क्या आप जानते हैं लूज मोशन और पेचिस में क्या अंतर होता है? ऐसे 7 रोग, जो अक्सर कंफ्यूज करते हैं
कुछ बीमारियां नाम में तो एकदम अलग होती हैं लेकिन उनके लक्षण इतने अधिक मिलते हैं कि कई बार समझना मुश्किल हो जाता है कि हमें जो दिक्कत हो रही है, उसका नाम क्या है क्योंकि इसके लक्षण तो एक और बीमारी के सिंप्टम्स से बहुत अधिक मिलते हैं… यहां जानें लक्षणों के आधार पर कंफ्यूज कर देनेवाली 7 सामान्य बीमारियों (general disease) के नाम और लक्षणों के आधार पर अंतर…
सबसे पहले डायरिया की बात
-डायरिया एक पाचन संबंधी रोग है, जो किसी संक्रमित फूड या ड्रिंक के कारण हो सकता है। इस बीमारी में पेट दर्द के साथ लूज मोशन होना और उल्टियां आना जैसी समस्याएं होती हैं। उल्टी और लूज मोशन के कारण व्यक्ति के शरीर में कुछ रुक नहीं पाता है। वह जो भी खाता है, उसे खाते ही पेट दर्द के साथ उल्टी या पॉटी या दोनों की शिकायत हो सकती है। इससे वह बहुत अधिक कमजोरी महसूस करता है।
लूज मोशन (दस्त आना)
-लूज मोशन यानी दस्त के दौरान रोगी को पॉटी बहुत पतली आती है। इस दौरान पेट में तेज दर्द हो भी सकता है और नहीं भी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पेट में कितना संक्रमण हुआ है। दस्त आने पर भी बहुत अधिक थकान और कमजोरी का अहसास होता है। इस कारण कुछ लोगों को चक्कर आने की समस्या भी हो जाती है।
पेचिस क्या होती है?
-पेचिस और दस्त में लोग अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं। पेचिस के दौरान भी लूज मोशन की तरह वॉटरी पॉटी होती है। लेकिन इस दौरान पॉटी के साथ म्यूकस आना या ब्लड आने की समस्या भी होती है। जबकि लूज मोशन में ऐसा नहीं होता है।
-पेचिस के दौरान पेट के निचले हिस्से (नाभि के नीचे) में तेज दर्द होता है। पेचिस मुख्य रूप से दो तरह की होती है। एक पेचिस तो वह होती है, जो नया रोग है और एक दो दिन पहले ही शुरू हुआ है।
-जबकि एक होती है पुरानी पेचिस। इस पेचिस में पेट में इतना इंफेक्शन तो नहीं होता कि ब्लड और म्यूकस आए लेकिन पॉटी लूज आती है और पेट में तेज दर्द के साथ आती है।
सरसाम रोग
-सरसाम रोग उस ज्वर को कहते हैं, जिसमें व्यक्ति के शरीर के अंदर वात, पित्त और कफ तीनों की वृद्धि हो जाती है। इस कारण शरीर में अकड़न होना, बहुत तेज बुखार आना, तेज कंपकपी आना और दांत किटकिटाना, पेट में दर्द होना जैसे लक्षण एक साथ होते हैं। यह बुखार का एक खतरनाक रूप है।
सूतिका ज्वर
-सरसाम रोग जब गर्भवती महिलाओं में होता है तो इसे सूतिका ज्वर कहते हैं। हालांकि सूतिका ज्वर का मुख्य कारण आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद महिला के गर्भाशय में गर्भनाल का कुछ भाग रह जाना होता है।
डॉक्टर का सवाल और युवाओं की हैरानी
-जब भी कफ की समस्या के कारण युवा डॉक्टर के पास जाते हैं और अगर डॉक्टर उनसे यह पूछ ले कि खांसी सूखी है या गीली तो वे डॉक्टर का चेहरा देखते रह जाते हैं? उनकी आंखों में आई हैरानी को समझकर डॉक्टर इसी सवाल को अलग अंदाज में पूछते हैं और कहते हैं- क्या आपको खांसी में कफ आ रहा है?
सूखी खांसी और गीली खांसी
-बस सूखी खांसी और गीली खांसी में यही अंतर होता है। जब खांसी के साथ बलगम (म्यूकस) आता है तो इस खांसी को गीली खांसी कहते हैं। इसके ठीक उलट यदि खांसी के दौरान म्यूकस नहीं आ रहा है बल्कि गले में तेज धस्का लगता है तो यह सूखी खांसी कहलाती है।