कांग्रेस पार्टी के भीतरखाने की चिंता छोड़ भाजपा के अंदरखाने की धधकती आग से निपटे


रायपुर. छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं सचिव विकास तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंत्री एवं रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि बृजमोहन अग्रवाल को कांग्रेस के भीतर खाने में चल रहे गतिविधियों की चिंता छोड़ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश इकाई में धधकती आग की चिंता करनी चाहिये जिसके कारण प्रदेश भाजपा संगठन खंडहर का रूप ले चुका है।

लगातार विधानसभा, विधानसभा के उपचुनाव, नगर पालिका, नगर निगम और पंचायत के चुनाव में बुरी कदर से हारने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश इकाई में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के धड़े का कब्जा बरकरार है जिसकी तिलमिलाहट पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बयानों झलकती है। एक और जहां पूर्व मंत्री राजेश मूणत विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी भाजपा संगठन में अपना कब्जा जमाये हुवे हैं और रायपुर भाजपा के संगठन के राजनीति में एक तरफा उनके द्वारा लिये गये फैसले ही मूर्त रूप ले रहे हैं जिसका उदाहरण रायपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष के चयन से पता चलता है जहां बृजमोहन अग्रवाल द्वारा घोषित पार्षद को पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने नेता प्रतिपक्ष नहीं बनने दिया जिसके कारण लगभग एक साल गुजरने के बाद भी ना केवल रायपुर नगर निगम वर्णन प्रदेश के अन्य नगर पालिकाओ में भी नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हो पाया है।

कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई आपसी गुटबाजी और शीर्ष नेताओं के टकराहट के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं का हौसला रसातल पर चला गया है। भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है, जिसका की साक्षात प्रमाण पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के रायपुर दक्षिण विधानसभा में देखने को मिलता है, जहां पर भाजपा के मूल कार्यकर्ता दरी उठाने,चुनाव में पर्ची बांटने, बैनर, पोस्टर लगाने का काम करते हैं, वहीं अन्य दल और निर्दलीय लोग भाजपा में आकर चुनाव लड़ पार्षद बन जाते हैं, जिसके कारण भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं में हताशा निराशा है और बहुत से कार्यकर्ता मानसिक अवसाद का शिकार भी हो गये हैं, जिसकी परवाह ना तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश इकाई को है और ना ही रायपुर दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल को है। प्रवक्ता विकास ने कहा भाजपा के नवनियुक्त प्रभारियों के सामने भी भाजपा के अंदर चल रही गुटबाजी खुलकर सामने आई और प्रभारियों को भी कार्यकर्ताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा।

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