आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिका यूनियन ने आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने के फैसले को वापस लेने की मांग की

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन (सीटू) ने आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने के राज्य सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग की है तथा कहा है कि कोरोना महामारी के राज्य में बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर ऐसा करना बच्चों और गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना होगा।
आज यहां जारी एक बयान में यूनियन के राज्य अध्यक्ष गजेंद्र झा ने कहा कि 6.5 लाख टेस्टों में 45000 से अधिक लोगों के संक्रमित होने से यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश की 7% आबादी और 17-18 लाख लोग संक्रमित होंगे। प्रदेश का कोई जिला और गांव इस महामारी के हमले से नहीं बचा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन लोगों का घरों में रहने को ही सबसे अच्छा बचाव और सुरक्षा मान रहा है। ऐसे समय में बच्चों और गर्भवती माताओं को घरों से बाहर निकालना स्वास्थ्य उपायों का सरासर उल्लंघन और उनके जीवन से खिलवाड़ है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका यूनियन के नेता झा ने कहा है कि प्रदेश में अब यह महामारी सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में पहुंच गई है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने भी सितम्बर अंत तक एक लाख पॉजिटिव केस मिलने की संभावना व्यक्त की है और मुख्यमंत्री के अनुसार यह बीमारी पीक (ऊंचाई) की ओर बढ़ रही है। प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्र कोरोना बचाव के उपकरणों से इतने लैस नहीं है कि बीमारी की निशानदेही तक की जा सके। ऐसी स्थिति में बच्चों और माताओं को आंगनबाड़ी केंद्र बुलाना घातक होगा।
सीटू नेता ने कहा कि जब स्कूल और कॉलेज तक बंद है, राज्य सरकार का आंगनबाड़ियों को खोलना समझ से परे है, जबकि पोषण आहार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं द्वारा पहले से ही घर-घर पहुंचाया जा रहा है। इस व्यवस्था को ही महामारी के खत्म होने तक जारी रखने की मांग सीटू यूनियन ने मुख्यमंत्री और संबंधित अधिकारियों से की है।

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