करवा चौथ पर शर्मा परिवार ने की पूजा अर्चना


बिलासपुर. भारत सहित दुनिया भर में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया गया। देश प्रमुख त्यौहारों में करवा चौथ का अलग ही महत्व है। पति की लंबी आयु की कामना को लेकर सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर पूजा अर्चना करती हैं। शाम को चंद्रदेव के दर्शन उपरांत पति का चेहरा देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं। शहर के समस्त गली मोहल्लों में महिलाएं पूजा अर्चना करते नजर आई। जूना बिलासपुर कतियापारा में रहने वाले प्रतिष्ठि शर्मा परिवार के घर भी पूजा अर्चना की गई। आशुतोष शर्मा की धर्म पत्नी स्वधा शर्मा व उनके भाई अनुराग पांडेय और भाभी सुरभि पांडेय ने भी विधि विधान से पूजा अर्चना कर अपने पति की लंबी आयु की कामना की।

ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन संपन्न होता है। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है।

वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है।

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