रोग से निरोग होने का नाम है योग : प्रो. सुशिम दुबे

वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतर्गत आयोजित योग सप्ताह का समापन 27 जून को हुआ। इस अवसर जनसंचार विभाग द्वारा सम्मिश्र पद्धति से ‘योग की संव्‍यावहारिक प्रयोजनीयता’ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान में योग विशेषज्ञ, नवनालंदा महाविहार, नालंदा के प्रो. सुशिम दुबे ने कहा कि योग के समान दूसरा कोई बल नहीं है। योग रोग से निरोग होने का नाम है।

जनसंचार विभाग में आयोजित कार्यक्रम की अध्‍यक्षता कुलपति  प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने की। विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से योग सप्ताह मनाया गया, जिसके अंतर्गत व्याख्यानों के माध्यम से योग विशेषज्ञों ने योग की महत्ता प्रतिपादित की।

प्रो. सुशिम दुबे ने योग दर्शन को जीवन में उतारकर इसे दैनंदिन जीवन में अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि योग अभ्यास से व्यक्तित्व और चरित्र में विराटता आती है। इसे जीवन का हिस्सा बनाने से अनेक व्याधियों को दूर रखा जा सकता है। उच्च रक्तचाप, रक्त शर्करा, अवसाद आदि बिमारियों पर नियमित योग कारगर उपाय है।

अध्‍यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि व्यक्ति का जीवन तनाव, कुंठा, मोह, घबराहट और अतृप्त कामनाओं से भरा है ऐसे में योग ही इनपर विजय पाने का एकमात्र रास्ता है । योग व्यक्ति के ज्ञानेंद्रियों, मन और बुद्धि को सरूप परिणाम की ओर ले जाता है। यह आत्मा को स्वच्छ करने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि योग अभ्यास से स्वयं के साथ-साथ अन्यों को सुखी करने का दृष्टिकोण आता है। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने किया। मंगलाचरण डॉ. वागीश राज शुक्‍ल ने प्रस्‍तुत किया। स्वागत वक्तव्य जनसंचार विभाग के प्रो. अनिल कुमार राय ने दिया तथा आभार सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेश लेहकपुरे ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम में अध्‍यापक शोधार्थी एवं विद्यार्थी प्रत्‍यक्षत: तथा आभासी माध्‍यम से बड़ी संख्‍या में जुड़े थे।

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