कांग्रेस अध्यक्ष के सवाल पर पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के बेटे ने कहा, ‘प्रियंका ही है विकल्प’

नई दिल्‍ली. लोकसभा चुनावों में हार के बाद से नेतृत्‍व संकट के दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर लगातार मंथन चल रहा है. कांग्रेस सभी वरिष्ठ नेताओं के सामने इस वक्त सबसे बड़ा सवाल है कि कमान किसे सौंपी जाए? पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री के बेटे और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की बात कही है. अनिल शास्‍त्री ने कहा, यदि कांग्रेस की कमान किसी गैर कांग्रेसी नेता को मिली तो पार्टी क्षेत्रीय दलों में टूट सकती है. महाराष्‍ट्र, बंगाल और आंध्र में जिस तरह कांग्रेस से टूटकर दल उसके सामने आ गए हैं, ऐसी हालत बाकी जगहों पर भी हो सकती है.

अनिल शास्‍त्री ने कहा, राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया है, मैं उनकी भावनाओं का सम्मान करता हूं. कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व की आवश्यकता है, जिस संकट से हम गुजर रहे हैं ये अनिवार्य है कि जल्द से जल्द पार्टी को नया अध्यक्ष मिलना चाहिए. इस मामले में देरी सही नहीं है.

गैर कांग्रेसी नेता के अध्‍यक्ष बनने के सवाल पर शास्‍त्री ने कहा, ‘कांग्रेस में कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो पार्टी को एक रख सके. पार्टी में एकता बनाए रखे, और सब उसको स्वीकारें. अगर कोई अध्यक्ष बनाया जाता है और एक धड़ा उसको स्वीकार नहीं करता है तो विखराव के आसार हो सकते हैं. जैसे बंगाल में एक तरफ ममता कांग्रेस है. आंध्र में वाईएसआर कांग्रेस  है. महाराष्‍ट्र में शरद पवार एनसीपी है. मेरा मानना है कि अगर मजबूत लीडरशिप नहीं हुई कई राज्‍यों में कांग्रेस क्षेत्रीय पार्ट‍ियों में बंट सकती है- चाहे हरियाणा, महाराष्ट्र हो.. इसलिए सशक्त नेता जिसकी स्वीकार्यता हो, कोई मतभेद न हो, अगर ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे हैं तो गांधी परिवार के अलावा कोई और नहीं है.’

अनिल शास्‍त्री ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी/जनों की मानसिकता आप बदल नहीं सकते हैं. 40-50 दिनों में क्रांति लाना चाहें वो नहीं हो सकता क्योंकि बहुत पुरानी पार्टी है. प्रियंका गांधी से बेहतर नेता नहीं है. पार्टी के नेताओं को साथ लेकर चलने की क्षमता है. जनमानस में भी उनकी अपील है. उनकी स्वीकार्यता कांग्रेस के अंदर 100% है, और क्योंकि किसी अन्य की स्वीकार्यता 100% नहीं है इसलिए शायद देर हो रही है. आज कांग्रेस की स्थिति बन गई है कि- गांधी परिवार के बिना कांग्रेस का आस्तित्व बना रहेगा कि नहीं इस पर सवाल उठता है.’

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