नया इतिहास रचेगा भारतीय अनुवाद संघ : केंद्रीय शिक्षा मंत्री


वर्धा. केंद्रीय शिक्षा मंत्री तथा हिंदी के वरिष्‍ठ साहित्‍यकार डॉ. रमेश पोखरियाल ष्निशंक ने सुश्रुत तथा चरक जैसे मनीषियों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि‍ सुश्रुत संहिता और चरक संहिता जैसी अनेक कृतियां हैं जो दुनिया को बहुत कुछ दे सकती हैं। इसलिए इस तरह की कालजयी कृतियों का भारत और विश्‍व की भाषाओं में अनुवाद किए जाने से हमारी धरोहर विश्‍व मानव तक पहुंचेगी। भारतीय जीवन मूल्‍यों की खुशबू समूची दुनिया ले सकेगी और विश्‍व मानव की परिकल्‍पना साकार होगी। अनुवाद के माध्‍यम से संचित और सृजित ज्ञान को समाज के अंतिम व्‍यक्ति तक पहुंचाया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री आज महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालयए वर्धा की महत्‍वाकांक्षी परियोजना भारतीय अनुवाद संघ का ऑनलाइन शुभारंभ करने के बाद बतौर मुख्‍य अतिथि वक्‍तव्‍य दे रहे थे। उन्‍होंने विश्‍वास जताया कि भारतीय अनुवाद संघ विभिन्‍न भारतीय भाषाओं में संचित ज्ञान का अनुवाद कर एक नया इतिहास रचने जा रहा है। स्‍वाधीनता के बाद पहली बार इस तरह की पहल साकार हो रही है। इसके लिए उन्‍होंने महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के यशस्‍वी कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल को बधाई दी।


केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति में भी भारतीय भाषाओं में अध्‍ययन-अनुशीलन पर बल दिया गया है। डॉ. निशंक ने कहा कि शिक्षा भारत केंद्रित होनी चाहिए और उसमें भारत की आत्‍मा आनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि अनुवाद के समय भी हमें यह ध्‍यान रखना चाहिए कि भारत समूची दुनिया को परिवार मानताए है बाजार नहीं। परिवार में प्‍यार होता है जबकि बाजार में व्‍यापार होता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि तकनीकी शिक्षा समाज के अंतिम व्‍यक्ति तक पहुंचेए इसका संकल्‍प लिया गया है। जेईई की परीक्षाएं 13 भारतीय भाषाओं में कराए जाने का निर्णय लिया गया है। नीट की परीक्षाएं भी भारतीय भाषाओं में ली जाएंगी। उन्‍होंने भारत के प्रधानमंत्री के इस संकल्‍प की याद दिलायी कि भारत का प्रत्‍येक युवा अपनी भाषा में पढ़कर डॉक्‍टर और इंजीनियर बनेगा। यह परियोजना इसको सार्थक करने के लिए ऐतिहासिक कदम सिद्ध होगी।


कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो। रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि भारतीय अनुवाद संघ से अब तक 64 भाषाओं के 1011 अनुवादक जुड़ चुके हैं जो भारत की संचित ज्ञान राशि को विभिन्‍न भाषाओं में पहुचाने का कार्य करेंगे। उन्‍होंने कहा कि अनुवाद के लिए स्रोत भाषा के रूप में संस्‍कृत को प्रमुखता देने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने संकल्‍प व्‍यक्‍त किया कि विश्‍व स्‍तर पर संपर्क, संचार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि की भाषा के रूप में हिंदी को दुनिया भर में पहुचाएंगे। भारतीय अनुवाद संघ के संयोजक तथा प्रतिकुलपति प्रो। हनुमान प्रसाद शुक्‍ल ने प्रास्‍ताविक वक्‍तव्‍य में बताया कि आरंभ में 25 कृतियों का चयन विभिन्‍न भाषाओं में अनुवाद के लिए किया गया है। प्रतिकुलपति प्रो। चंद्रकांत रागीट ने स्‍वागत भाषण किया। धन्‍यवाद ज्ञापन कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान ने किया तथा संचालन हिंदी एवं तुलनात्‍मक साहित्‍य विभाग की अध्‍यक्ष प्रो। प्रीति सागर ने किया। कार्यक्रम में देश के दस से अधिक विश्‍वविद्यालयों के कुलपति हजारों अनुवादकए प्राध्‍यापकए अधिकारी व शोधार्थी ऑनलाइन जुड़े थे।

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