केंद्र सरकार पीड़ित परिवार को 7500 रूपए सहयोग के रूप में दें : सोनिया गाँधी


नई दिल्ली. तीन हफ्ते पहले हुई हमारी मुलाकात के बाद कोविड-19 महामारी की गति और फैलाव चिंताजनक रूप से बढ़ चुके हैं।
लॉकडाऊन जारी है और हमारे समाज के सभी वर्गों- खासकर किसान व खेत मजदूर, प्रवासी मजदूर, निर्माण श्रमिक एवं असंगठित क्षेत्र के
श्रमिकों को अत्यधिक दिक्कतों व संकट का सामना करना पड़ रहा है। व्यापार, वाणिज्य व उद्योगों पर विराम लग गया है तथा करोड़ों लोगों की आजीविका नष्ट हो गई है। सरकार के पास 3 मई के बाद आगे इस समस्या से निपटने की कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं दिखाई देती। इस तिथि के बाद यदि लॉकडाऊन को मौजूदा स्वरूप में आगे बढ़ाया जाता है, तो उसका प्रभाव और ज्यादा विनाशकारी होगा। जैसा आप सभी जानते हैं, 23 मार्च को लॉकडाऊन शुरू होने के बाद, मैंने प्रधानमंत्री जी को अनेकों पत्र लिखे हैं। मैंने हमारा रचनात्मक सहयोग प्रस्तुत किया तथा ग्रामीण व शहरी परिवारों की पीड़ा कम करने के लिए अनेक सुझाव भी दिए। ये सुझाव, हमारे मुख्यमंत्रियों समेत विभिन्न स्रोतों से मिले फीडबैक के आधार पर तैयार किए गए थे। दुर्भाग्य से इन सुझावों पर केवल आंशिक व अपर्याप्त कार्यवाही ही की गई। सहानुभूति, सहृदयता एवं तत्परता, जो केंद्र सरकार की ओर से दिखनी चाहिए थी, उसमें स्पष्ट कमी नजर आती है। हमारा निरंतर ध्येय स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा एवं आजीविका की समस्याओं का सफल समाधान होना चाहिए। हमने प्रधानमंत्री जी से बार बार आग्रह किया है कि टेस्टिंग, ट्रेस और क्वैरेंटाईन प्रोग्राम का कोई विकल्प नहीं है। यह चिंता की बात है कि टेस्टिंग अपर्याप्त हो रही है और टेस्टिंग किट्स की आपूर्ति ही नहीं, बल्कि उनकी क्वालिटी भी खराब है। हमारे डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट उपलब्ध तो कराई जा रही हैं, लेकिन उनकी संख्या व क्वालिटी दोनों ही बुरी हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्यान्न अभी तक लाभार्थियों तक नहीं पहुंचा है। 11 करोड़ लोग जिन्हें सब्सिडी वाले खाद्यान्न की जरूरत है, वो अभी भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर हैं। इस संकट की घड़ी में हर महीने परिवार के हर व्यक्ति को 10 किलोग्राम अनाज, 1 किलो दाल और आधा किलोग्राम चीनी उपलब्ध कराना हमारी प्रतिबद्धता होनी चाहिए।

लॉकडाऊन के पहले चरण में 12 करोड़ नौकरियाँ चली गईं। बेरोज़गारी और बढ़ने के आसार हैं क्योंकि आर्थिक गतिविधियों पर विराम लगा हुआ है। इस संकट से निपटने के लिए हर परिवार को कम से कम 7,500 रुपये दिया जाना आवश्यक है।

प्रवासी मजदूर अब भी फंसे हुए हैं, वो बेरोज़गारी हो गए हैं और अपने घरों को लौटने को बेताब हैं। उन पर सबसे बुरी मार पड़ी है। संकट के इस दौर में बचे रहने के लिए उन्हें खाद्य सुरक्षा और वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

किसानों को भी गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कामचलाऊ व अस्पष्ट खरीद नीतियों तथा बाधित आपूर्ति चेन में तत्काल सुधार किए जाने की आवश्यकता है। आगामी दो महीने में शुरू होने वाली खरीफ फसलों की बुवाई के लिए किसानों को आवश्यक सुविधाएँ मुहैया कराई जानी चाहिए।

आज एमएसएमई क्षेत्र लगभग 11 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है, जो जीडीपी में एक तिहाई हिस्से का योगदान भी देते हैं। यदि उन्हें बर्बादी से बचाना है, तो यह आवश्यक है कि उनके लिए एक विशेष पैकेज की तत्काल घोषणा की जाए, जिससे वो पुर्नजीवित हों।

साथियों, राज्य और स्थानीय सरकारें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम कतार में खड़े हैं, लेकिन फिर भी राज्यों के हिस्से का जायज फंड रोककर रखा गया है। मुझे यकीन है कि हमारे मुख्यमंत्री हमें उन कठिनाइयों के बारे में बताएंगे जिनका वो सामना कर रहे हैं।

मैं आपको कुछ ऐसा बताना चाहती हूँ, जो हर भारतीय के लिए चिंता का विषय है। जिस समय हम सबको कोरोना वायरस से मिलकर निपटना चाहिए, ऐसे वक्त भाजपा सांप्रदायिक पूर्वाग्रह व नफरत का वायरस फैला रही है। हमारी सामाजिक समरसता को गंभीर चोट पहुंचाई जा रही है। देश को इस नुकसान से उबारने के लिए हमारी पार्टी को कड़ी मेहनत करनी होगी।

कुछ सफलता की कहानियां भी हैं, जिनकी हमें सराहना करनी चाहिए। सबसे पहले हमें हर उस भारतीय को सलाम करना चाहिए, जो बगैर पर्याप्त पर्सनल प्रोटेक्शन ईक्विपमेंट के कोविड-19 की लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है, जिनमें डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, स्वास्थ्यकर्मी, सफाई कर्मी एवं अन्य सभी आवश्यक सेवा प्रदाता, एनजीओ तथा लाखों नागरिक हैं, जो पूरे भारत में ज़रूरतमंदों को सेवा व राहत प्रदान कर रहे हैं। उनका समर्पण और दृढ़ संकल्प हम सभी को प्रेरित करता है। मैं कांग्रेस की राज्य सरकारों के साथ साथ अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं कड़े व अथक प्रयासों का भी सम्मान करती हूँ। अंत में मैं एक बार फिर सरकार को सकारात्मक सहयोग देने की हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता के साथ अपने वक्तव्य को समाप्त करती हूँ।

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