विश्व थायराइड दिवस – थायराइड को प्राणायाम व योग के माध्यम से जड़ से आसानी से दूर किया जा सकता है : महेश अग्रवाल
भोपाल.आदर्श योग आध्यात्मिक केन्द्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल ने बताया कि शुगर की तरह थायरायड भी महामारी का रुप लेता जा रहा है। यह बीमारी महिलाओं में अधिकतर देखने को मिलती है। लेकिन इस खतरनाक रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है अगर हम नियमित योग करें।अगर आपके बाल गिरने लगे और स्किन ड्राई, हमेशा चिड़चिड़े रहना जैसे संकेत दिखे तो आप साइलेंट किलर थायराइड के शिकार हो सकते हैं। अगर कम उम्र में ही हर वक्त थकान रहे, कम खाने के बावजूद तेजी से वजन बढ़ रहा है, कम उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगें तो समझ लीजिए सेहत ठीक नहीं है। ऐसे मरीजों को लाइफस्टाइल और खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है। दरअसल, खराब दिनचर्या और गलत खानपान इसका बड़ा कारण है। लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व थायराइड दिवस हर साल 25 मई को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य थायराइड के महत्व और रोग की रोकथाम व उपचार के बारे में जागरूक करना है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं थायराइड का ज्यादा शिकार होती हैं। देश में हर 10वां व्यक्ति बीमारी से जूझ रहा है। 35 साल की उम्र से थायराइड की जांच शुरू करा देनी चाहिए और प्रत्येक पांच साल बाद नियमित जांच करानी चाहिए। ताकि इस गंभीर बीमारी से बचाव किया जा सकें। थायराइड से छुटकारा पाने के लिए सूर्य नमस्कार, लाभदायक होता है। इसके करने से पूरे शरीर एनर्जी से भरा रहता है। इसके साथ ही हृदय, फेफड़ा, किडनी को स्वस्थ्य रखने में सहायक तो होता ही है, साथ में थायराइड से छुटकारा भी दिलाता है। सर्वांगासन, शीर्षासन, हलासन,भुजंगासन, चक्रासन, कन्धरासन, मार्जरि आसन, सुप्त वज्रासन, उष्ट्रासन, ग्रीवा संचालन एवं भस्त्रिका प्राणायाम, उज्जायी प्राणायाम से लाभ मिलता हैं। योग गुरु अग्रवाल ने इस अवसर पर विशेष बताया कि योग का भविष्य अत्यन्त महान् और दिव्य है। आगामी सदी में योग समाज के उत्थान में सर्वप्रमुख भूमिका निभायेगा। जीवन की सन्तुलित अन्तर्दृष्टि को मन की शान्ति कहते हैं। पाने और खोने से उसका कोई सम्बन्ध नहीं है, वह तो जीवन में हर चीज की समझदारी से सम्बन्धित है। बाहरी जीवन उतार-चढ़ाव से परिपूर्ण होता है और यह एक कमजोर आदमी के लिये थकावट का कारण है, लेकिन शक्तिशाली व्यक्ति के लिये जीवन का हर चढ़ाव एक खुशी है और हर उतार एक खेल है। शरीर के एक स्तर पर कुछ विशेष हार्मोन स्रावित होते हैं जो अशान्ति पैदा करते हैं। इनमें एड्रिनलिन, टेस्टोस्टेरॉन नामक हार्मोन सबसे अधिक विघ्नकारक हैं। यदि इनके प्रवाहों को ठीक से नियंत्रित कर लिया जाये तो अशान्ति उत्पन्न करने वाले आरंभिक शारीरिक उपद्रवों को दूर किया जा सकता है। आसन, प्राणायाम और ध्यान के प्रतिदिन नियमित अभ्यास से हार्मोन के स्त्रावों में नियंत्रण आयेगा, मानसिक और प्राणिक शक्तियों में एक स्वाभाविक संतुलन होगा और उद्विग्नता जैसी समस्याएँ उत्पन्न नहीं होंगी। साधारण तौर पर अशान्ति का कारण है अतिशय सोचना और इच्छा करना और यह इस बात का सूचक है कि तुम्हारा दिमाग काबू के बाहर हो गया है। इस मानसिक शक्ति की इस अधिकता को सन्तुलित करने के लिये राजयोग के ध्यान का अभ्यास अधिक करना चाहिये। सबसे अच्छा उपाय है- मंत्र का जप करना तथा उनके अभ्यास से मानसिक शक्ति का बहिर्गमन बंद होगा।