चीन की चौखट पर गिड़गिड़ाई इमरान सरकार, इस बार इतने रुपये मांगे


नई दिल्ली. पाकिस्तान (Pakistan) की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था का हाल पूरी दुनिया जानती है. रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए भी कर्ज लेने की नौबत आ जाती है. यानी वित्तीय मोर्चे पर संकट से जूझ रही इमरान खान की सरकार एक बार फिर चीन से कर्ज लेने की फिराक में है. इस्लामाबद ने इस बार चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China Pakistan Economic Coridor) के मेनलाइन-1 प्रोजेक्ट के पैकेज-1 के निर्माण के लिए 2.7 अरब डॉलर का कर्जा मांगने का फैसला किया है. पाकिस्तान की ओर से चीन से यह कर्ज उस वक्त मांगा जा रहा है कि जब पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर है और चीन की प्रमुख वित्तीय संस्थाएं सीपैक पर पहले की तरह बेतहाशा खर्च करने के मूड में नहीं है.

दक्षिण को उत्तर से जोड़ेगा रेल रूट
एमएल-1 परियोजना में पेशावर से कराची तक 1,872 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक का अपग्रेडेशन और दोहरीकरण शामिल है. यानी ये मेन लाइन प्रोजेक्ट दक्षिण में कराची को उत्तरी हिस्से पेशावर से जोड़ेगा. मेनलाइन-1 परियोजना पर वित्तपोषण समिति की छठी बैठक में फैसला किया गया है कि पाकिस्तान चीन से शुरुआती तौर पर, 6.1 अरब डॉलर की चीनी फंडिंग में से सिर्फ 2.73 अरब डॉलर के कर्ज को स्वीकृति देने का अनुरोध करेगा.

कोरोना ने तोड़ी पाकिस्तान की कमर
पहले से दीवालिया होने के कगार पर खड़े पाकिस्तान की हालात कोरोना काल में और खस्ता हो चुकी है. दैनिक एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट का इंतजाम करने की तैयारी पूरी कर ली है और इसके तहत चीन से पहले से तय हुए कर्ज की किस्तों से संबंधित लेखे जोखे को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है.

टूट रहे हैं सीपेक को लेकर देखे गए सपने!
पाकिस्तान के हुक्मरान सीपेक को पाकिस्तान की माली हालात सुधारने का सुनहरा मौका मान रहे थे. लेकिन कर्ज के लालच में उलझा पाकिस्तान इसकी बारीकियों को समझ नहीं पाया और लगातार चीनी कर्ज के दलदल में धंसा जा रहा है.

‘अपनी कप्तानी में सीपेक की ट्राफी जीतना चाहते हैं इमरान खान’
हालांकि कल पाकिस्तान का क्या होगा, कोई नहीं जानता. खुद पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय में बैठे लोग नहीं जानते कि आखिर इस कर्ज की भरपाई कैसे होगी. लेकिन इमरान खान पुरानी रट लगाए बैठे हैं कि 60 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट उनके मुल्क की तकदीर बदल देगा.

दरअसल इसी साल पाकिस्तान ने चीन से कर्ज लेने के लिए एक टर्म शीट पर साइन किया था, जिसके तहत एक फीसदी ब्याज दर पर कर्ज की मांग हुई थी. ये अलग बात है कि चीन की ओर से अब तक औपचारिक रूप से कोई जवाब नहीं दिया गया है. चीन सीपेक को एक गेमचेंजर मानता है. बीजिंग इसकी आड़ में घुसपैठिये वाली छवि को छुपाते हुए अपने विस्तारवादी एजेंडे को बरकरार रखने की नीयत से काम कर रही है.

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