ग्राम बिरकोना में की जा रही अवैध प्लाटिंग, मालामाल हुए तहसीलदार व पटवारी

बिलासपुर. कोरोना काल में कलेक्टर का जन दर्शन नहीं लगाया जा रहा है वहीं जनसुनवाई के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था शासन प्रशासन द्वारा नहीं की गई है। इसका सीधा फायदा राजस्व विभाग में तैनात अधिकारी-कर्मचारी और उनके दलाल उठा रहे हैं। सरकारी जमीनों के रख-रखाव के लिए जहां एक ओर रेरा कानून बनाया गया है तो वहीं दूसरी ओर तहसीलदार पटवारी और आरआई जमीन दलालों से मिलकर राजस्व विभाग को सबसे भ्रष्ट विभाग बना चुके हैं।
सरकारी जमीनों की अवैध प्लाटिंग करने के नाम पर तहसीलदार, आरआई, पटवारी सारे नियमों को दर किनारकर जमकर अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। राज्य का खुफिया महकमा भी ठनठन गोपाल की तरह हाथ पसारे बैठा हुआ है।
सीमांकन, नामांतरण के नाम पर तहसीलदार पटवारी और आरआई मोटी राशि लेने के बाद ही अपना काम करते हैं। सरकारी जमीनों को विवादित बनाना व कूटरचना करने के नाम पर तहसील कार्यालय पहले से ही बदनाम हो चुका है। कोरोना काल में तहसीलदार और पटवारी अपने घर में बैठकर उल्टा सीधा काम कर रहे हैं। शहर से लगे ग्राम बिरकोना में खसरा नंबर 1335 में भारी घालमेल किया गया है।
अतिरिक्त तहसीलदार एनपी गवेल व मंगला पटवारी आलोक तिवारी ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर यहां अवैध प्लाटिंग की है। ग्राम बिरकोना में 50 से 60 टुकड़ों में जमीनों को बांटकर अवैध प्लाटिंग किया गया है। इसी तरह जमीन दलाल राजू गर्ग ने अशोक नगर के अशोक वाटिका के पास अवैध प्लाटिंग करवा रहे हैं। शिकायत नहीं होने के कारण तहसीलदार व पटवारी के हौसले बुलंद हो रहे हैं। पटवारी कार्यालय में काम करने वाले सहायकों की भी अहम भूमिका बनी हुई है। मौका मुआयना अपने स्तर पर सहायक ही कर लेते हैं। पटवारी को पैसे देने के बाद सहायकों का भी हिस्सा तय रहता है। राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पूरा रैकेट काम कर रहा है। नामांतरण कार्य के लिए 20 से 30 हजार रुपए लोगों को देना पड़ता है।
पूर्व में बिलासपुर हाईकोर्ट ने तहसील और राजस्व विभाग में दलाली करने वाले बाहरी लोगों के प्रवेश को अवैधानिक माना था इसके बाद भी तहसील कार्यालय और नजूल न्यायालय, कलेक्टर परिसर में रिटायर कर्मचारी और रसूखदार दलाल जमे हुए हैं। इन पर कार्रवाई न होना समझ से परे है। जिलाधीश भी सब कुछ जानकार भी अंजान बने रहते हैं। कांग्रेस की सरकारी आने के बाद एटीकरप्शन के अधिकारियों ने अब तक कोई बड़ी कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया है। वहीं आईजी रेंज के नेतृत्व में चलने वाले सीआईडी ने भी अपना खाता नहीं खोला है। जनहित में राज्य की भूपेश सरकार को राजस्व विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
पटवारी का सहायक करता है सेटिंग
पटवारी कार्यालय में सहायकों की भूमिका अहम होती है, क्योंकि पटवारी का तबादला या प्रमोशन होने पर नये आये पटवारी को सहायक का ही सहारा लेना पड़ता है। जूना बिलासपुर में दीपक मिश्रा नये पटवारी बनकर आये हैं। यहां सहायक खान का बोल बाला चलता है। आबादी जमीन पर कब्जा दिलाने व नामांतरण आदि के मामलों में सहायक खान ही सौदा करता है। एक गरीब आदिवासी महिला को खान ने कब्जा रिपोर्ट बनाकर देने के लिए पैसे के नाम परेशान करता रहा, पीडि़त महिला के पैसे देने पर ही पटवारी मिश्रा से कहकर खान से कब्जा रिपोर्ट बनवाई।