जानिए, 3 जून का वह प्लान जिससे बदल गया हिंदुस्तान के भूगोल का नक्शा
नई दिल्ली. 3 जून भारत के लिए बेहद अहम तारीख है. 1947 में आज ही के दिन भारत के बंटवारे का ऐलान किया गया था. ब्रिटिश राज के अंतिम दिनों में भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेन ने यह घोषणा की थी. लिहाजा इस घटना को ‘तीन जून’ या ‘माउंटबेन योजना’ के नाम से जाना जाता है. दरअसल, आज़ादी की जोर पकड़ती मांग के बीच ब्रिटिश सरकार ने 20 फरवरी 1947 को यह साफ कर दिया था कि जून 1948 तक भारत को स्वतंत्र कर दिया जाएगा.
इसके बाद देश में कई तरह की राजनीतिक बहस शुरू हुईं, जो बाद में हिंसा में बदल गईं. देश दंगों की आग में झुलसने लगा और केंद्र की अंतरिम सरकार हालातों को काबू करने में नाकाम साबित हो रही थी. क्योंकि कानून व्यवस्था का मामला प्रान्तों के पास था. इसे देखते हुए ब्रिटिश राज साम्प्रदायिक एवं राजनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘माउंटबेटन योजना’ के साथ सामने आया. जिसमें भारत के विभाजन और पाकिस्तान के जन्म का खाका था.
रेडक्लिफ रेखा
दोनों देशों के बीच सीमारेखा लंदन के वकील सर सिरिल रैड्क्लिफ ने तय की. हिंदू बहुमत वाले इलाकों को हिंदुस्तान और मुस्लिम बहुल इलाकों को पाकिस्तान में शामिल किया गया. हालांकि, देश के 565 राज्यों को यह आजादी दी गई थी कि वह भारत या पाकिस्तान में से किसी को भी चुन सकते हैं. 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसमें विभाजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया. हालांकि, यह इतना आसान नहीं था. जिन राज्यों के शासकों ने बहुमत धर्म के आधार पर देश चुना उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा.
भारत के गतिरोध को सुलझाने के लिए कैबिनेट मिशन भी भारत आया था, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद भी जब कोई बात नहीं बनी तो ब्रिटिश सरकार ने माउंटबेटन को आखिरी लॉर्ड सराय के रूप में भारत भेजा. उन पर जल्द से जल्द किसी निर्णय पर पहुंचने का दबाव था. मुस्लिम लीग और कांग्रेस के नेताओं से लंबे विचार-विमर्श के बाद माउंटबेटन ने अपनी 3 जून योजना पेश की. इसमें भारत के बंटवारे के लिए तीन मुख्य बातों पर जोर दिया गया. मसलन, भारत के बंटवारे के सिद्धांत को ब्रिटेन की संसद द्वारा स्वीकार किया जाएगा. बनने वाली सरकारों को डोमिनियन का दर्जा दिया जाएगा और उसे ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने या उसमें शामिल रहने का फैसला करने का अधिकार मिलेगा.
माउंटबेटन की यह योजना बाद में भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के रूप में विकसित हुई. जिसके आधार पर भारत को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली और एक बड़ा हिस्सा उससे अलग होकर पाकिस्तान बन गया. इसलिए 3 जून भारत के इतिहास और भूगोल को बदलने वाली तारीख के रूप में दर्ज है.