महानवमी पर कन्या पूजन करने से मिलेगी अपार सुख-समृद्धि, जानें विधि
नवरात्रि का आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. यह मां दुर्गा का पूर्ण स्वरूप है और सबसे सिद्ध अवतार है. धर्म-शास्त्रों के अनुसार केवल नवमे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करके संपूर्ण नवरात्रि की पूजा-उपासना का फल पाया जा सकता है. मां सिद्धिदात्री मनुष्यों और देवताओं सभी को सिद्धियां देने वाली देवी हैं. लिहाजा महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. साथ ही महानवमी के दिन कन्या पूजन जरूर करना चाहिए. तभी 9 दिनों के व्रत-साधना का पूरा फल मिलता है. जिन लोगों ने 9 दिन के व्रत रखे हैं, उन्हें कन्या पूजन करने के बाद ही पारण करना चाहिए.
नवमी पर कन्या पूजन का मुहूर्त
महानवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 4 अक्टूबर की सुबह 5 बजकर 2 मिनट से सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक है. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है. वहीं लाभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. व्रत का पारण करने के लिए शुभ समय आज 4 अक्टूबर की दोपहर 2 बजकर 21 मिनट के बाद है.
महानवमी पर कन्या पूजन की विधि
शारदीय नवरात्रि की नवमी पर कन्या पूजन करने के लिए 2 से 10 साल की उम्र की कन्याओं को अपने घर आने का आमंत्रण दें. फिर शुभ मुहूर्त में इन कन्याओं की अपने घर पर पूजा करें. कन्याओं के पैर धोएं. उन्हें तिलक लगाएं, लाल चुनरी भेंट करें. उन पर फूल चढ़ाएं. मातारानी के जयकारे लगाएं. कन्याओं को हलवा, पूरी-चने, खीर का सम्मानपूर्वक भोजन कराएं. श्रृंगार की वस्तु और पैसे भेंट करें. कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें.