संदेश प्राप्त नहीं होता। परन्तु निद्रा और समाधि में भिन्नता है। नींद की अवस्था में व्यक्ति को अपने को नियन्त्रित रखने का न तो ज्ञान होता है और न इसकी शक्ति रहती है। समाधि में यद्यपि अंगों द्वारा उसे सांसारिक बातों का अनुभव नहीं होता, परन्तु वह आत्मिक रूप से जाग्रत रहता है। उसे सभी प्रकार का ज्ञान होता है, परन्तु यह अत्यन्त ऊँची आध्यात्मिक अवस्था है। यह ऐसी उच्चतम अवस्था है जिसमें व्यक्ति पूर्ण ज्ञान और प्रकाश की अवस्था में रहता है और उस समय यह संसार पूर्णत: तमसाच्छन्न प्रतीत होता है। साधारणत: कुछ व्यक्ति अनिद्रा से कम या अधिक मात्रा में पीड़ित हैं और कुछ अत्यधिक नींद के शिकार हैं। यदि हम इस पर शान्त मन से विचार करें तो ज्ञात होगा कि हम कितना लम्बा और अमूल्य समय नींद में गँवा देते हैं। यदि इस अमूल्य समय का सदुपयोग हम कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए करते तो आश्चर्यजनक परिणाम की प्राप्ति होती।
सारांशतः यदि हम आवश्यक समय ही नींद के लिए दें तथा अन्य समय अपने जीवन के लिए या दूसरों के लिए रचनात्मक कार्य करें तो समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सकते हैं। अनुपयोगी नींद के लिए जो समय हम खर्च करते हैं. उसका सदुपयोग अध्ययन, धनोपार्जन, लोक सेवा, आत्मज्ञान के लिए और आध्यात्मिक अभ्यास में करें तो अधिक अच्छा हो । जब लघु निद्रा पर्याप्त है तब दीर्घ निद्रा की क्या आवश्यकता है? हम सबके लिए निद्रा विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। नींद किस प्रकार की हो? हमें कितनी देर सोना चाहिए? थकावट को किस तरह जल्द दूर करें? मानसिक तनावों को कैसे हटायें? किस प्रकार न्यूनतम समय में शरीर और मन की थकावट दूर करें? किस प्रकार की नींद हमें ताजगी और ऊर्जा प्रदान करेगी? अत्यधिक निद्रा आलस्य की सूचक तथा अनिद्रा मानसिक तनाव का कारण है। दोनों ही उचित नहीं हैं।
विसरित विचारों के साथ सोना ठीक नहीं। इससे बचना चाहिए। जिस प्रकार दिनभर के कार्यों को महत्त्व प्रदान कर अच्छी तरह सम्पन्न किया जाता है, नींद को भी वैसा ही महत्त्व देना चाहिए। मन इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। मशीन यदि बिना रूके दिन भर चलती रहे तो वह भी गर्म हो जाती है। इसी प्रकार नींद ठंढक पहुँचाने का साधन है। यह हमारे शरीर की बैटरी को पुनः सक्रिय बना देती है, जो दिन भर के कार्य के बाद निष्क्रिय हो जाती है। वह खर्च की हुई शक्ति को पुनः वापस करती है। बिस्तर पर लेटने से पूर्व 2 से 4 मिनट तक शान्तिपूर्वक बैठें। दिन भर के कार्यों से सम्बद्ध विचारों को मन से दूर करें। ऐसा करने की साधारण विधि यह है कि ‘इष्ट मंत्र’ का मानसिक रूप से जप आरम्भ करें। आपको परेशान करने वाले दैनिक विचार स्वतः दूर हो जायेंगे । तत्पश्चात् कुछ समय के लिए अपने इष्ट का ध्यान करें। इसी स्थिति में बिस्तर पर लेट जायें।
शारीरिक एवं मानसिक विश्रान्ति के लिए सामान्य निद्रा से योग निद्रा कहीं अधिक उपयोगी और प्रभावकारी है। योगनिद्रा द्वारा हम केवल विश्रान्ति ही नहीं प्राप्त करते हैं, वरन् अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व का पुनर्निमाण एवं सुधार करते हैं। तनाव-मुक्ति, विश्रान्ति और मानसिक शान्ति रूपान्तरण के मूल मंत्र हैं। तनावग्रस्त होने पर मानव का व्यवहार बदल जाता है और तनाव मुक्त होने पर वह सहज एवं स्वाभाविक हो जाता है। यदि आप योग निद्रा का अभ्यास करें तो आपके मन की प्रवृत्ति बदल सकती हैं, रोग दूर हो सकता है और आपकी रचनात्मक प्रतिभा वापस आ सकती है। मानव के अन्दर चेतन और अचेतन मन सर्वाधिक शक्तिशाली शक्तियाँ हैं। इस सरल योगनिद्रा में मानव-मन की गहराई में प्रवेश करने की क्षमता है। व्यक्ति को कोई शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक समस्या हो या न हो, उसे अपने मन की गहराई में उतरने व चेतना के विकास के लिए नित्य योग निद्रा का अभ्यास करना चाहिए योगनिद्रा के अभ्यास को किसी भी समय किया जा सकता है। दिन के कठिन श्रम के दौरान यदि अवसर हो तो इस अभ्यास को करके आराम लिया जा सकता है। इस अभ्यास की एक और रोचक बात है। *यदि आपने पहले से ही नींद की अवधि के बारे में निर्णय कर रखा है तो उस निश्चित समय पर आपको जगाने के लिए एक हल्का झटका लगेगा। यह तथ्य वर्षों के प्रायोगिक अनुभवों पर आधारित है।

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