अर्मेनिया और अजरबैजान में 29 दिन बाद लौटेगी शांति, इस देश ने कराया संघर्ष विराम


नागोर्नो-काराबाख. अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 29 दिनों से चल रही जंग के शांत होने की उम्मीद है.दोनों देशों ने आधी रात से युद्ध विराम लागू करने पर सहमति जताई है. पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियों और फिर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी. अर्मेनिया और अजरबैजान दुनिया के नक्शे में दो छोटे से देश हैं. लेकिन इन दो देशों के बीच नागोर्नो काराबाख को लेकर लगभग एक महीने से ऐसी भीषण जंग चल रही है. जिसकी वजह से दुनिया भर की नजर इन दोनों देशों पर टिकी हुई थी. दावा किया जा रहा है इस जंग में अब तक दोनों पक्षों के लगभग 5 हजार लोग मारे गए हैं.

माइक पोम्पियो ने दी समझौते की जानकारी
दोनों देशों के बीच समझौते की कई कोशिशें विफल होने के बाद फिलहाल युद्ध के बादल छंटते नजर आ रहे हैं. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉ​म्पियो ने जानकारी दी है कि दोनों देश युद्ध विराम के लिए तैयार हो गए हैं. दरअसल अमेरिका ने अर्मेनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्री और OSCE Minsk Group के साथ गहन बातचीत की सुविधा दी. जिससे नागोर्नो काराबाख़ के संघर्ष को खत्म करने के करीब पहुंचा जा सके.

अमेरिका समेत तीनों देशों ने संयुक्त बयान जारी किया
अर्मेनिया के विदेश मंत्री जोहराब म्नातसाकान्यान और अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव आधी रात को युद्ध विराम द्वारा लागू करने और पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. दोनों देशों के साथ अमेरिका ने संयुक्त बयान भी जारी किया है. जिसमें बताया गया है अर्मेनिया और अजरबैजान 10 अक्टूबर को मास्को में जिस मानवीय संघर्ष विराम के लिए सहमत हुए थे. उसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

ट्रंप ने समझौते का स्वागत किया
दोनों देशो के बीच युद्ध विराम करवाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी युद्ध विराम से कई जानें बचने की उम्मीद जाहिर की है. ट्रंप ने अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोलस पश्यिनन और अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव को संघर्ष विराम करने पर बधाई दी. उन्होंने कहा कि इससे कई लोगों की जानें बच जाएगी.

समझौता टिकने पर संदेह?
अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसी शक्तियों के दबाव की वजह से फिलहाल अर्मेनिया और अज़रबैजान संघर्ष विराम के लिए राजी हो गए हैं. लेकिन इस मामले में आशंका बनी हुई है कि ये संघर्ष विराम कितना लंबा चल पाएगा. दरअसल
इस इलाके में तुर्की एक ऐसा देश है, जो नहीं चाहता कि इस इलाके में शांति हो.

तुर्की डाल रहा है आग में घी
ईसाई बहुल देश अर्मेनिया पर हमले के लिए अज़रबैजान को हथियार और आतंकियों की फौज देने वाला तुर्की अब अज़रबैजान की मांग पर अपनी सेना भेजने को भी तैयार है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की फिर से दोनों देशों के बीच बुझ रही जंग की आग में घी डाल सकता है.

पहले भी दोनों देशों में संघर्ष विराम फेल हो चुका है
इससे पहले भी दोनों देश संघर्ष विराम के लिए राजी हो चुके हैं…लेकिन ये संघर्ष विराम 10 मिनट भी नहीं चल पाया था और उसके बाद दोनों देशों ने एक दूसरे पर गोलाबारी शुरू कर दी थी. नए संघर्ष विराम से एक दिन पहले भी अर्मेनिया और अजरबैजान ने एक दूसरे के इलाकों को निशाना बनाया था. फिलहाल इस युद्ध से दोनों देशों का भारी नुकसान हुआ है और सैकड़ों लोग मारे गए हैं. ऐसे में युद्ध विराम आम नागरिकों के लिए बहुत अच्छी खबर है.लेकिन लोग भी इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि युद्ध विराम की उम्र कितनी है.

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