जिला अस्पताल मातृ शिशु भवन व सिम्स में खुलेआम होती है वसूली

बिलासपुर/अनिश गंधर्व. गरीब आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के लोगों को राज्य सरकार की योजनाओं का सहीं फायदा आज तक नहीं मिल सका है। राज्य व केन्द्र सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में हर तरह की सुविधाएं दी है लेकिन सरकारी अस्पतालों में इन वर्गों के लोगों के साथ दुव्र्यवहार, धमकी-चमकी देकर लूट खसोट का खेल लंबे समय से चला आ रहा है। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स और जिला अस्पताल के प्रसूति वार्डों में वार्ड बॉय, नर्स और आया खुलेआम वसूली करते हैं। पैसे नहीं देने पर पीडि़तों से दुव्र्यवहार भी की जाती है इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते।
मालूम हो कि रोजाना सिम्स और जिला अस्पताल में प्रसव पीडि़त महिलाओं को भर्ती कराया जाता है। वार्ड में मौजूद नर्स और आया पहले नंबर लगाने का हवाला देकर रकम की मांग करते हंै। जो पैसे नहीं दे पाते उन्हें घंटो तड़पते छोड़ दिया जाता है। महिला वार्ड का हवाला देकर इन वार्डों में मीडिया कर्मियों को प्रवेश नहीं दिया जाता। शहर आये हुए लोग तो जैसे भी करके अपना काम करा लेते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले पीडि़तों का यहां सबसे बुरा हाल होता है। गरीब तबके लोग ही सरकारी अस्पताल का ज्यादा सहारा लेते हैं पैसे के अभाव में पहुंचे मरीजों से यहां सीधे पैसे की मांग की जाती है। सिम्स व जिला अस्पताल में वार्ड बॉय, नर्स, आया किसी से सीधे मुंह बात तक नहीं करते। इनकी शिकायत भी कई बार हो चुकी है इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी अनदेखी कर रहे हैं।
कई बार ऐसी स्थिति भी निर्मित हो जाती है कि प्रसव पीडि़त महिला अस्पताल परिसर में बच्चे को जन्म दे देती है। इसी तरह महतारी एक्सप्रेस के कर्मचारी भी समय से नहीं पहुंचते। बार-बार फोन लगाने के बाद लोग निजी वाहनों में सवार होकर सिम्स व जिला अस्पताल पहुंचते है। वहीं महतारी एक्सप्रेस के कर्मचारी भी निजी अस्पतालों से सेटिंग कर मरीजों को जबरिया ले जाते हैं यहां भारी भरकम बिल भी उन्हें थमा दिया जाता है। इसी तरह सरकारी अस्पताल में भी निजी अस्पतालों के दलाल चक्कर लगाते रहते हैं।
भोले-भाले लोगों को उचित उपचार का हिला हवाला देकर ये लोग निजी अस्पताल तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। सरकार की योजनाओं का सहीं उपचार का लाभ गरीब आदिवासी तबके लोगों को नहीं मिल पाने का एक ही कारण कि सरकारी अस्पताल के कर्मचारी बेलगाम हो चुके हैं, पीडि़त लोगों के दर्द समय भी इन्हें दया नहीं आती है। सिम्स में भर्ती घोटाला किया गया है जिसका जवाब वरिष्ठ अधिकारी नहीं दे पा रहे है। मरने वालों के परिजनों से पोस्टमार्टम के दौरान भी पैसे मांगने से नहीं चुक रहे हैं। सरकारी उपचार के नाम पर मरीजों से पैसे की मांग करने वाले दोषी कर्मचारियों पर राज्य सरकार को ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
जांच कराएंगे
पैसे लेना गलत बात है, देखिए कौन ले रहा है मालूम होता है तो जांच कराएंगे।
-प्रमोद महाजन, सीएमएचओ