April 6, 2021
Yoga For Back pain : कमर दर्द में मिलेगा झट से आराम, लेटे-लेटे करें ये योगासन
मत्स्य क्रीड़ासन को आरामदायक आसन कहा जाता है। इसे करते वक्त आप अपनी आंख बंद रखकर आराम भी कर सकते हैं। मत्स्य क्रीड़ासन उन लोगों के लिए वैकल्पिक है, जो आगे झुकने वाले आसन का अभ्यास नहीं कर सकते। मत्स्य क्रीड़ासन आपके दिमाग को आराम देते हुए, आपको तनाव मुक्त करता है।
योग का महत्त्व हम सभी अच्छे से जानते हैं, लेकिन बावजूद इसके कई बार हम हमारी बिजी लाइफ में इसके लिए उपयुक्त समय नहीं निकाल पाते। हालांकि ऐसे कई योगासन हैं, जिन्हें करने के लिए आपको किसी खास जगह की जरूरत नहीं है। अपने बिस्तर या बेड पर लेटे-लेटे भी आप इन आसनों को कर सकते हैं। उन आरामदायक आसनों में मत्स्य क्रीड़ासन भी शामिल है। योग की दुनिया में मत्स्य क्रीड़ासन को सबसे ज्यादा आरामदायक योगासनों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसे आप आराम करते वक्त भी आसानी से कर सकते हैं। मत्स्य क्रीड़ासन को अंग्रेजी में “फ्लैपिंग फिश पोस” भी कहते हैं।
मत्स्य क्रीड़ासन एक संस्कृत नाम है। संस्कृत में मत्स्य का अर्थ होता है ‘मछली’ और क्रीड़ा का अर्थ होता है ‘क्रिया’। मत्स्य क्रीड़ासन करते वक्त आपकी शरीर पानी में खेल रही मछली का आकार धारण करती है। मत्स्य क्रीड़ासन सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है। खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जिनकी प्रेगनेंसी का तीसरा ट्राइमेस्टर शुरू हो गया होता है। यह आसन करने पर गर्भवती महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रिलीफ मिलता है। मत्स्य क्रीड़ासन उन लोगों के लिए भी लाभकारी है जो साटिका के दर्द से पीड़ित हैं। यदि किसी को अधिक स्ट्रेस या माइल्ड डिप्रेशन है, तो उस व्यक्ति के लिए भी मत्स्य क्रीड़ासन काफी फायदेमंद साबित होता है। मत्स्य क्रीड़ासन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है, बशर्तें आप इसे करने का सही तरीका जानते हों।
मत्स्य क्रीड़ासन के फायदे से पहले, आइए जानते है इसे करने का सही तरीका :
- मत्स्य क्रीड़ासन करने के लिए सबसे पहले आप शवासन में लेट जाएं और अपने बाईं तरफ करवट ले लें।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों से अपने सिर को सहारा दें।
- अब अपने दाएं पैर को आगे की तरफ ‘उल्टा L’ बनाते हुए ऐसे रखें जैसे उसने मत्स्य का आकर ले लिया हो।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में मिलाते हुए अपनी बाईं बांह का सिरहाना लेते हुए उसपे सिर रखकर लेट जाएं।
- मत्स्य क्रीड़ासन करते वक्त कोशिश करें कि आपके दाएं हाथ की कोहनी, दाएं पैर के घुटने को छू सके।
- जब तक हो सके, इस आसन में रहें और लंबी गहरी सांसें लेते रहें। हर बाहर जाती सांस के साथ विश्राम करें। इस पोजीशन में 2 से 3 मिनट रहें।
- इसके बाद इस आसन को दाएं करवट के साथ दोहराएं।
- मत्स्य क्रीड़ासन आपके शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी को भी बढ़ाता है।
- आपके इम्म्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है।
- आपके पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है।
- यह कब्ज की समस्या को खत्म करने में भी मदद करता है।
- लगातार मत्स्य क्रीड़ासन करने पर आपको पीठ दर्द से मुक्ति मिल सकती है।
- मत्स्य क्रीड़ासन आपके कमर के चारों ओर मौजूद अतिरिक्त चर्बी को कम कर, आपकी कमर को बेहतर शेप देता है।
- मत्स्य क्रीड़ासन दिमाग को संतुलित करने में भी काफी लाभकारी है।
- एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है और विचार प्रक्रिया बहुत ही स्पष्ट और सटीक हो जाती है।
- यदि आपको गंभीर पीठ दर्द है तो उस हालत में मत्स्य क्रीड़ासन न करें।
- माइग्रेन और इंसोम्निया ग्रसित लोगों को भी मत्स्य क्रीड़ासन नहीं करना चाहिए।
- अगर आपके घुटने पर चोट लगी है तो आपको योगासन के वक्त कुशन की सहायता लेनी चाहिए। अगर जरूरी न हो तो मत्स्य क्रीड़ासन के अभ्यास से बचना चाहिए।
- यदि मत्स्य क्रीड़ासन के दौरान आप सहज महसूस नहीं करते, या फिर अभ्यास के दौरान आपको शरीर में दर्द महसूस हो रहा है तो आप इसे न करें।
- यदि आपको अपनी शारीरिक स्थिति को लेकर कोई भी संदेह है तो मत्स्य क्रीड़ासन का अभ्यास करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें और हमेशा एक प्रशिक्षित योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही आसन का अभ्यास करें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को करते वक्त पेट के बल न लेटते हुए, पीठ के बल लेटकर भी इस योगासन को कर इसका लाभ उठा सकती हैं।