कच्चा दूध पीने से होती है ब्रूसेलोसिस, जानें क्या बला है यह

कच्चा दूध कई गुणों और सेहत के लिए जरूरी विटमिन्स से भरपूर होता है। लेकिन अगर कुछ खास परिस्थितियों में यह दूध स्वाइन फ्लू जैसे लक्षणों वाली गंभीर बीमारी ब्रूसेलोसिस का मरीज बना सकता है…

कच्चे दूध के फायदों के बारे में तो आपने बहुत पढ़ा और सुना होगा। लेकिन आपको यह शायद ही पता हो कि अगर कच्चा दूध मवेशी के थन से नुकालते समय पूरी साफ-सफाई और स्वच्छता का ध्यान ना रखा जाए तो ऐसे दूध का सेवन कई गंभीर बीमारियों की वजह भी बन सकता है। आइए, यहां जानते हैं कि कच्चा दूध यदि पूरी सावधानी से निकालकर उपयोग किया जाए तो क्या फायदे देता है और किन असावधानियों की वजह से यह दूध नुकसानदायक बन सकता है।

प्राकृतिक तौर पर जो दूध हमें गाय, भैंस, बकरी या ऊंट आदि से प्राप्त होता है, वह पूरी तरह शुद्ध होता है। यह दूध कुछ खास स्थितियों में ही हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। इनमें मुख्य रूप से ये कंडीशन शामिल हैं।

-पशु का बीमार होना
– किसी भी कारण से दूध का पशु के मल के संपर्क में आ जाना
-थनों के माध्यम से दूध निकालते समय किसी भी तरह की असावधानी बरती जाना।

क्या होती हैं कच्चे दूध से समस्या?
-हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, कच्चा दूध पीने से किसी तरह की समस्या हमारी सेहत को नहीं होगी अगर जिस जानवर के थनों से दूध लिया गया है, वह पूरी तरह स्वस्थ है और दूध निकालते समय हाइजीन का पूरा ध्यान रखा गया है।

-अगर इन स्थितियों से थोड़ा भी समझौता किया जाए तो दूध किटाणुओं से दूषित हो सकता है या जानवरों के मल के संपर्क में आ सकता है। ऐसा होने पर दूध उपयोग करनेवालो लोगों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

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कच्चा दूध पीने से होते हैं ये नुकसान

-संक्रमित कच्चा दूध पीने से पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द, लूज मोशन और उल्टियां होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर ये दिक्कतें बहुत अधिक होने लगें तो व्यक्ति की जान पर खतरा बन जाता है।

-अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक संक्रमित दूध का सेवन कर ले तो उसे पैरालिसिस जैसी बीमारी का सामना भी करना पड़ सकता है। हालांकि ऐसा बहुत ही कम होता है लेकिन इसकी आशंका रहती है।

क्या है ब्रुसेलोसिस?
-ब्रुसेलोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें स्वाइ फ्लू जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। यह बीमारी संक्रमित पशु का दूध पीने या मीट खाने से मनुष्य में फैलती है।
-इस बीमारी से ग्रसित होनेवाले इंसान को ठंड लगकर बुखार आना
– बहुत अधिक कमजोरी और थकान लगना -अचानक से चक्कर आकर बेहोश होना
-पीठ में तेज दर्द होना
– जोड़ों में दर्द तथा पेट और सिर में लगातार दर्द होना
-भूख नहीं लगना
-वजन में लगातार कमी आना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

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इन बीमारियों की वजह हो सकता है संक्रमित कच्चा दूध

क्या हैं बचाव के तरीके?
– हम सभी के लिए यह संभव नहीं है कि हम दूध की शुद्धता और उसे निकालने की तकनीक पर नजर रख सकें। क्योंकि हममें से ज्यादातर लोग दूध मार्केट से खरीदते हैं। इस स्थिति में सेहत का ध्यान रखने के लिए सबसे अधिक जरूरी हो जाता है कि हम दूध को पकाकर ही उपयोग में लाएं।

-दूध को पकाने से उसमें मौजूद ज्यादातर वायरस और किटाणु मर जाते हैं। लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं पकाने से दूध की गुणवत्ता कम हो जाती है। अगर दूध पूरी शुद्धता के साथ निकाला जाए तो कच्चा दूध पकाए गए दूध से कहीं अधिक पौष्टिक होता है।

-दूध में बैक्टीरिया बढ़ने से रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि पकाने के बाद जब दूध ठंडा हो जाए तो आप इसे फ्रिज में स्टोर करें। पोषक तत्वों का ध्यान रखते हुए दूध को दो दिन में खत्म कर लें। ज्यादा पुराना दूध पोषक तत्वों के मामले में बहुत अच्छा नहीं रह जाता है।

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