उचित रखरखाव कर अस्पतालों को किया जा सकता है संक्रमण रहित : डॉ.सजल सेन


बिलासपुर.कोविड-19 एवं सुरक्षित अस्पतालअस्पताल एक ऐसी संस्था जहां स्वास्थ्य की जांच एवं देखभाल की जाती है। परन्तु इनके वातावरण में कई प्रकार के संक्रमण पाये जाते है। सामान्यतः अस्पताल संक्रमित स्थल होते है, यही इनकी प्रकृति है। अतः अस्पतालों को ऐसे संक्रमणों को नियंत्रित कर सुरक्षित वातावरण बनाने के लिये कई प्रकार के प्रयास जैसे कि सैनिटाइजेशन, नियमित साफ सफाई, किटाणुशोधन, स्टेरीलाइजेशन, पृथककरण, जैविक कचरा प्रबंधन आदि करने पड़ते है ताकि अस्पताल को अधिक से अधिक सुरक्षित रखा जा सके।वर्तमान कोविड-19 महामारी ने अस्पतालों के समक्ष संक्रमण की नई चुनौती खड़ी कर दी है जैसे – 1.संक्रमित मरीजो से दूसरे मरीजों की सुरक्षा। 2.अस्पतालों में आगन्तुकों की संक्रमण से सुरक्षा । 3.स्वास्थ्य कर्मीयों की संक्रमण से सुरक्षा।कोविड-19 के बढ़ते क्रम में अस्पतालों के समक्ष नई समस्याओं के साथ साथ निरंतर सेवा प्रदान करने की चुनौती खड़ी कर दी है। फिर भी अस्पतालों को निरंतरता बनाये रखना होगा क्योंकि कोविड-19 के परे भी कई ऐसी बिमारियां है जिनसे जान को जोखिम हो सकता हैएवं लोगों को आपातकालीन या निरंतर चिकित्सीय सेवा की आवश्यकता पड़ सकती है। अब सवाल ये उठता है कि अस्पतालों को कैसे सुरक्षित रखा जाये ।


अपोलो अस्पताल के सी ओ ओ डॉ. सजल सेन का मानना है कि अस्पतालों को कोविड-19 के संक्रमण से काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है यदि हम निम्न उपायों का पालन करे। 1.अस्पतालों के प्रवेश द्वार पर आने वाले प्रत्येक मरीज एवं परिजनों की थर्मलगन द्वारा तापमान की आवश्यक जांच की जाये। 2.प्रत्येक आगन्तुको के हाथों का सैनिटाइजेशन किया जाये। 3.सर्जिकल मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग का पालन कराया जाये। दुपट्टा, गमछा या रूमाल के उपयोग का पूर्णरूप से वर्जित किया जाये। 4.सभी जगहों पर जैसे प्रतिक्षास्थल, बिलिंग काउंटर आदि जगहों पर शारिरिक दुरत्व का पालन किया जाये। 5.प्रवेश द्वार पर ही शासकीय निर्देशानुसार मरीज एवं आगंतुकों का अनुभवी कर्मचारियों द्वारा सम्पुर्ण ब्यौरा लिया जाये जिसमें सर्दी खांसी बुखार एवं यात्रा का विवरण शामिल हो। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सामान्य मरीजों को पूर्णतः सक्रमणमुक्त वातावरण उपलब्ध हो सके।अपोलो अस्पताल के सलाहकार मायक्रोबायोलॉजी एवं संक्रमण नियंत्रण अधिकारी डॉ शालिनी गोलदार के अनुसार -1.सम्पूर्ण अस्पताल को सोडियम हाइपोक्लोराइड रसायन के नियमित छिड़काव कर संक्रमण मुक्त करना चाहिये। 2.अस्पताल के संक्रमण नियंत्रण विभाग का पूर्णरूप से निरीक्षण एवं समय समय पर हस्तक्षेप कर सही निर्देशन करना चाहिये। 3.अस्पताल के वातावरण को स्वच्छ बनाने के लिये प्रयास करना चाहिये। 4.कर्मचारियों को भी प्रवेश द्वार पर तापमान दर्ज करना एवं हाथों को सैनिटाइज करने की व्यवस्था करनी चाहिये। 5.जोखिम वाली जगहों पर सही पी पी ई जैसे कि कैप, मास्क, हेडगियर, ग्लब्स, गाउन, जूतों की उपलब्धता सुनिश्चित एवं सही उपयोग करना चाहिये। 6.पी पी ई किट के पहनने एवं उतारने की सही व्यवस्था एवं उनके सही तरीके का प्रशिक्षण देना आवश्यक है। डॉ. मनोज राय, वरिष्ठ सलाहकार, इंटरनल मेडिसीन विभाग के अनुसार ऐसे मरीज जिन्हे सांस की गंभीर बिमारी हो या कोविड-19 के लक्षण वाले संदिग्ध मरीजो को पृथक वार्ड अथवा आइसोलेशन वार्ड में रखना चाहिये ताकि अन्य मरीजों में संक्रमण ना फैले यदि वे बाद में कोविड-19 पॉजिटिव पाये जाते है। क्योंकि आइसोलेशन वार्ड में संक्रमित वायु के पूर्ण निष्कासन की व्यवस्था होती है। साथ ही उनका मानना है कि अस्पताल तब तक सुरक्षित है जब तक कर्मचारी सुरक्षित महसूस करते है इसलिये यह आवश्यक है की संक्रमित मरीज़ एवं उनके देखभाल में लगे कर्मचारी के मनोबल एवं इच्छाशक्ति प्रबल हो।  अनुभवी चिकित्सक ए दवाइयां एवं आधुनिक उपकरणों का होना ज़रूरी है। डाक्टर सिद्धार्थ वर्माए क्रिटिकल केयर विषेशज्ञए  केयर – क्योर हॉस्पिटल के अनुसार स्टाफ को लगातार ट्रेनिंग, निर्देशन एवं मॉनिटरिंग द्वारा अस्पतालों को सुरक्षित रखा जा सकता है।  अस्पताल परिसर में हाथों को धोने एवं सनीतिएज़े करने का अलार्म सिस्टम लगा कर मरीज़ ए परिजन एवं कर्मचारियों को प्रेरित किया जा सकता है। मरीज़ों के सही ट्राईजिंग द्वारा संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। स्टाफ में संक्रमण से लड़ने का विश्वास जगा कर उन्हें सही पीपीइ का उपयोग  करने के लिए प्रेरित करना चाहिए साथ ही साथ स्टाफ को घर पर सुरक्षा के उपायों के अपनाने का विस्तारपूर्वक जानकारी एवं प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि स्टाफ भ्रमित न हो और न ही हरबड़ाये।कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार कई ऐहतियाती कदम उठा रही है। परन्तु केवल सरकारी अथवा अस्पतालों के प्रयास काफी नहीं है। इसके रोकथाम एवं सामान्य लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए यह आवश्यक है की व्यक्तिगत प्रयास अधिक से अधिक हो।  डॉ. रामकृष्णा कश्यप, डायरेक्टर, लाइफ केयर हॉस्पिटल का मानना है की समाज एवं समुदायों की जिम्मेदारी है की वे अपने लोगों को सुरक्षित करे एवं प्राथमिकता से इस ओर कार्य करें। वर्त्तमान परिस्थिति में यह अत्यावश्यक है। समाज को भी अस्पातलों में  संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को सभी सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए। अस्पताल में आते समय मरीज़ एवं परिजन सभी को सर्जिकल मास्क का उपयोग करना चाहिए।  अस्पताल में प्रवेश के समय एवं अपने डॉक्टर को सही जानकारी देनी चाहिए। बुखार, खासी, यात्रा विवरण आदि जानकारियों को नहीं छुपाना चाहिए। हाथों को समय समय पर धोना चाहिए या फिर सैनिटिज़र का उपयोग करना चाहिए।  अस्पताल परिसर में शारीरिक दूरी का अवस्य पालन करना चाहिए ।  अस्पताल परिसर में स्वच्छता बनाये रखना एवं यहाँ वहां नहीं थूकना चाहिए।वर्त्तमान परिस्थिति में परस्पर सहयोग एवं प्रयासों से ही अस्पतालों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाया जा सकता है ताकि मरीज़ एवं परिजनए स्वाथ्य कर्मचारीए स्टाफ आदि सुरक्षित रहकर कोविड से परे अन्य मरीज़ों की देखभाल कर सकते हैं।

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