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लाॅकडाउन में जो हितग्राही खाद्यान्न नहीं ले पाये थे उन्हें इस माह मिलेगा :  जिले के नगरीय क्षेत्रों में माह सितम्बर में लाकडाउन अवधि में जिन हितग्राहियों को उचित मूल्य की राशन दुकानों से खाद्यान्न नहीं मिल पाया था उन्हें माह अक्टूबर में माह सितम्बर का खाद्यान्न मिलेगा। खाद्य नियंत्रक बिलासपुर ने बताया कि माह सितम्बर में लाकडाउन की अवधि में उचित मूल्य की राशन दुकानें भी बंद रखी गई थी। इस दौरान जो हितग्राही खाद्यान्न लेने से वंचित रह गये हैं उन्हें खाद्यान्न इस माह प्रदान किया जायेगा। नगर निगम बिलासपुर एवं नगर पंचायत मल्हार, बिल्हा, बोदरी, तखतपुर कोटा एवं रतनुपर के सभी उचित मूल्य के दुकानदारों का निर्देशित किया गया है कि माह सितम्बर  में जिन हितग्राहियों को खाद्यान्न वितरण नहीं किया गया था उन्हें माह अक्टूबर मंे खाद्यान्न एवं अन्य सामग्री वितरण करना सुनिश्चित करें।

किसान कल्याण कार्यक्रमों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त :  केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। इन कार्यक्रमों के लिए कार्ययोजना और और क्रियान्वयन की रणनीति तैयार करने के लिए उद्यानिकी विभाग में जिला स्तरीय नोडल एवं सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।  उप संचालक उद्यान बिलासपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसानों के कल्याण के लिए कृषि अधोसंरचना निधि, फाॅरमर्स प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन का गठन एवं आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के व्यापक प्रचार-प्रसार, कार्ययोजना तैयार करने के साथ ही इन योजनाओं के क्रियान्वयन की रणनीति तैयार करने हेतु श्रीमती आकांक्षा उपाध्याय वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी को मोबाईल नंबर 9131368970 को जिला स्तरीय नोडल अधिकारी एवं श्रीमती गौरी सिंह सहायक ग्रेड-03 को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

शिक्षकों की संशोधित अंतिम वरिष्ठता सूची जारी :  शिक्षा संभाग बिलासपुर द्वारा 01 अप्रैल 2020 की स्थिति में सहायक शिक्षक (एल.बी.) ई. एवं टी. संवर्ग का डी.पी.एड तथा बी.पी.एड. प्रशिक्षित शिक्षकों की संभाग स्तरीय अंतिम वरिष्ठता सूची पूर्व में प्रकाशित की गई थी। इस सूची को निरस्त कर संशोधित अंतिम वरिष्ठता सूची 01 अप्रैल 2020 की स्थिति में जारी की गई। यह सूची कार्यालय संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर के वेब पोर्टल jdeducationbsp.webs.com में देखी जा सकती है।

फसल अवशेष जलाये नहीं बल्कि इससे बनाये खाद : खेतो में फसल कटाई के पश्चात जो अवशेष बच जाते है उसे जलाने से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है जिसे रोकने के लिए कड़े उपाय किये जाने की आवश्यकता को देखते हुए इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किये गये है।
अवशेष को जलाने से बेहतर है कि अवशेष स्थानीय विधि से यूरिया का स्प्रे कर खाद बनाये, खुले में भी खाद बनाया जा सकता है। गढढे में पैरा का वेस्ट डीकम्पोजर से तथा ट्राईकोडरमा का उपयोग कर भी खाद बनाया जा सकता है। फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाये। स्ट्रा चोपर हे-रेक, स्ट्रा बेलर का प्रयोग करके अवशेष की गांठे और आमदनी बढ़ाई जा सकती है। जीरा ड्रील रोटावेटर, रीपर बाईन्डर व अन्य स्थानीय उपयोगी व सस्ते कृषि यंत्रों को भी फसल अवशेष प्रबंधन हेतु अपनाया जा सकता है। फसल अवशेष का उपयोग मशरूम उत्पादन, वर्मी टांका, बोर्ड रफ कागज बनाने में  किया जाना चाहिए। फसल अवशेष की गांठो को बायोमास प्लांट, बायोगैस प्लांट में पहुंचाये। पैरा जलाने से मिथेन, कार्बन मोनो आक्साईड, कार्बन डाई आक्साईड नाईट्रस आक्साईड आदि हानिकारक गैसें उत्सर्जित होती है तथा पार्टिकुलेट मेटर का उत्सर्जन होता है जिसकी वजह से परिवेशीय वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है। जिसके कारण पृथ्वी सतह के उपरी वायु मंडल में कोहरा सा छा जाता है। पैरी जलाने के दुष्परिणाम से फेफड़ों की बीमारी, सांस लेेने में तकलीफ तथा कैंसर जैसे विभिन्न रोग होने की संभावना होती है। पैरा जलाने से राख उत्पन्न होता है तथा उस स्थल की मिट्टी में पायी जाने वाली सूक्ष्म जीवों का विनाश हो जाता है जिससे फसलों की पैदावार में कमी तथा मृदा की गुणवत्ता में क्षति हो जाती है। अनुमानतः 1 टन पैरा जलाने से 3 किलो पार्टिकुलेटर 60 किलो कार्बन मोनो आॅक्साईड, 1460 किलो कार्बन डाई आक्साईड, 2 किलो सल्फर डाई आक्साईड इत्यादि गैसों का उत्सर्जन और 199 किलो  राख उत्पन्न होता है तथा अनुमानतः 1 टन धान की पैरा जलाने से मृदा में 5.5 नाइट्रोजन, 2.3 किगा्र फास्फोरस, 25 किग्रा. पोटेशियम तथा 1.2 सल्फर नष्ट हो जाता है।

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