अब छत्तीसगढ़ का मूल निवासी ही करेगा रेत की बिक्री

बिलासपुर. प्रदेश में पूर्व मंे खनिज रेत का उत्खनन हेतु छत्तीसगढ़ गौण खनिज रेत का उत्खनन एवं व्यवसाय विनियमन निर्देश 2006 के तहत ग्राम पंचायतों को रेत व्यवसाय हेतु अधिकृत किया गया था। उक्त नियमों के तहत संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं नगरीय निकायों के द्वारा मात्र रायल्टी प्राप्त कर रेत खदाने संचालित की जा रही थी।
पुरानी व्यवस्था में ग्राम पंचायतों द्वारा अवैधानिक तरीके से निजी व्यक्तियों के माध्यम से मशीने लगाकर रेत खदानों को ठेके पर दे दिया गया था। माइनिंग प्लान तथा पर्यावरण सम्मति का पालन ग्राम पंचायतों द्वारा नहीं कराया जा पा रहा था। जिन खदानों में मैन्युल लोडिंग हेतु अनुमति प्रदत्त है, उन खदानों में भी मशीनांे द्वारा लोडिंग कराये जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी। पंचायतों का खदान संचालन में कोई नियंत्रण नहीं होने से मूल्य वृद्धि के साथ-साथ अव्यवस्था उत्पन्न हो गई थी।
माननीय मुख्यमंत्री जी के विशेष पहल पर शासन द्वारा कैबिनेट की बैठक कर निर्णय लिया गया कि पंचायतों एवं नगरीय निकायों के माध्यम से रेत खदानों के संचालन की वर्तमान व्यवस्था में संशोधन करते हुये रेत खदान संचालन हेतु निजी व्यक्ति, संस्था का चयन संबंधित जिले के कलेक्टर द्वारा रिवर्स बिडिंग के आधार पर कराये जाने का निर्णय लिया गया। 
रेत खदानों के संचालन हेतु छत्तीसगढ़ गौण खनिज साधारण रेत (उत्खनन एवं व्यवसाय) नियम, 2019 बनाया गया।विभागीय सचिव महोदय एवं संचालक, भौमिकी एवं खनिकर्म के द्वारा तद्संबंध में विशेष पहल करते हुये जिला स्तर पर रेत खदानों के समूह निर्माण तथा सीलिंग प्राईज के निर्धारण हेतु अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है। सीलिंग प्राईज निर्धारण हेतु प्रति घनमीटर मशीन, मैनुअल माध्यम से रेत भराई, लोडिंग हेतु प्रचलित व्यय तथा खदान में रैम्प, रास्ता एवं अन्य आवश्यक व्यय के आधार पर किया गया। सीलिंग प्राईज एवं उक्त खदान हेतु प्राप्त न्यूनतम बोली के अंतर की राशि शासन को बतौर नीलामी राशि के रूप में प्राप्त होगी। चयनित बोलीदार को 2 वर्ष हेतु रेत उत्खनन पट्टा का आबंटन किया जायेगा।
अब वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत रेत खदान संचालनकर्ता को खनिज रेत का मूल्य एवं अन्य प्रभारित करों को खदान क्षेत्र में आम जनता के लिये प्रदर्शित किया जाना होगा।
वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत द्वितीय चरण में रेत परिवहन में संलग्न वाहनों तथा रेत व्यवसाय से जुड़े ट्रेडर्स का पंजीयन कराया जाना अनिवार्य होगा। ठेकेदार द्वारा रायल्टी एवं अन्य करो का अग्रिम भुगतान कर खनिज आॅनलाईन पोर्टल के माध्यम से अभिवहन पास जारी किया जायेगा।
आज 19 अगस्त 2019 को जिला रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, कोरबा, मुंगेली, कांकेर, बलौदा बाजार-भाटापारा एवं अन्य जिलों में कुल 60 रेत खदानों हेतु एन.आई.टी. जारी किया गया है। जिसमें छत्तीसगढ़ का मूल निवासी ही नीलामी में भाग ले सकता है। रेत उत्खनन में किसी व्यक्ति, फर्म, संस्था का एकाधिकार समाप्त करने के लिये नई व्यवस्था के अंतर्गत किसी एक जिले में मात्र 1 खदान समूह तथा पूरे प्रदेश में अधिकतम 5 समूहों में ही रेत खदानें प्राप्त कर सकता है।
प्रस्तावित नवीन व्यवस्था मे ंप्रदेश भर में रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन, भंडारण पर प्रभावी नियंत्रण हेतु जिला एवं प्रदेश स्तर का उड़नदस्ता दलों का गठन किया जा रहा है। नियमों के उल्लंघन पर दोषी के विरूद्ध कार्यवाही करने एवं रेत परिवहन संलग्न वाहन, ट्रेडर्स द्वारा 3 बार से अधिक अवैध परिवहन में लिप्त पाये जाने पर उल्लंघनकर्ता के विरूद्ध आॅनलाईन पंजीयन से पृथक करने की कठोर कार्यवाही की जायेगी।
रेत खनन की नवीन प्रस्तावित योजना से लाभ
आम जनता को निर्धारित दर पर सुगमता से रेत उपलब्ध हो पायेगा।
रेत खदानों के निलामी, संचालन एवं रेत तथा अन्य खनिजों की निगरानी की प्रस्तावित व्यवस्था के लिये आवश्यकतानुसार छत्तीसगढ़ खनिज विकास निधि से राशि की व्यवस्था की जायेगी।
प्रस्तावित व्यवस्था से नदियों एवं जल स्त्रोतों के पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संरक्षण के साथ ही उपभोक्ताओं को सुगमता से उचित मूल्य पर रेत उपलब्ध हो सकेगी।
शासन को रायल्टी के साथ डी.एम.एफ., पर्यावरण एवं अधोसंरचना उपकर सहित नीलामी राशि (उच्चतम निर्धारित मूल्य एवं न्यूनतम बोली के अंतर की राशि) के रूप में अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
रेत के पट्टों के अनुबंध निष्पादन होने से स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क के रूप में अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
पंचायतों एवं नगरीय निकायों को विगत 5 वर्षों मंे प्राप्त अधिकतम वार्षिक रायल्टी राशि में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर समतुल्य राशि संबंधित पंचायत, नगरीय निकायों को आगामी वित्तीय वर्ष से प्राप्त होगी।
पूर्व मंे पंचायतों द्वारा रेत खदान संचालन से जहां लगभग 13 करोड़ मात्र रायल्टी के रूप में प्राप्त हुआ करता था, वही अब नवीन व्यवस्था से लगभग 200 करोड़ राजस्व प्राप्त होने की संभावना है। 

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