जनता के संकट पर कारपोरेटों को मुनाफा पहुंचाने वाला आर्थिक पैकेज : माकपा

रायपुर. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना संकट से निपटने वित्त मंत्री द्वारा घोषित पैकेज को नितांत अपर्याप्त, जनता के साथ धोखाधड़ी वाला और कॉर्पोरेट बीमा कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने वाला करार दिया है। पार्टी ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को ही एक जगह रखकर आर्थिक पैकेज घोषित करके जनता को सरासर मूर्ख बनाने की कोशिश की गई है। माकपा ने कोरोना वायरस के हमले से निपटने के लिए न्यूनतम 4 लाख करोड़ रुपयों के सर्वसमावेशी पैकेज की आवश्यकता बताई है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि 1.75 लाख करोड़ रुपयों का घोषित पैकेज वास्तव में 75 हजार करोड़ रुपयों से ऊपर का नहीं है और देश की विशाल जनसंख्या, उसके भौगोलिक विस्तार, कृषि संकट के कारण ग्रामीणों की बदहाली तथा अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े 40 करोड़ रोज कमाने खाने वाले मजदूरों की आजीविका खत्म होने के मद्देनजर यह पैकेज नितांत अपर्याप्त है।
*माकपा राज्य सचिव संजय पराते* ने कहा कि पूर्व में किसान सम्मान निधि के लाभान्वितों की संख्या 14.5 करोड़ बताई गई है, लेकिन इस पैकेज में इसका लाभ केवल 8.6 करोड़ किसानों को ही दिया जा रहा है। इसी प्रकार इस पैकेज में 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त अनाज वितरण का लाभ देने का दावा किया गया है, जबकि वर्तमान में जारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली से इतने लोग जुड़े ही नहीं है। अतः 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन का लाभ मिल ही नहीं सकता। इसी तरह यह परिकल्पना कर ली गई है कि मनरेगा की दैनिक मजदूरी 20 रुपये बढ़ाने से सभी हितग्राही परिवारों को 2000 रुपये की मदद हो जाएगी; जबकि वास्तविकता यह है कि पूरे देश में केवल 4% परिवारों को ही 100 दिनों का काम मिलता है और प्रति परिवार औसत काम के दिनों की संख्या केवल 30-35 ही है। इसी प्रकार किसान सम्मान निधि की राशि भी बजट का ही हिस्सा है, जिसे आर्थिक पैकेज के साथ पेश किया जा रहा है।
पैकेज इन खामियों के मद्देनजर माकपा नेता ने कहा कि आम जनता को लॉक डाउन के चलते आजीविका की जो हानि हो रही है, उसकी भरपाई नहीं की जाएगी, तो सोशल डिस्टेंसिंग का मकसद कामयाब नहीं हो पाएगा और भुखमरी फैलने से खाद्य दंगा भी भड़क सकता है। इसके लिए पार्टी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक करके आगामी तीन माह तक मुफ्त राशन देने और पूरे देश में इस प्रकोप के खत्म होने तक सस्ते फूड स्टॉल खोलने की मांग की है। उन्होंने मनरेगा से जुड़े सभी परिवारों को एकमुश्त 2000 रुपये सहायता देने तथा सभी जनधन खातों में 5000 रुपये डाले जाने की भी मांग की है।
माकपा नेता ने कहा है कि यह आर्थिक पैकेज स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कर्मियों के लिए बीमा की घोषणा तो करती है, लेकिन इसका पूरा फायदा कॉर्पोरेट क्षेत्र की बीमा कंपनियों को मिलेगा, जो इस योजना का संचालन करेगी। अतः इस बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों द्वरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पैकेज में आसन्न स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे मरीजों, चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों व आम जनता के लिए बॉडी कवर, मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर आदि की घोर कमी की भी अनदेखी की गई है, जिसके बिना कोरोना से निपटना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार कोरोना संकट से निपटने के लिए अतिरिक्त कुछ भी खर्च नहीं कर रही है जो उसकी संवेदनहीन और जनविरोधी चरित्र को ही दिखाता है।

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